रूस, चीन और अमेरिका में दौड़, ऐसे होंगे छठी पीढ़ी के ‘लड़ाकू विमान’

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रूस, चीन और अमेरिका में दौड़, ऐसे होंगे छठी पीढ़ी के ‘लड़ाकू विमान’

नई दिल्ली: दुनियाभर के देश अपनी सैन्य शक्ति को लगातार मजबूत कर रहे हैं। अपने देश की सैन्य शक्ति में लगातार नए लड़ाकू विमानों को शामिल कर रहे हैं। भारत ने हाल ही 4.5 जनरेशन के सबसे शक्तिशाली जेट राफेल को वायुसेना में शामिल कर लिया है। वहीं दूसरी ओर, दुनिया में सिक्स्थ जनरेशन (Sixth Generation fighter jets) यानी छठी पीढ़ी के फाइटर प्लेन बनाने की दौड़ चल रही है। रूस, चीन और अमेरिका इस होड़ में लगे हैं। कहा जा रहा है कि छठी पीढ़ी के ये फाइटर प्लेन उच्चतम क्षमताओं पर आधारित होंगे, जो दुश्मन को मिनटों में तबाह करने की ताकत रखेंगे।
खबर है कि नेक्स्ट जनरेशन एयर डोमिनेंस (एनजीएडी) कार्यक्रम के तहत अमेरिकी वायु सेना ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के पहले प्रोटोटाइप की सफलतापूर्वक उड़ान भर ली है। अमेरिकी एयरफोर्स के असिस्टेंट सेक्रेटरी विल रॉपर ने डिफेंस न्यूज से इंटरव्यू में कहा, हम पहले ही फुल स्केल डेमोंस्ट्रेटर को बनाकर सफलतापूर्वक उड़ा चुके हैं और हमने इसे करने में रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हम अगली पीढ़ी के विमानों को एक ऐसे तरीके से बनाने के लिए तैयार हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ है।
दूसरी ओर, कहा जा रहा है कि चीन की छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान 2035 तक या इससे पहले आ जाएंगे। जे—20 एयरक्राफ्ट बनाने वाले चेंग्दू एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट के चीफ आर्किटेक्ट वांग हाइफेंग ने एक इंटरव्यू कहा कि इन फाइटर जेट्स में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, एक्सट्रीम स्टील्थ और सभी दिशाओं में सिग्नल प्राप्त करने और भेजने वाले ओमनिडायरेक्शनल डिटेक्शन सिस्टम का प्रयोग हो सकता है। उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमानों में लेजर हथियार, सेल्फ अडेप्टिंग इंजन और हाइपरसोनिक हथियार हो सकते हैं।
हालांकि हांगकांग स्थित सैन्य टिप्पणीकार सोंग झोंगपिंग ने एक रिपोर्ट में कहा कि प्रत्येक देश के लड़ाकू विमानों की तुलना करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को एक दशक पहले पूरा किया गया था, इस प्रकार यह आश्चर्यजनक नहीं है कि वे अब छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स पर आगे बढ़े हैं। अमेरिकी वायु सेना ने लॉकहीड मार्टिन एफ -22 और एफ -35, दोनों पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों ने क्रमशः 2005 और 2015 में सेवा में शामिल किया था। दोनों जेट में उन्नत एवियोनिक्स, एक्सट्रीम स्टील्थ और बेहतरीन पैंतरेबाजी जैसी क्षमताएं हैं। चीन की बात की जाए तो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू चेंगदू-जे -20 ने 2011 में अपनी पहली उड़ान भरी थी और 2017 में सेवा में आया है। इस बीच कहा जा रहा है कि यूके अपनी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को विकसित करने पर भी काम कर रहा है।
कई स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने रोस्टेक एविएशन कॉम्प्लेक्स के औद्योगिक निदेशक अनातोली सेरड्यूकोव के हवाले से कहा कि रूसी दिग्गज, मिकोयान (मिग) और जेएससी सुखोई अपनी अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों पर काम करने के लिए एक साथ आ सकते हैं। यूके ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को विकसित करने के लिए 2018 में अपने महत्वाकांक्षी ‘टेम्पेस्ट कार्यक्रम’ की घोषणा की थी, जो कि यूरोफाइटर टाइफून के अपने बेड़े को बदल देगा।
रोल्स रॉयस देगी इंजन
यूके की एरोस्पेस कंपनी बीएई सिस्टम रॉयल एयर फोर्स के साथ कार्यक्रम की अगुवाई कर रहा है। रोल्स रॉयस इसमें इंजनों का योगदान देगा, जबकि यूरोपीय फर्म एमबीडीए हथियारों को एकीकृत करेगा और इतालवी कंपनी लियोनार्डो सेंसर और एवियोनिक्स विकसित करेगी। इसके 2035 में पहली उड़ान लेने की उम्मीद है। हालांकि देखना दिलचस्प होगा कि कौनसा देश सबसे पहले छठी पीढ़ी के इन लड़ाकू विमानों को लाकर दुनिया को चौंकाता है।

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