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पर्दाफाश

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श्रम विरोधी काला कानून ट्रेड यूनियन एवं किसान विरोधी बिल के विरोध में इंटक प्रदेश स्तरीय धरना कर बींलो की रदद् करने किये मांग

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श्रम विरोधी काला कानून ट्रेड यूनियन एवं किसान विरोधी बिल के विरोध में इंटक प्रदेश स्तरीय धरना कर बींलो की रदद् करने किये मांग

 

भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (INTUC) छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष दीपक दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पास किये श्रम कानून,ट्रेड यूनियन कानून एवं किसान बिल जो श्रमिक किसान एवं मजदूर यूनियन के अहित में है उसका विरोध प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन कर इन काला कानून को वापस लेने की मांग कर कलेक्टर रायपुर के माध्यम महामहिम राष्ट्रपति राज्यपाल मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपते हुवे लिखा है लोकसभा में श्रम कानून संबंधी तीन विधेयक पास किया ये तीनों बिल प्रवासी और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की परिभाषा को बदल सकते हैं, जिसका हम श्रमिक नेता विरोध करते है। लोक सभा मे विपक्ष के नेताओ के विरोध बावजूद सरकार ने देश में श्रम कानून से जुड़े तीन महत्वपूर्ण बिल पास कराए असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने वालो के लिए यह “मजदूर-विरोधी” है।
देश में आजादी से पहले की कानूनों को बदला जा रहा है और इन श्रम कानूनों को बदलकर श्रम संहिताओं में लाया जा रहा है। जिसमें देश में मजदूरों की स्थिति और ज्यादा दयनीय हो जाएगी उद्योगों उपक्रमो में काम के 8 घंटे के अधिकार को अब 12 घंटे में बदल दिया गया है। प्रोविडेंट फंड, ईएसआई और मजदूरों से कल्याण से जुड़े कानूनों को बदल दिया गया है। अब रोजगार के स्थाई प्रारूप को बदलकर सीमित समय के लिए काम दिया जाएगा जिससे नौजवानों का भविष्य बर्बाद होने वाला है केंद्र की भाजपा सरकार ने मजदूरों के विरोध करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया है और यूनियन बनाने और हड़ताल करने के अधिकार पर भी भारी भरकम जुर्माना लगाने और जेल भेजने तक के प्रावधान कर दिए हैं। जो मजदूरों को बंधुआ मजदूरी की तरफ धकेलने का ही काम करता है इन विधेयकों के जरिए सरकार का इरादा श्रम सुरक्षा को खत्म करना है 44 श्रम कानून के बदले 4 लेबर कोडों की प्रक्रिया और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। 50 वर्ष की आयु अथवा30 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करने वाले नियमित सरकारी कर्मचारियों की छंटनी व जबरन रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए उसी तरह रेल बीएसएनएल कोयला सहित 26 कंपनियों को निजीकरण किया जा रहा हैं


जिसके विरोध में प्रदेश भर के इंटक पदाधिकारी कार्यकर्ता श्रमिक किसान रद्द करने की मांग किये बस्तर नगर नार स्टिल प्लांट निजीकरण को रद्द करने की मांग करते हैं इस औद्योगिक इकाई बस्तर क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों रोजगार के अवसर मिलेगा
छत्तीसगढ़ के लिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि राज्य के जनजातीय क्षेत्र में प्रस्तावित सार्वजनिक क्षेत्र के स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाएगा केंद्र के फैसले से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों टूट जाएंगी इसी तरह एसईसीएल के निजीकरण के विरोध करते हुवे मांग करते हैं एसईसीएल के भुविस्थापित जो आज वर्षो से अपने हक रोजगार के लिए आंदोलन कर रहे हैं उनको अतिशीघ्र रोजगार दिया जाए कोरोना काल मे केंद्र सरकार द्वारा उद्योगों में कार्यरत श्रमिको मजदूरों को बंद के दरमियान वेतन देने की बात कही गई थी उनको आज तक वेतन नही मिला अतिशीघ्र वेतन देना सुनिश्चित की जाए अन्यथा विवस होकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनिश्चित कालीन धरना आंदोलन करने की चेतावनी दिए
आंदोलन धरना में प्रदेश महामंत्री रजनीश सेठ प्रदेश उपाध्यक्ष द्वय टिकेंद्र सिंह ठाकुर, विजय तायल,कमल किशोर साव,राघवेंद्र सिंह देव्, युवा इंटुक प्रदेशाध्यक्ष चंद्रेश सिंह ठाकुर,महिला इंटक प्रदेशाध्यक्ष श्रीमति सुनीता दुबे असंगठित इंटक प्रदेशाध्यक्ष संजू तिवारी प्रदेश सचिव द्वय पंकज तिवारी,देवानंद वर्मा,दिलेश्वर साहू,रायपुर जिलाध्यक्ष मनीष राव सुरेसे, युवा इंटक जिलाध्यक्ष भावेश दिवान,महिला इंटक अध्यक्ष आएसा खान,महिला इंटक उपाध्यक्ष गजला खान सहित भारी संख्या में प्रदेश भर से पदाधिकारी पहुचे थे

 

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