आखिर यह कैसा आंदोलन जहां रोज उड़ रही कानून की धज्जियाँ….?Farmers Protest: आखिर क्यों किसान खुलेआम उड़ा रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां….?

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Farmers Protest: आखिर क्यों किसान खुलेआम उड़ा रहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां?
सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इसका संज्ञान क्यों नहीं लिया कि उसके आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं? सड़कों पर कब्जे तो लोगों को बंधक बनाने वाली हरकत है। आखिर सुप्रीम कोर्ट सरकारों को इन कब्जों को हटाने के आदेश क्यों नहीं दे पा रहा है?
यह आंदोलन के नाम पर की जाने वाली खुली अराजकता ही नहीं, कानून के शासन की अवहेलना भी
सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों को बाधित करने वाले किसान संगठनों को जिस तरह आड़े हाथ लिया, उससे यह उम्मीद बंधती है कि लोगों को अराजकता से मुक्ति मिलेगी, लेकिन जब तक ऐसा हो न जाए, तब तक संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि किसान संगठनों की ओर से दिल्ली के सीमांत इलाकों में सड़कों को बाधित किए हुए दस माह बीत चुके हैं। इसके अलावा वे पंजाब एवं हरियाणा में टोल प्लाजा पर कब्जा किए हुए हैं और कई औद्योगिक प्रतिष्ठानों के बाहर धरना देकर उनका कामकाज भी प्रभावित कर रहे हैं।
यह आंदोलन के नाम पर की जाने वाली खुली अराजकता ही नहीं, कानून के शासन की अवहेलना भी है। यदि ऐसे अलोकतांत्रिक और अराजक तौर-तरीकों को सहन किया जाएगा तो फिर इससे लोकतंत्र का उपहास ही उड़ेगा। नि:संदेह यह स्थिति इसीलिए बनी, क्योंकि पुलिस और सरकारों के साथ अदालतों ने भी अपनी हिस्से की जिम्मेदारी का सही तरह पालन नहीं किया। यह क्षोभ की बात है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बार-बार यह कहे जाने के बाद भी हालात जस के तस हैं कि धरने-प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता।

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