रायगढ़ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के विरुद्ध FIR दर्ज करने बिलासपुर पुलिस कप्तान को दिया आवेदन झूठे प्रतिवेदन के आधार पर राज्य विधिक परिषद छ.ग.उच्च न्यायालय बिलासपुर को लिखा था पत्र…
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🔴 ✍️छत्तीसगढ़/बिलासपुर/रायगढ़✍️
रायगढ़ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के विरुद्ध FIR दर्ज करने बिलासपुर पुलिस कप्तान को दिया आवेदन झूठे प्रतिवेदन के आधार पर राज्य विधिक परिषद बिलासपुर को लिखा था पत्र।🟥*
*🟥न्यायालय से दोषमुक्त हो चुके प्रकरणों को लंबित बताकर स्टेट बार को लिखा था झूठा,कुट रचित पत्र, अधिवक्ता/पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता भूपेन्द्र वैष्णव के अधिवक्ता लायसेंस निरस्त करने अपने अधिकार का दुरुपयोग कर किया था पत्राचार, धोखाधड़ी सह विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज करने दिया आवेदन।*
*🟥पत्रकार दम्पत्ति ने बताया अपने जान को खतरा-जान से मारने दी जा रही धमकी*
बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष / उपाध्यक्ष, सचिव को भी दिया लिखित आवेदन।
✍️बिलासपुर/छत्तीसगढ़✍️ यूं तो कीसी भी जिले में पुलिस विभाग में एसपी एक बहुत जिम्मेदारी भरा पद है जिसके हाँथो में पूरे जिले की कानून व्यवस्था की बागडोर होती है। लेकिन जब एक आइपीएस ही अपने घमंड एवं राजनीतिक आकाओं की चाटुकारिता करने के लिए समाज के चौथे स्तम्भ कहलाने वाले पत्रकार दम्पत्ति को कोरोना महामारी काल मे 1 नही बल्कि फर्जी झूठा 4-4 केश आनन फानन में दर्ज करवा दिया जाए वो भी जुआ,शराब,रेत,कोल,भूमाफियाओं के कहने पर छोटे-छोटे बच्चों की जान जोखिम में डालकर एक पत्रकार दम्पत्ति के विरुद्ध झूठे फर्जी मुकदमो पर नक्सलियों की तरह दुर्व्यवहार करते हुए पहले तो पत्रकार की पत्नी महिला पत्रकार को 200 पुलिस कर्मियों को भेजकर गिरफ्तार करवाया गया। बाद में अग्रिम जमानत के लिए पट्टे की व्यवस्था में गए पत्रकार/ अधिवक्ता भूपेन्द्र किशोर वैष्णव को बिल्कुल आतंकवादीयों के तरह 200 से 300 पुलिस कर्मियों के उपस्थिति में न सिर्फ झूठे प्रकरण में गिरफ़्तार किया गया बल्कि । उल्टे पत्रकार भूपेंद्र वैष्णव को हंथकड़ी लगाकर खरसिया शहर में माफियाओं के घुमाया गया कारण सिर्फ पत्रकार दम्पत्ति द्वारा अपने 4 वेब न्यूज पोर्टल के माध्यम से रायगढ़ पुलिस कप्तान एवं उनकी टीम द्वारा लॉक डाउन के द्वारा संचालित अवैध जुआ,शराब,रेत,कोल तस्करी,गुड़ाखू माफिया,भूमाफियाओं,उद्योगपतियों ,गौ तस्करों एवं सट्टा कारोबार चलाने वालों के विरुद्ध आवाज बुलंद करने पर पहले तो अपने मातहत एसडीओपी एवं थाना प्रभारी के माध्यम से पहले नगदी रकम की पेशकश किया । रकम नही लेने पर कूट रचना एवं झूठे तथ्यों के आधार पर पहले तो एक जुआ फड़ संचालक महिला बालविकास के बाबू खिलावन राठौर एवं सट्टा कारोबारी विनोद राठौर से सांठगांठ करके पहले धोखाधड़ी का झूठा एफआईआर दर्ज कराया।
बाद में लोकडाउन उल्लंघन का एफआईआर गिरफ्तारी के 4 दिन बाद दर्ज किया गया।
पुलिस थाना मदनपुर में पत्रकार द्वारा विवेचना में पूर्ण सहयोग के बावजूद पहले तो एसडीओपी पीताम्बर पटेल एवं पूर्व थाना प्रभारी सुमत राम साहू,पूर्व चौकी प्रभारी नंदकिशोर गौतम के द्वारा पहले तो ऊपर वाले से माफी मांगने कहा गया नही मानने पर कोयला तस्करी का कार्य करने दबाव बनाया गया। नही मानने पर डॉक्टरी मुलाहिजा के दौरान पत्रकार भूपेन्द्र वैष्णव को हंथकड़ी लगाकर 3 किलोमीटर तक घुमाया गया।
जब पत्रकार दम्पत्ति को उक्त झूठे मामलों में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दिया गया तो 8 वर्ष पूर्व जमीन खरीदी के फर्जी मामले में 420 का अपराध पत्रकार दम्पत्ति पर झूठा एफआईआर डोंगरी पाली सारंगढ़ थाने में दर्ज कराया गया।
एक प्रकरण को छोड़कर किसी भी अन्य प्रकरण में पत्रकार दम्पत्ति का रिमांड नही लिया गया। अब जब पत्रकार दम्पत्ति को माननीय उच्च न्यायालय से अन्य प्रकरणों में अग्रिम जमानत का लाभ मिल जाने पर पत्रकार भूपेन्द्र किशोर वैष्णव के विरुद्ध 1-10 जिला बदर की कार्यवाही का झूठा प्रतिवेदन कलेक्टर एवं जिला न्यायाधीश रायगढ़ के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
पत्रकार भूपेंद्र वैष्णव द्वारा स्वयं एवं अपने अधिवक्ता के माध्यम से रायगढ़ पुलिस कप्तान संतोष कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत कूट रचित झूठे प्रतिवेदन का जवाब एवं माननीय न्यायालयों द्वारा दोषमुक्त किये गए एवं निराकृत प्रकरणों के ऑर्डर शीट की कॉपी प्रस्तुत करने पर भी जिला कलेक्टर द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए। 7 दिसम्बर को न्यायालयीन कार्यवाही स्थगित रहने के बावजूद 9 दिसम्बर को 7 दिसम्बर के पिछले तारिख पर जिला बदर का आदेश पारित किया गया।
रायगढ़ पुलिस कप्तान ने अपने पद का दुरुपयोग कर छत्तीसगढ़ विधिक परिषद को लिखा कूटरचना युक्त फर्जी प्रतिवेदन ,उक्त प्रतिवेदन में पत्रकार भूपेंद्र वैष्णव के अधिवक्ता लायसेंस निरस्त करने माननीय न्यायालयों द्वारा निराकृत 5 प्रकरणों को प्रचलनशील बताते हुए पत्रचार किया गया है। जो कि रायगढ़ एसपी के अधिकार क्षेत्र के बाहर है।
उक्त फर्जी कूट रचना युक्त पत्र में एसपी रायगढ़ ने महिला पत्रकार को भी अधिवक्ता बताते हुए उसके भी लाइसेंस को निरस्त करने का मांग किया गया है।
जो कि पूर्णतः विधि के प्रावधानों के विपरीत है। जिसको आधार बनाते हुए उक्त फर्जी पत्र के आधार पर पुलिस कप्तान रायगढ़ के विरुद्ध धोखाधड़ी सहित विभिन्न गम्भीर मामले में एफआईआर चकरभांठा थाने में दर्ज कराने आवेदन प्रस्तुत किया गया जहाँ रसूखदार एसपी के विरुद्ध अपराध दर्ज नही किये जाने पर पुलिस कप्तान बिलासपुर को लिखित आवेदन देकर कार्यवाही करने एवं चकरभाठा थाना प्रभारी को निर्देशित करने आवेदन प्रस्तुत किया गया।
उक्त आवेदन की कॉपी बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव के नाम देकर पत्रकार दम्पत्ति को सुरक्षा मुहैया कराने एवं ठोस कार्यवाही करवाने का निवेदन किया गया है।
रायगढ़ पुलिस कप्तान एवं जिला कलेक्टर सहित माफियाओं से पत्रकार दम्पत्ति ने अपने परिवार को जान का खतरा बताया। अज्ञात शूटरों के माध्यम से रायगढ़ जिला के बाहर में जानसे मारने 50 लाख रु की सुपाड़ी दीये जाने की शिकायत छत्तीसगढ़ राज्य के महामहिम राज्यपाल, मुख्य सचिव,डीजीपी रायपुर,विशेष शिकायत सेल छत्तीसगढ़ पुलिस प्रेस क्लब रायपुर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखित आवेदन 100 प्रति सत्यापित दस्तावेज के साथ प्रस्तुत किया है।
पत्रकार दम्पत्ति को उक्त शिकायतों को वापस लेने के लिए लगातार धमकियां भी दी जा रही है।
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