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कृषि कानून लोकतांत्रिक व्यवस्था की चीरहरण देश के किसानों की जीत – इंटक छत्तीसगढ़

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कृषि कानून लोकतांत्रिक व्यवस्था की चीरहरण देश के किसानों की जीत – इंटक छत्तीसगढ़

भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (INTUC) प्रदेशाध्यक्ष दीपक दुबे ने प्रेस को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि काला कानून किसान विरोधी बिल कृषि कानून जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के चीरहरण कर मोदी सरकार ने लागू किया गया जिसके विरोध में देश के किसानों ने एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किये उन्के ऊपर केंद्रीय राज्यमंत्री के लड़के ने गाड़ी चढ़ा दी किसानों पर कई बार लाठीचार्ज हुवा सैकडो किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए जिस कानून के देश भर के किसानों को जरूरत नही था जिसको लागू करने के बाद हिटलरशाही मोदी सरकार ने वापस ली यह देश की किसानों के जीत है यह कानून पूरी तरह से कान्ट्रेक्ट कृषि ,आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं किसानों के रोजगार के विरोधी था जिसके परिणामस्वरूप आज देश मे महंगाई चरम शिमा पर है जब राज्य सरकार आदर्श पुनर्वास नीति है लागू कर वह अपने राज्य के निचले स्तर के किसानों जिसमे अधिया ठेका में कृषि करने वाले भूमिहीन परिवार जो किसानी से जुड़े हुवे है उसके हित को ध्यान में रखता है तो केंद्र सरकार विपक्ष एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था की गलाघोंट बिना लोकसभा में बहस किये इस बिल को लाया जिस बिल की कभी किसी किसानों में मांग नही की यह सिर्फ अपने उद्योपति मित्रों को फायदा मिल सके इस लिए लाया था इसी प्रकार श्रमिको के लिए भी काला श्रमिक कानून लाया है जो श्रमिको ने कभी मांगा नही उन्हें मोदी जी अपने चुनावी फंड के व्यवस्थापक बीजेपी के नेताओ को चार्टेट प्लेन की व्यवस्था कराने वाले उद्योगपति ठेकेदारों की हित मे लाया है जिसमे श्रमिको को 12 / 12 घण्टा काम करना है किसी भी उद्योगों में श्रमिक आपने मांग को लेकर आंदोलन धरना नही कर सकते जैसे कानून लाये हैं देश के सम्प्पति को निजीकरण कर बेचा जा रहा है जिसके लिए श्रमिको को किसानों की तरह एक जुट होना है प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानून को वापस लेना हाल में हुवे कई राज्यो में विधानसभा लोकसभा के उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार और वर्तमान में होने वाले पांच राज्यो के विधानसभा चुनाव में अपनी ज़मानत बचाने की चाल है !
श्री दुबे ने कहा कि कृषि बिल के तरह आज श्रमिक कानून के विरोध में राज्य और देश के श्रमिक मजदूरों को एक जुट होने की जरूरत है कृषि बिल कानून के विरोध ,श्रम कानून के विरोध में हमेशा इंटक आवाज उठाती रही हैं आगे भी उठाएगी जल्द ही श्रम कानून को वापस लेने की मांग पर राज्य और देश व्यापी आंदोलन इंटक करेगा

 

 

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