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 ‘महाराष्ट्र सरकार को किया जाए बर्खास्त, लगाया जाए राष्ट्रपति शासन’

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 ‘महाराष्ट्र सरकार को किया जाए बर्खास्त, लगाया जाए राष्ट्रपति शासन’

महाराष्ट्र में महा-विकास अघाड़ी सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से लेकर नौसेना के पूर्व अधिकारी पर हुए हमले में उद्धव सरकार को चौतरफा हमले का सामना करना पड़ा है। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर मांग की गयी है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।

दिल्ली के रहने वाले विक्रम गहलोत, ऋषभ जैन और गौतम शर्मा ने याचिका में आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों द्वारा राज्य की मशीनरी का गलत इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से राज्य में आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के बजाय प्रोत्साहित करने का काम किया जा रहा है।

याचिका में कंगना रनौत और पूर्व नौसेना अधिकारी मदन लाल शर्मा के खिलाफ शिवसेना द्वारा की गयी कार्रवाई का विशेष रूप से जिक्र किया गया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य मशीनरी ने राज्य में ‘गैंगस्टरवाद’ का सहारा लिया है जोकि ‘पुलिस की शीर्ष शक्ति’ के साथ है। दलील में कहा गया कि राज्य के खिलाफ सरकार की इन हरकतों ने  महाराष्ट्र के निवासियों की सुरक्षा को ‘ख़तरे में’ डाल दिया है।

याचिका में कहा गया कि ये सिर्फ़ कुछ उदाहरण हैं लेकिन यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि राज्य प्रशासन द्वारा गतिविधियों को कानून के प्रावधानों और संविधान के आदेशानुसार नहीं चलाया जाता है। बल्कि इससे महाराष्ट्र में एक प्रकार का निरंकुश शासन महसूस किया जा रहा है। याचिका में ये भी कहा गया कि राज्य को लोकतंत्र की भावना, कानून को ध्यान में रखते हुए आम नागरिकों के हित में काम करना चाहिए।

 

राष्ट्रपति शासन की मांग

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ‘देश के अंदर राज्य मशीनरी जब कानून को हवा में उड़ाते हुए खुद को किसी व्यक्ति के बैंड के रूप में इस्तेमाल की अनुमति देती है और सत्तारूढ़ दमनकारी गतिविधियों की तरफ आगे बढ़ता है तो यह संवैधानिक मशीनरी की विफलता को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में राज्य के अंदर राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता होती है।

साथ ही याचिका में शीर्ष अदालत से मांग की गयी कि मौजूदा महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। यह भी कहा गया है कि यदि पूरे राज्य में संभव नहीं है तो कम से कम मुंबई शहर और इसके आसपास के जिलों में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी जाए ताकि उस क्षेत्र में रहने वाले आम नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

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