नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 97541 60816 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , *आजादी के बाद भी पत्रकारिता आज प्रभावी नही होती तो बेच खाते देश और बन गए होते फिर से गुलाम,देश समाज के लिए निश्वार्थ सेवा देने वाले है पत्रकार, जो अपनी जान की बाजी भी लगाकर करते है राष्ट्र की सेवा भूपेन्द्र किशोर वैष्णव* – पर्दाफाश

पर्दाफाश

Latest Online Breaking News

*आजादी के बाद भी पत्रकारिता आज प्रभावी नही होती तो बेच खाते देश और बन गए होते फिर से गुलाम,देश समाज के लिए निश्वार्थ सेवा देने वाले है पत्रकार, जो अपनी जान की बाजी भी लगाकर करते है राष्ट्र की सेवा भूपेन्द्र किशोर वैष्णव*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*📕✒️📕खबरें जो पीड़ित-प्रताड़ित, मजबूर लोगों को न्याय दिला दे*

*📕✒️📕खबर जो भ्रस्टाचारियों एवं घोटालेबाजों की नींव हिला दे*

*📕✒️📕जो किसी का गुलाम नही बनते उसी का नाम हैं पत्रकार, देश के चौथे स्तंभ से है जिस कलम का प्रहार*

हिंदी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है।
*गुलाम भारत को आजाद कराने हिन्दी पत्रकारिता की स्थापना करने वालो को कोटि कोटि नमन।*
और वर्तमान में भारत को पुनः गुलाम होने से बचाने वाले आज के तमाम पत्रकारों का नंदन वंदन अभिनन्दन।
पत्रकारिता देश की रक्षा में आज भी अहम भूमिका निभा रही।
जैसे बार्डर में सेना तैनात है वैसे ही आज लोकतंत्र और समाज में पत्रकार तैनात है।
देश समाज के लिए निश्वार्थ सेवा देने वाले है पत्रकार, जो अपनी जान की बाजी भी लगाकर करते है राष्ट्र की सेवा।
आजादी के बाद भी पत्रकारिता आज प्रभावी नही होती तो बेच खाते देश और बन गए होते फिर से गुलाम।

 


हिंदी पत्रकारिता गुलाम देश मे एक ऐसा ससक्त हथियार बना जिसने पूरे देश के हर कोने कोने में लोगो को जागरूक कर दिया तब कही जाकर अंग्रेजी हुकूमत देश छोड़ने मजबूर हुये। और आज भारत आजादी के 74वे वर्ष की शिखर पर एक प्रबल देश बनकर उभर रहा है। भारत के वीर शहीद तमाम योद्धाओं ने जो अंग्रेजों से सामना करने देशी बम बारूद और हथियार बनाते थे, अंग्रेजों को भगाने जो योजना बनाते थे उसके तमाम फार्मूले को पूरे देश के कोने कोने में लोगो तक पहुँचाने जानबूझकर अंग्रेजी हुकूमत के जेल जाते थे और न्यायालय में तमाम फार्मूले को व्यक्त करते थे जिसको उपस्थित पत्रकारों द्वारा प्रकाशित कर पूरे देश मे प्रचारित किया जाता था।
हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युगबोध और अपने समर्पण दायित्वो के प्रति पूर्ण सचेत थे और आज भी है। कदाचित् उस दौरान इसलिए विदेशी सरकार की दमन-नीति का उन्हें शिकार होना पड़ा था, उसके नृशंस व्यवहार की यातना झेलनी पड़ी थी। और आजाद भारत मे आज भी विदेशीनीति के गुलाम अधिकांश राजनेता पत्रकारों को कुचलने प्रयास करते रहते है। पत्रकारिता आज प्रबल नही रहती तो देश के अन्दर बैठे देश के गद्दार कब का देश बेच खाये होते और हमे गुलाम बना दिये होते। उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्टा और हिन्दी-प्रचार आन्दोलन अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भयंकर कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कितना तेज और पुष्ट था इसका साक्ष्य ‘भारतमित्र’ सन् 1878 ई. में, ‘सार सुधानिधि’ सन् 1879 ई. में और ‘उचित वक्ता’ सन् 1880 ई.के जीर्ण पृष्ठों पर मुखर है।
भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का अखबार, उदन्त मार्तण्ड द राइजिंग सन, 30 मई 1826 को शुरू हुआ।इस दिन को “हिंदी पत्रकारिता दिवस” के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसने हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत को चिह्नित किया था।
वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है। पहले देश-विदेश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था लेकिन आज हिन्दी भाषा का झण्डा चहुंदिश लहरा रहा है। 30 मई को ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ पर सभी वीर पत्रकारों को मेरा कोटि कोटि नमन और शुभकामनाएं।🙏
जो किसी का गुलाम नही बनते उसी का नाम हैं पत्रकार, देश के चौथे स्तंभ से है जिस कलम का प्रहार।
धन्य धन्य है मेरे वीर बहादुर हिंदी पत्रकार

*📕✒️📕भूपेन्द्र किशोर वैष्णव-संपादक( सीजी न्यूज लाईव- छत्तीसगढ़)

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  

You May Have Missed