मुंगेली जिले के स्वास्थ्य विभाग में आई फर्जी अंकसूची व फर्जी तरीके से नौकरी करने वालो की बाढ़, पहले स्वीपर पद बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (mpw) तो अब धोबी पद में भी किया गया फर्जीवाड़ा,,, देखिये पूरी खबर।
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मुंगेली जिले के स्वास्थ्य विभाग में आई फर्जी अंकसूची व फर्जी तरीके से नौकरी करने वालो की बाढ़, पहले स्वीपर पद बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (mpw) तो अब धोबी पद में भी किया गया फर्जीवाड़ा,,, देखिये पूरी खबर।
मुंगेली – बता दें कि मुंगेली जिले का स्वास्थ्य विभाग इन दिनों फर्जी नियुक्ति देने में चर्चा में है कुछ दिन पहले ही यहां के वर्तमान cmho ने पूर्व cmho व स्वीपर सन्तोष यादव के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए जाँच प्रतिवेदन के साथ में शिकायत किया गया तो वही कुछ माह पूर्व mpw के पद पर फर्जीवाड़ा किया गया जिसमें शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि इस पद पर भी फर्जीवाड़ा किया गया है व एक अपात्र अभ्यर्थी को पात्र कर दिया गया है , तो वही धोबी पद पर भी एक शिकायत की गई हैं ,
जाँच प्रक्रिया धीमी चल रही है शिकायतकर्ता-
शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि सन्तोष कुमार यादव व पूर्व cmho ड़ॉ जगदीश चंद्र मेश्राम के विरुद्ध मुंगेली जिले के तत्कालीन कलेक्टर ड़ॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने 2019 में एफआईआर दर्ज करने का आदेश विभाग को जारी किया गया था जिसे विभाग ने 2 साल से भी अधिक समय तक सहेजकर रखा था व एक अयोग्य व्यक्ति को वेतन का लाभ दिया जा रहा था विभाग की जाँच प्रक्रिया धीमी होने के कारण साशन को लगातार आर्थिक छति पहुंच रही हैं व अयोग्य व्यक्ति पद में व्याप्त हैं जो कि खेदजनक हैं।
चयन प्रक्रिया में चयन समिति भी जिम्मेदार –
बता दें कि शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि अभ्यर्थियों के चयन प्रक्रिया में 2 सदस्य सचिव व एक अध्यक्ष की नियुक्ति होती हैं, जिसमें सभी प्रमाण पत्रों का सत्यपान करते हुए यह लेख किया जाता हैं कि नियुक्ति से संबंधित आवेदन व आवेदन में संलग्न समस्त प्रमाण पत्रों में भलीभांति परीक्षण कर अभ्यर्थियों को पात्र किया जाता है, शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि चयन प्रक्रिया में चयन समिति की जिम्मेदारी बनती हैं कि किसी भी अभयार्थियो को चयन करने से पहले दस्तावेजों को परीक्षण किया जाए जबकि ऐसा नहीं किया गया है जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि इनकी भी मिलीभगत हैं ।
योग्य उमीदवार भटक रहे नौकरी की तलाश में –
एक अयोग्य व्यक्ति को नौकरी देना ही मात्र एक अपराध की श्रेणी में नही आता है, किसी योग्य उमीदवार को अपात्र करना भी अपराध है , किसी दूसरे योग्य अभ्यर्थियों का चयन उस पद पर होना था लेकिन विभागिय अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से अयोग्य व्यक्ति को पात्र कर दिया जाता है, जिससे कि एक कुशल योग्य उमीदवार नौकरी की तलाश में भटकते रहते हैं।
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