*⭕कटघोरा डीएफओ शमा फारूखी से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब….पूछा कहाँ हुआ है पौधा रोपण.? सप्लायर का क्यों रोका भुगतान…❓*
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*⭕कटघोरा डीएफओ शमा फारूखी से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब….पूछा कहाँ हुआ है पौधा रोपण.? सप्लायर का क्यों रोका भुगतान…❓*
*⭕बिलासपुर के ठेकेदार को 7 करोड़ फर्जी भुगतान का भी लगाया गया आरोप..⁉️*
*⭕कैम्पा एवँ विभागीय मद में भी गड़बड़ी का है आरोप…आखिर मैडम के ऊपर क्यों है विभागीय मंत्री मेहरबान..⁉️*
कोरबा-कटघोरा – हाईकोर्ट ने कटघोरा वनमण्डल अधिकारी शमा फारुखी से पूछा है कि वन मंडल के रेन्जों में कितने पौधे कहां- कहां लगाए गए हैं, उनकी पूरी जानकारी दें। पौधों की सप्लाई हुई है तो सप्लायर का भुगतान कितना किया और रोका तो क्यों रोका गया है? इस सवाल से महकमे में हड़कंप मची हुई है और पुराने डाटा खंगाले जाने लगे हैं।
वर्तमान से लेकर पूर्व अधिकारियों एवं अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा जो लीपापोती की गई है, आज उनकी परतें उघड़नी शुरू हो गई है। ऐसे ही एक मामले में पीड़ित व्यवसाई ने तमाम कोशिशों के बाद थक-हार कर हाईकोर्ट की शरण ली है।
दरअसल महामाया सेल्स, कटघोरा के संचालक मुकेश गोयल ने वर्ष 2018-19 में कटघोरा वन मंडल के कटघोरा, पसान सहित लगभग 6 रेन्जों में पौधों की सप्लाई की थी। वाहनों के जरिए पौधों की सप्लाई के एवज में करीब 40 लाख रुपए का बिल बना। काम तो पूरा करा लिया गया, जिसके लिए रेंजरों ने वर्कऑर्डर भी जारी किए थे और पौधों की सप्लाई की पावती भी दी गई लेकिन कार्य के एवज में भुगतान नहीं किया गया।
मुकेश ने वन मंडल स्तर पर अनेकों पत्र लिखे, कई बार वर्तमान डीएफओ शमा फारुखी से भी गुहार लगाई परंतु उसके हक का पैसा नहीं दिया गया। मजे की बात तो यह है कि इस बीच अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक बिलासपुर के एक सजातीय ठेकेदार को करीब 7 करोड़ का भुगतान जारी किया गया वह भी बिना किसी काम के..! इधर महामाया सेल्स का जायज भुगतान में कोई रुचि नहीं दिखाई गई बल्कि आज-कल पर टालते रहे। डीएफओ से लेकर रेंजरों ने कई बहाने बनाए। आखिरकार पीड़ित सप्लायर ने हाईकोर्ट बिलासपुर की शरण ली और अपने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल के माध्यम से रिट पिटिशन दायर किया। सीसीएफ, कटघोरा वन मंडल अधिकारी और संबंधित रेंजरों को इसमें प्रतिवादी बनाया गया है।
21 जून को हुई पहली सुनवाई में डीएफओ व अधिकारियों को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने निर्देशित किया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि जितने पौधों की सप्लाई कराई गई है, बिल और वर्क आर्डर में जितने आंकड़े दर्ज हैं, उसके अनुपात में कहां-कहां और कितने पौधे लगाए गए हैं, उसकी जानकारी दी जाए। हाईकोर्ट ने यह भी पूछा है कि पौधों की सप्लाई हुई है तो सप्लायर का भुगतान क्यों नहीं किया गया? यदि किया गया है तो कितना भुगतान किया गया और कितनी राशि रोकी गई है और क्यों रोकी गई है? उप वन मंडल अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे थे जिन्हें यह बताना था कि कितना राशि दिया गया और कितना बचा है, लेकिन उन्होंने भी कोई जानकारी प्रदान नहीं की।
जानकारी जुटाने में लगे हैं डीएफओ और रेंजर
इधर दूसरी ओर हाईकोर्ट का नोटिस मिलने के बाद अब डीएफओ के द्वारा पुराने फाइलों और बिलों को रेंजरों के माध्यम से खंगाला जाने लगा है। वन अधिकारियों के तोते उड़ गए हैं और वे हाई कोर्ट को संतोषप्रद जवाब देने की कवायदों में जुटे हुए हैं। देखना है कि स्टॉप डेम के मामले में जटगा रेन्ज अंतर्गत 48 लाख के (दो बार बह चुके) सोढ़ी नाला पार्ट-6 पुटुवा स्टाप डेम (जिसे वन विभाग अपना नहीं बता रहा) की जानकारी छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन से छिपा कर गुमराह करने वाले वन अधिकारी हाईकोर्ट में पौधा रोपण के मामले में जवाब कितना सही-सही तरीके से पेश करेंगे?
कैम्पा मद का हो रहा दोहन
गुणवत्ता हीन और घटिया सामग्रियों का उपयोग कर कमजोर निर्माण कराते हुए कैम्पा मद की भारी-भरकम राशि की बंदरबांट करने और कोरबा जिले से बाहर के ठेकेदारों को बिना काम उपकृत करने के मामले में बहुचर्चित कटघोरा वन मंडल की वर्तमान कार्यशैली अनेक तरह के सवालों के घेरे में है। पुटुवा स्टॉप डेम के मामले में पोड़ी-उपरोड़ा के एसडीएम संजय मरकाम के द्वारा एसडीओ(वन) को जानकारी व कार्यवाही के संबंध में लिखी गई चिट्ठी का अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। विभागीय अधिकारी सही जानकारी देने में आनाकानी कर रहे हैं बल्कि कुछ बताना भी मुनासिब नहीं समझते।
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