#सँघर्ष_का_दूसरा_नाम_द्रोपदी_मुर्मू_आपके_सँघर्ष_को_सलाम
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#सँघर्ष_का_दूसरा_नाम_द्रोपदी_मुर्मू_आपके_सँघर्ष_को_सलाम
🇮🇳 वो बेटी, जो एक बड़ी उम्र तक घर के बाहर शौच जाने के लिए अभिशप्त थी.. अब वो भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद की सुशोभित करेंगी।
🇮🇳 वो लड़की, जो पढ़ना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 वो महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 वो महिला, जिसे जब ये लगा कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो खुद सबके घर जा कर ‘खाने को दे’ कह के बैठने लगीं.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 वो महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों की मौत के दर्द को झेला और आखिरी बेटे के मौत के बाद तो ऐसे डिप्रेशन में गईं कि लोग कहने लगे कि अब ये नहीं बच पाएंगी.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 जिस गाँव में कहा जाता था राजनीति बहुत खराब चीज है और महिलाएं को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गाँव की महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।
🇮🇳. वो महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि ‘वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पडती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे’.. वो महिला अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही है।
🇮🇳 वो महिला, जो अपनी बातों में मासूमियत को जिन्दा रखते हुए अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को माना कि ‘राजनीति में आने के बाद मुझे वो औरतें भी पहचानने लगी जो पहले नहीं पहचानती थी’.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 वो महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद अपनी असफलता की जड़ को तलाशने फिर से गाँव में जा कर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आँखों को दान करने की घोषणा की.. वो अब भारत की ‘राष्ट्रपति’ बनने जा रही हैं।
🇮🇳 वो महिला, जो ये मानती हैं कि ‘Life is not bed of roses. जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई push करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पायेगा’.. वो अब भारत की #राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।
🇮🇳 दशकों-दशक से ठीक कपड़ों और खाने तक से दूर रहने वाले समुदाय को देश के सबसे बड़े ‘भवन’ तक पहुँचा कर भारत ने विश्व को फिर से दिखा दिया है कि यहाँ रंग, जाति, भाषा, वेष, धर्म, संप्रदाय का कोई भेद नहीं चलता।
🇮🇳 जिनके प्रयासों से उनके गाँव से जुड़े अधिकतर गाँवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है, ऐसी #द्रौपदी मुर्मू जी का हार्दिक स्वागत है 🙏🏻
एक बड़ा प्रश्न इन सबके बीच क्या अब आरक्षण खत्म नही होना चाहिए????
‘राष्ट्रपति भवन’ अब वास्तविकता में ‘कनक भवन’ बन रहा है ..॥
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