*शारदीय नवरात्र अंबेटिकरा में प्रज्वलित होंगे मनोकामना ज्योति कलश* *प्रत्येक नवरात्र में जलते हैं हजारों मनोकामना ज्योति कलश
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शारदीय नवरात्र अंबेटिकरा में प्रज्वलित होंगे मनोकामना ज्योति कलश
*प्रत्येक नवरात्र में जलते हैं हजारों मनोकामना ज्योति कलश
(धरमजयगढ़ से भाई टीकाराम पटेल की खबर)
धरमजयगढ़। मां अंबे के दरबार अंबेटिकरा में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित होंगे।इस वर्ष अंग्रेजी तिथि अनुसार 7अक्टूबर से नवरात्र प्रारंभ हो रही है, जिसमें जगत जननी मां अंबे की पूजा अर्चना कर लोग उनसे सुख समृद्धि की कामना करते हैं। पूजा अर्चना के साथ ही लोग अखंड मनोकामना ज्योति जलाकर यह कामना करते हैं कि हमारे तन और मन का अंधकार दूर हो जाए और भक्ति का प्रकाश हमारे अंदर समाहित हो सके। अखंड मनोकामना दीप प्रज्जवलित का मतलब है की पूरे नवरात्र भर दिन रात बिना बुझे दीपक जलते रहे, और मां अंबे का आशीर्वाद हमारे पुरे परिवार पर बना रहे और मनोकामनाएं पूरी हो।मां के दरबार में अखंड
दीप प्रज्जवलित कराने से हजारों गुना अधिक फल प्राप्त होती है। आगामी शारदीय नवरात्र को लेकर शासकीय मंदिर समिति की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र में भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए ज्योति कलश स्थापना की जाएगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गांव गांव के लोग भी घर परिवार की खुशहाली एवं सुख समृद्धि हेतु मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित कराना चाहते हैं लेकिन उन्हें रसीद लेने के लिए मंदिर तक आना पड़ता है,इस बात को ध्यान में रख कर गांव-गांव में रसीद भेजे जाएंगे। सभी भक्त जनों से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर अपने नाम की दिपक जलाएं, सहयोग राशि शुल्क 601/- कन्याओं के लिए पूर्ववत 100/- की छुट रखी गई है। अर्थात कन्याओं के लिए सहयोग शुल्क 501/-रखी गई है। मां अंबे के दरबार में विभिन्न प्रांत छत्तीसगढ़ के कई जिलों और शहरों के हजारों भक्त मनोकामना की पूर्ति हेतु मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित कराते है और माता रानी उनकी मनोकामना पूरी करतीं हैं।अंबेटिकरा रायगढ़ जिला के धरमजयगढ़ (उदयपुर) से पश्चिमोत्तर दिशा में सात किलोमीटर की दूरी पर मांड नदी के तट पर स्थित है। यहां पहाड़ियों पर प्राचीन काल से निर्मित मां भगवती भवानी अंबे देवी की मंदिर स्थित है। यहां अभी भी प्रत्येक दिन सैकड़ों भक्त गण दूर दराज से यहां आकर माता का दर्शन करते हैं।
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