छत्तीसगढ़ में छाया रहा पीएमओ टिकिट वितरण में संघ और कार्यकर्ताओं की अनदेखी….
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छत्तीसगढ़ में छाया रहा पीएमओ
टिकिट वितरण में संघ और कार्यकर्ताओं की अनदेखी
छत्तीसगढ़ में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे. यहां 90 सीटों पर 7 और 17 नवंबर को मतदान होगा. इसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. इसी बीच बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. 2023 विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने दूसरी सूची में 64 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. इसमें 10 महिला उम्मीदवारों पर भी बीजेपी ने दांव लगाया है. इस तरह बीजेपी ने अब तक कुल 15 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का ऐलान किया है.तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव की टिकट दी गई है. इसमें जनता पार्टी अध्यक्ष अरुण साव को लोरमी से, गोमती साय को पत्थलगांव से और जनजातीय कार्य मंत्री रेणुका सिंह को भरतपुर सोनहत सीट से मैदान में उतारा गया है.भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री और सात बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर दक्षिण और तीन बार के कैबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर कुरुद से सियासी रण में उतरे है अब अगर देखे तो पिछले 2 अक्टूबर को मीडिया में वायरल सूची ही भाजपा की सूची थी वो सारे नाम जो मीडिया ने बताए थे उन्ही नामो पर आधारित सूची थी इसको लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि परिवर्तन तो कहीं दिख नही रह बल्कि ये वही नाम थे जिनके कारण भाजपाई 2018 में सरकार से बाहर हुए थे न संघ की सलाह पर अमल न सर्वे पर न कार्यकर्ताओ के सड़को पर आकर किये विरोध को बस हर जगह एक ही बहाना की ऊपर पीएमओ का आदेश था इस सूची को जारी करने का पीएमओ मतलब क्या यह कोई शॉर्टकट नाम है या कोडवर्ड है क्या है अब भाजपा पीएमओ के नाम का प्रयोग हर जगह करने लगी है उसे लगता है कि कोई भी ठीकरा पीएमओ के नाम पर फोड़ दो चलेगा लेकिन कैसे अब तो हालत ये है कि हर बात पर पीएमओ की बात करने वाले एक पदाधिकारी से जब पूछा गया कि भाई ये हर काम के पीछे पीएमओ का नाम क्यों लिया जाता है तो उसका कहना था इस नाम को लेकर आप अपने सारे पाप पीएमओ पर डाल सकते हो अब ये पीएमओ प्रधानमंत्री कार्यालय है या कुछ और…
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