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पर्दाफाश

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*एस ई सी एल की दुर्गापुर – 2 खुली खदान प्रारंभ करना मांटो कार्लो के लिए नही है आसान मांटो कार्ले के लिए आसान नही डगर पनघट की – रविंद्र राय*

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*एस ई सी एल की दुर्गापुर – 2 खुली खदान प्रारंभ करना मांटो कार्लो के लिए नही है आसान मांटो कार्ले के लिए आसान नही डगर पनघट की – रविंद्र राय*

*असलम खान धरमजयगढ़ ब्यूरो* – मांड नदी की तराई पर बसा धरमजयगढ़ कोल भंडार युक्त क्षेत्र में एसईसीएल को दुर्गापुर कोल ब्लॉक खुली खदान लगभग 4400 एकड़ भूमि को कोल मंत्रालय द्वारा 2009 में आबंटित किया गया था ।बता दें एसईसीएल द्वारा 2014को अपनी कागजी कार्यवाही तो पूर्ण कर लिया गया ,परंतु विगत 7वर्षों से एस ई सी एल कर्मचारियों द्वारा फारेस्ट क्लीयरेंस नही करवा पाए।

इधर रेलवे विभाग द्वारा रेल लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण हो चुका है माल गाड़ी का ट्रायल भी हो चुका है,लेकिन एस ई सी एल द्वारा कार्य में गति नहीं ला पाने कारण कोल मंत्रालय भारत सरकार ने एमओडी सिस्टम से टेंडर करवाया फलस्वरूप उपरोक्त खदान गुजरात की कंपनी मंटोकार्लो को प्राप्त हुआ!
विदित हो की दुर्गापुर खुली खदान में 4400 एकड़ भूमि पर खदान होना प्रस्तावित है,जिसमे से 2800एकड़ निजी शेष भूमि वन,राजस्व की है।गौरतलब है इसमें नगरपंचायत धरमजयगढ़ के वार्ड नंबर 01,02,03 तथा
शाहपुर दुर्गापुर बायसी कालोनी पंचायत प्रभावित है।जिसमे सीधे तौर पे लगभग पच्चीस हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं।वहीं बफर जोन से लगभग साठ हजार लोग प्रभावित होंगे।
मालूम हो एसईसीएल द्वारा ग्राम सभा का सफल आयोजन नही कर पाया गया है,क्योंकि जब भी ग्राम सभा का आयोजन होता है ,किसान अपनी भूमि का मुआवजा को लेकर हो हल्ला करते हैं।यही वजह है की अभी तक एस ई सी एल अपना प्रोजेक्ट चालू नहीं कर पाया है।अलबत्ता रेलवे विभाग द्वारा रेलवे लाइन का कार्य पूर्णता की ओर है।इसमें एस ई सी एल ने 68 प्रतिशत,राज्य सरकार ने 10 प्रतिशत तथा शेष राशि रेलवे विभाग द्वारा वहन किया गया है।जबकि कोयला खदान चालू नहीं हो पाया है ,जिसके कारण रेलवे और कोल विभाग को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है।इसी वजह से कोल मंत्रालय दिल्ली एमओडी सिस्टम से कोल खनन हेतु जनवरी 2021में टेंडर लगाया और यह टेंडर गुजराती कंपनी मंटो कार्लो को प्राप्त हुआ है।
जहां कंपनी की कागजी कार्यवाही होने उपरांत आगे की कार्यवाही शुरू करेगा।परंतु बता दें मांटो कार्लो की डगर आसान नहीं है।क्योंकि सत्र 2007,-08मे भारत स्टील एल्युमिनियम कंपनी को 1300 हेक्टेयर भूमि एवम डीबी पावर को लगभग 600 हेक्टेयर भूमि कोयला खनन के लिए कोल मंत्रालय द्वारा प्राप्त हुआ था।जिसमे प्रभावित जनता ने योजना बद्ध तरीके से विरोध होता रहा ,फलस्वरूप सत्र 2014 तक खदान नही खुल पाया।
भारत सरकार की नई नीति के तहत इन दोनो कंपनी को प्राप्त कोयला खदान निरस्त कर दिया गया ।इसी तरह एस ई सी एल द्वारा खदान चालू ना करने पर भारत सरकार ने टेंडर प्रणाली द्वारा कोयला खदान मांटो कार्लो को आबंटित किया है।
धरमजयगढ़ मे कोल खदान खोलने के लिए यदि आंदोलन का इतिहास देखा जाए तो कंपनी के लिए राह आसान नहीं है।इस विषय को लोग गंभीरता से ले रहे हैं।खबर है की कंपनी का विरोध करने क्षेत्र की जनता करने लामबंद हो रहे हैं।ऐसे में गुजराती कंपनी मांटो कार्लो के लिए आसान नहीं है डगर पनघट की।

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