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हाथरस केस: कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा- आपकी बेटी होती तो क्या आधी रात में अंतिम संस्कार होने देते ?

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हाथरस केस: कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा- आपकी बेटी होती तो क्या आधी रात में अंतिम संस्कार होने देते ?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौजूद अधिकारियों से पूछा कि अगर आप में से किसी के परिवार की बेटी होती तो क्या आप ऐसा होने देते.

लखनऊ: हाथरस की घटना पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन के रवैया से नाराजगी जताते हुए कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने वहां मौजूद अधिकारियों से पूछा कि अगर यह बेटी किसी रसूख वाले की होती है तो क्या इसी तरह से इसी तरह से आधी रात अंतिम संस्कार किया जाता? इसके बीच पीड़ित परिवार ने कोर्ट में कहा कि उनकी बिना मर्जी के उनकी बेटी का अंतिम संस्कार किया गया. मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

कोर्ट ने प्रशासन से पूछे तीखे सवाल

सुनवाई के दौरान कोर्ट में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार, और हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार मौजूद थे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि अगर आप में से किसी परिवार की बेटी होती तो क्या आप ऐसा होने देते?

प्रशासन ने नहीं दिया बेटी का अंतिम बार मुंह देखने का मौका- परिवार

परिवार ने कहा कि अंतिम संस्कार के दौरान परिवार का कोई भी साथ मौजूद नहीं था सिर्फ कुछ गांव वालों को बुलाकर वहां पर गोबर के उपले रखवा दिए गए थे. जबकि परिवार चाहता था कि अंतिम संस्कार सुबह 5 बजे के बाद किया जाए और इस बीच परिवार को अपनी बेटी का चेहरा देखने का एक अंतिम मौका दिया जाए.

भारी भीड़ की वजह से लिया गया आधी रात में अंतिम संस्कार का फैसला- डीएम

हालांकि, हाथरस के डीएम का कहना था कि जिस दौरान अंतिम संस्कार के लिए शव को लेकर गए उस दौरान 300 से 400 लोगों की भीड़ गांव में मौजूद थी और इस वजह से रात में अंतिम संस्कार करने का निर्णय किया गया. जबकि परिवार ने डीएम के इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि उस दौरान वहां पर 200 से 300 पुलिस वाले थे और 50 से 60 गांव के लोग ऐसे डीएम का यह कहना कि वहां पर बहुत ज्यादा भीड़ थी गलत है.

डीएम के कोरोना से मरने वाले बयान का भी जिक्र

कोर्ट में पीड़िता की भाभी ने डीएम के उस बयान का का भी जिक्र हुआ जिसमें वो पीड़िता के परिवार से कहते हो नज़र आए थे कि अगर तुम्हारी बेटी कोरोना से मर जाती तो तुम को कुछ नहीं मिलता.

परिवार ने जताया सुरक्षा का खतरा

परिवार ने इसके साथ ही सीबीआई की जांच रिपोर्ट गोपनीयता बरकरार रखने की भी मांग की है. वहीं परिवार ने कोर्ट में अपनी सुरक्षा का खतरा भी जताते हुए सुरक्षा जारी रखने की मांग भी की थी. हालांकि प्रशासन की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गई कि पीड़ित परिवार को पहले से ही सुरक्षा दी गई है.

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