सच्चे निर्भीक ईमानदार पत्रकार की पत्रकारिता से आखिर क्यों डर जाती है सरकारें ?..
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*🎴सच्चे निर्भीक ईमानदार पत्रकार की पत्रकारिता से आखिर क्यों डर जाती है सरकारें ?🎴*
*🎴गांव से लेकर महानगर तक कि यही कहानी सच सामने लाने वाले पत्रकार हो रहे प्रताड़ित।*
*🎴पक्ष-विपक्ष आलोचना सहना सीखें।*
*🔥एक पत्रकार जो निर्भीकता से संवेदनशील मुद्दों को जमीन स्तर से उठाकर पीड़ितों को न्याय दिलवाना चाहता है,इससे आखिर महाराष्ट सरकार को क्यों आपत्ति है?उदाहरण के तौर पर जब एक पत्रकार ने पालघर में हुए सन्तो की हत्या पर आवाज बुलंद किया तो इस सरकार को पसंद न आया, फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या को हत्या का संदेह बताकर उसके व उसके परिवार वालों वही सुशांत सिंह राजपूत के लाखों करोड़ों फैंस की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मामले को लगभग 4 महीने लम्बी लड़ाई,और आवाज बुलंद किया एक पत्रकार ने वह भी इस सरकार को न भाया, बॉलीवुड के नशेड़ी,चरसी, नायिकाओं को पत्रकार ने एक्सपोज़ किया वह भी इस सरकार को गंवारा न हुआ।आखिर क्यों? सही,तथ्यपरक समाचारों,खबरों और अपनी आलोचनाओं से सरकारें घबरा जाती है?स्पष्ट और सटीक समाचार प्रसारण प्रकाशन करने वाले पत्रकारों को सरकारें अपनी दुश्मन क्यों मान बैठती है?*
*🔥रेत माफिया, कोलमाफिया शराब माफिया,जुआरियों,सट्टेबाजों भ्रस्टाचार में लिप्त अवैध कारोबारियों को आखिर किनका संरक्षण होता है?जिनके लिए जान जोखिम में डालकर सच लिखने,दिखाने वाले पत्रकारों पर इशारों इशारों में झूठे आरोप के साथ बदनाम कर जेल तक दाखिल कर दिया जाता है,वही भ्रष्ट तंत्र चुप्पी साध लेती है,तब यह समझने में बिल्कुल देर नही लगता है कि क्या हो रहा है?बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया।*
*🔥पत्रकार लोकतंत्र का चौथा खम्भा होता है।आज गांव से लेकर एक महानगर तक में जिस तरह सच सामने लाने वाले कुछ पत्रकारों को सरकारें प्रताड़ित करने, व्यक्तिगत चरित्र हत्या करने पर आमादा है इसी कृत्य से उन सरकारों की भविष्य की भविष्यवाणी भी तयशुदा और निश्चित हो जाती है,क्योंकि जो सरकार स्वयं की आलोचना,समाज का सच और अपनी गलतियाँ मानने को तैयार न हो ऐसी सरकारों को उखड़ने और फिर कभी भी खड़े न होने से कोई भी नही रोक सकता है।*
*🔥अधिकतर शासकीय मुलाजिमों द्वारा जिस प्रकार सरकार की जी हजूरी करते हुए पत्रकारों पर झूठे निराधार मुकदमे कूटरचित किये जाते हैं दरअसल उन्हीं कलमकारों द्वारा उन सरकारों की भविष्य लिखी जाती है,क्योकि पत्रकार केवल एक व्यक्ति ही नही वह लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्भ है,जो अभी तक का सबसे मजबूत स्तम्भ है,जिसे हराने,तोड़ने कमजोर करने में भ्रष्ट सरकारें कोई कसर नही छोड़ती है,लेकिन फिर भी एक पत्रकार तरह तरह की झंझावतों से संघर्ष करते करते ऐसे संगठनों व सरकारों को कलम की ताकत से गिराने का दम्भ भी रखतें हैं।*
*🔥जब पत्रकार ही प्रताड़ित होगा तो वह कैसे सही ख़बरों को सामने लायेगा?फिर कैसे वह कहलायेगा समाज का आईना।जिस तरह हम खूद को एक आईने में हू ब हू देखतें हैं ठीक उसी तरह पत्रकार भी समाज का आईना होता है,समाज में, आस – पास,प्रान्त में नगर में महानगर में,देश मे जब,जो,जैसा, होता है, पत्रकार वही दिखाता है, चाहे फिर उस समाज मे,प्रान्त,नगर, महानगर में अच्छा हो या बुरा पत्रकार प्रतिबद्ध होता इन सभी खबरों को आम जनमानस तक लाने के लिए।तब वो सच जिनके खिलाफ होता है, जो भ्रष्ट होतें है,वे पत्रकारों को अपना दुश्मन ही मान बैठते हैं।सिर्फ इसलिए कि आपने जो किया उसने उसे लिखा,उसे जनता के समक्ष रखा।क्या गलत किया सच सामने लाकर पत्रकार ने?पत्रकार का कार्य ही है सच लिखना,अच्छा बुरा जो जब जैसा हो रहा,दिख रहा उसे लिखना,दिखाना,प्रसारित करना प्रकाशित करना फिर आखिर पत्रकार से बैर क्यों?*
*🔥अधिकतर भ्रष्ट लोग शासकीय मुलाजिम ये चाहतें है कि पत्रकार भी उन्ही की तरह भ्रष्ट हो जाये,उनके सच को दबाकर पत्रकार उनके गुलाम,और दलाल बन जाएं, और जब एक पत्रकार गुलाम बनने दलाली नही करने,चाटूकारिता नही करने से इंकार करता है, तब अनायास ही उस पत्रकार पर तरह – तरह के आरोप लगाए जाते हैं, उसे प्रताड़ित किया जाता है उनकी हत्याएं करवा दी जाती है, उन्हें झूठे आरोप लगाकर जेल भेज दिया जाता है।सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि वह पत्रकार बिका नही,वह गुलाम नही बना,वह दलाल नही बना।आखिर ईमानदार पत्रकारों को कब तक उनके कर्तव्यनिष्ठ होने,निष्पक्ष,और निर्भीक होकर खबरों के प्रसारण प्रकाशन करने की सज़ा भ्रष्ट ,निरकुंश तंत्र पंगू सरकारें देती रहेंगी?*
*🔥आखिर पत्रकार कब आज़ाद होगा?लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्भ का अगर यही हाल रहा तो आमजनमानस की स्थिति तो बहुत ही दयनीय होगी भविष्य में।क्योकि जब किसी के सामने सच नही आयेगा तो देश का एक बड़ा हिस्सा जो पीड़ित व प्रताड़ित है,इस भ्रष्ट तंत्र और सिस्टम से,सरकारी भ्रष्ट लापरवाह मुलाजिमों से उन्हें न्याय कैसे मिलेगा?ईमानदार ,निष्पक्ष, निर्भीक कलमकार से बड़ा कोई समाजसेवक नही होता है!इनके द्वारा लिखा,और दिखाये जाने वाला सच,आज मेरे कल उसके तो परसों आपके हित मे ही होगा।पत्रकारों को प्रताड़ित करना,लोकतंत्र के चौथे खम्भे को नजरअंदाज कर उसे अपने कब्जे में करने की कल्पना मात्र से ही सारे समाज का अहित हो रहा है जो भविष्य के लिए काफ़ी चिंतनीय है।
*✍️आरती वैष्णव*
*एडिटर पर्दाफ़ाश ऑनलाइन न्यूज छत्तीसगढ़*
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