*केएन कॉलेज के दो सहा. प्राध्यापकों पर फर्जी तरीके से नौकरी करने का आरोप, पत्रकार के सवाल पर भड़के प्रभारी प्राचार्य ने कहा- ‘ कैमरा बंद करो ‘*
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*केएन कॉलेज के दो सहा. प्राध्यापकों पर फर्जी तरीके से नौकरी करने का आरोप, सवाल पर भड़के प्रभारी प्राचार्य ने कहा- ‘ कैमरा बंद करो ‘*
छत्तीसगढ़
कोरबा: कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा में जबसे यूजीसी नॉर्म्स के विरुद्ध एक लाइब्रेरियन को प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्ति दी गई है तब से महाविद्यालय आएदिन विवादों में घिरा रहता है । पहले स्वयं प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हुए और अब उनके अधीनस्थ दो सहायक प्राध्यापकों कुणाल दास गुप्ता और राकेश गौतम पर फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे महाविद्यालय में नौकरी हासिल करने का आरोप लगा है ।
सबसे पहले हम किसी भी महाविद्यालय में प्राचार्य अथवा प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति के लिए यूजीसी द्वारा जो नियमावली बनाई गई है उसे हम आपको दिखाते हैं । आप नीचे दिए गए यूजीसी के इन दस्तावेजों को पढ़ कर समझ सकते हैं कि एक नॉन टीचिंग स्टाफ को प्राचार्य अथवा प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्ति देने का कोई प्रावधान नहीं है ।
अब हम बात करते हैं महाविद्यालय के शिक्षा संकाय में पदस्थ संगीत के सहायक प्राध्यापक कुणाल दास गुप्ता की । यूजीसी की नियमावली के अनुसार किसी भी महाविद्यालय में संगीत के सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति के लिए देश अथवा विदेश के किसी भी यूनिवर्सिटी से प्राप्त संगीत की मास्टर डिग्री का होना अनिवार्य है जबकि कुणाल दास गुप्ता ने नियुक्ति के वक्त जो अंकसूची महाविद्यालय को प्रस्तुत किया है वो पश्चिम बंगाल की एक रजिस्टर्ड संस्था है । वो किसी भी यूनिवर्सिटी से संबद्ध नहीं है ।
संगीत सहायक प्राध्यापक हेतु यूजीसी की नियमावली
यहां ये भी दावा किया जा रहा है कि यूजीसी के नॉर्म्स के तहत प्राध्यापक की नियुक्ति के लिए अधिकतम 35 वर्ष होना चाहिए ,जबकि कुणाल दास गुप्ता की जन्मतिथि 03/03/1970 और महाविद्यालय में नियुक्ति की तिथि 01/07/2016 है यानी लगभग 46 वर्ष की आयु में उन्हें सेक्शन 28 के तहत नियुक्ति भी मिल गई । ये चमत्कार केवल कमला नेहरू महाविद्यालय में ही संभव है ।
निजी रजिस्टर्ड संस्था द्वारा जारी प्रमाण पत्र
अब बात करते हैं शिक्षा संकाय के ही दूसरे सहायक प्राध्यापक राकेश गौतम की जिन्होंने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से एमएड और एमफिल की डिग्री हासिल की है । आरोप है कि इनकी अंकसूची फर्जी है क्योंकि बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए दोनों अंकसूचियों में उनका एनरोलमेंट नंबर ही नहीं है । आप स्वयं भी एमएड के अंकसूची की जांच कर सकते हैं ।
नामांकन क्रमांक रहित अंकसूची
गौरतलब है कि ये शिकायत काफी पहले से महाविद्यालय प्रबंधन से की जा चुकी है लेकिन मामले में किसी भी तरह की जांच एवं कार्यवाही की बात सुनने को नहीं मिली। ऐसा प्रतीत होने लगा कि कहीं हर शिकायतों की तरह इसे भी ठंडे बस्ते में ना डाल दें ।लिहाजा इस संबंध में जानकारी हासिल करने के लिए जब स्वराज टुडे न्यूज की टीम महाविद्यालय पहुंची तो प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। रिक्वेस्ट करने पर पहले तो वे गोलमोल जवाब देने लगे फिर एकाएक कैमरामैन पर भड़क गए और कहने लगे ‘ कैमरा बंद करो ।’
युजीसी की नियमावली क्रमशः
प्रभारी प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर से हमें ना तो कोई सहयोग मिला ना आश्वासन । अलबत्ता उनके रवैये को देखकर आप भी जरूर सोचने लगे होंगे कि दाल में कहीं ना कहीं काला जरूर है । हम भी यही चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके ।
साभार स्वराज टुडे
एडीटर दीपक साहू जी कोरबा
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