पूर्व cbi मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल जी ने पत्रकार आशुतोष मिश्रा के ऊपर हुए एफआईआर को लोकतंत्र की हत्या बताया व पत्रकारों को इस तरह के झूठे एफआईआर होने पर क्या करे ?आवश्यक सलाह व दिशा निर्देश दिए हैं जाने क्या??

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पूर्व cbi मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने पत्रकार आशुतोष मिश्रा के ऊपर हुए एफआईआर को लोकतंत्र की हत्या बताया व पत्रकारों को इस तरह के झूठे एफआईआर होने पर क्या करे व आवश्यक सलाह व दिशा निर्देश दिए ,,,
May 07, 2021
बिलासपुर – छत्तीसगढ़ सरकार के अफसरों के खिलाफ अपने सख्त फैसलों से सुर्खियों में रहे पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने पत्रकार आशुतोष मिश्रा के ऊपर हुए एफआईआर को गलत ठहराया है व लोकतंत्र के चौथै स्तंभ की हत्या बताया है, उन्होंने कहा कि इस कोरोना के गम्भीर संकटकाल के समय इस तरह का कार्य कैसे हो सकता है, व उन्होंने हमारे माद्ययम से लोगो व पत्रकारों को इस तरह के हो रहे एफआईआर के सम्बंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिये व धारा 482 व कानूनी प्रक्रिया का उदाहरण भी दिया। व साथ ही साथ उन्होंने किसी भी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया की जानकारी व पूर्ण सहयोग करने की बात कही।
अगर किसी ने आपके खिलाफ लिखवा दी है झूठी FIR तो क्या है बचने का रास्ता
अक्सर कुछ लोग साजिश के तहत और गलत भावना रखते हुए बेगुनाह लोगों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखा देते हैं. इस पर पुलिस कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट में इंगित किए शख्स को गिरफ्तार भी कर लेती है. ऐसे मामलों में कैसे बचा सकता है,
हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो कानून का दुरुपयोग करना बहुत अच्छी तरह जानते हैं. अक्सर हम ये खबरें पढ़ते या सुनते हैं कि किस तरह लोगों को झूठी रिपोर्ट लिखाकर उन्हें फंसाने और परेशान करने का काम किया जाता है. ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है. अगर ऐसा हो जाए तो क्या कोई कानूनी रास्ता है, जिससे अपना बचाव किया जा सके.
हम आपको यहां यही बताएंगे कि अगर कोई आपके खिलाफ झूठी एफआईआर लिखवा देता है तो आपके पास इससे बचने के लिए क्या रास्ता है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 482 में इस तरह के मामलों को चैलेंज करने का प्रावधान किया गया है. यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी है तो इस धारा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
आईपीसी की धारा 482 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है. तब आप कोर्ट के जरिए इस मामले में आपके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं होगी. पुलिस को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी.
क्या है आईपीसी की धारा 482
इस धारा के तहत वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में प्रार्थनापत्र लगाया जा सकता है. इस प्रार्थना पत्र के जरिए आप अपनी बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं. आप वकील के माध्यम से एविडेंस तैयार कर सकते हैं. अगर आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका जिक्र जरूर करें.
आईपीसी की धारा 482 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है.
जब ये मामला कोर्ट के सामने आता है और उसे लगता है कि आपने जो सबूत दिए हैं वो आपके पक्ष को मजबूत बनाते हैं तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई रोकनी होगी. जिससे आपको झूठी रिपोर्ट लिखाने के मामले में राहत मिल जाएगी.
गिरफ्तार नहीं करेगी पुलिस
यदि किसी भी मामले में आपको षडयंत्र करके फंसाया जाता है तो हाईकोर्ट में अपील की जा सकती है. हाईकोर्ट में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती.

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