खरसिया विधानसभा चुनाव उमेश पटेल के जीत की हैट्रिक रोकने आप ने विजय को उतारा ,बीजेपी के महेश जनसम्पर्क में निकले आगे….कांग्रेस की राह नही आसान ….!!
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खरसिया-: छत्तीसगढ़ सहित 5 राज्यो में चुनाव के तारीखों का ऐलान के बाद अब जहां बीजेपी एवं आम आदमी पार्टी,बसपा ने अपने प्रत्यासियों की घोषणा के साथ उनको चुनाव मैदान में उतार दिया है वहीं कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अभी तक अपने प्रत्यासियों की घोषणा नही की जा सकी है। जल्द ही कांग्रेस अपने उमीदवारों का ऐलान करेगी। लेकिन आजादी के बाद से लगातार कांग्रेस के कब्जे वाले खरसिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वर्तमान विधायक एवं कैबिनेट मंत्री उमेश पटेल को पैनल में अकेले नाम होने के वजह से पार्टी से ग्रीन सिंग्नल मिलने के बाद चुनाव अभियान में लगातार सतत जनसंपर्क में जुट गए है। वही बीजेपी ने खरसिया विधानसभा क्षेत्र से इस बार लगभग 2 माह पहले ग्राम सरवानी के किसान पुत्र साधरण से घर से ताल्लुक रखने वाले महेश साहू जो कि छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू समाज के कार्यकारी अध्यक्ष सहित लगातार सामाजिक कार्यो में सक्रिय युवा प्रत्यासी को चुनाव मैदान में उतारकर खरसिया विधानसभा सीट से कमल खिलाने प्रयासरत है। वही किसी समय मे खरसिया सहित छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता स्व:नंदकुमार पटेल के बेहद करीबी रहे छत्तीसगढ़ कलार महासभा के महाअध्यक्ष विजय जायसवाल जो कि पिछले चुनाव में बीएसपी से उम्मीदवार थे जिन्होने एन वक्त में उमेश पटेल कांग्रेस से हाँथ मिलाकर उमेश पटेल को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आईएएस की नौकरी छोड़ बीजेपी उम्मीदवार बने ओ पी चौधरी के जीत के राह में रोड़ा अटकाया था।विगत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कृष्णा रविन्द्र पटेल के जीत के समीकरण को बिगाड़ दिया था। वर्तमान में कांग्रेस के जिला पंचायत की सदस्य के रूप में श्रीमती पूर्णिमा विजय जायसवाल लगातार क्षेत्र में सक्रिय है। कांग्रेस परिवार में सेंध लगाते हुए आम आदमी पार्टी ने विजय जायसवाल को खरसिया विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है। विजय जायसवाल हमेशा खिलाड़ियों एवं स्थानीय प्रतिभाओं सहित सामाजिक एवँ धार्मिक आयोजनों में बढ़ चढ़ के हिस्सा लेने के अतिरिक्त हमेशा उत्साह वर्धन करते है। को खरसीया विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के तरफ से प्रत्यासी घोषित किये जाने एवं विजय जायसवाल के लगातार क्षेत्र में सक्रियता से खरसिया विधानसभा चुनाव फिलहाल त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। बीजेपी के महेश साहू ने लगातार जनसम्पर्क अभियान में 100 से अधिक गांवों तक घर घर पहुंचकर मतदाताओं से आशिर्वाद प्राप्त करने का क्रम जारी रखा है। वही विजय जायसवाल के लगातार युवाओं के बीच पैठ होने एवं कांग्रेस से पूर्व में जुड़े होने के कारण कांग्रेस एवं उमेश पटेल के व्होट बैंक पर सीधा सेंध लगाने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है।
बहुजन समाजवादी पार्टी एवँ गोंडवाना के गठबंधन ने खरसिया सामान्य सीट से बरगढ़ खोला के पूर्व जनपद सदस्य को अपना उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है।
लगभग सभी दलों ने अपना अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है।
रायगढ़ कोड़ा तराई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं खरसिया टॉउन हाल में केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली के उपस्थिति में वृहद आमसभा के माध्यम से अपना प्रचार अभियान को लगातार तेजी देते हुए लगातार जनसंपर्क एवँ समर्थन जुटाने में लगे हुए है। किरोड़ीमल नगर में बीजेपी के नए मतदाताओं के स्वागत कार्यक्रम में लगभग 500 कार्यकर्ताओं के बीजेपी प्रवेश से महेश साहू एवं बीजेपी की स्थिति मजबूत होती नजर आ रही है।
हालांकि लगातार 2 बार खरसिया से विधायक एवँ वर्तमान में मंत्री होने के नाते उमेश पटेल किसी परिचय के मोहताज खरसिया क्षेत्र में नही है। लेकिन लगातार क्षेत्र वासियों के की बढ़ती अपेक्षा एवं छत्तीसगढ़ सहित खरसिया के विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार, प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र लोगो को लाभ न मिलना एवं अवैध उगाही,बिगड़ती कानून व्यवस्था, गांव-गली मोहल्लों में बिक रही जहरीली अवैध महुआ शराब एवं नशे की आगोस में युवा पीढ़ी,जगह जगह हो रहे जुआ सट्टा सहित अनेकों कारण से खरसिया के मतदाताओं के मन मे वर्तमान विधायक के प्रति थोड़ी नाराजगी साफ झलक रही है।
लगातार दो बार पिता एवं भाई के शहादत को अपना चुनाव जीतने का मुख्य आधार बनाने वाले कांगेस विधायक को अबकी बार खरसिया में रेल्वे ओव्हरब्रिज सहित ग्राम पंचायतों,राशन दुकानों नगर पालिकाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार सहित विकास के मुद्दों पर जनता को जवाब देना होगा।
सबसे बड़ी चुनौती वर्तमान में कांग्रेस से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे विजय जायसवाल की बढ़ती लोकप्रियता एवं जनसमर्थन कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाता नजर आ रहा है। खरसिया विधानसभा में कांग्रेस के सत्ता एवँ संगठन में फूट की खबर किसी से छुपी नही है।
यदि इन सभी करणो पर गौर करें तो गत चुनाव में कांग्रेस की सुनामी के बावजूद मात्र लगभग 17 हजार व्होट से जितने वाले खरसिया सीट में कांग्रेस के लिए जीत आसान नही होगी।
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