सख्ती के बावजूद नहीं रुक रही रेमेडिसिवर की कालाबाजारी! 77 हजार रुपए में बेचे जा रहे थे 4 इंजेक्शन
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रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी का एक मामला जबलपुर से सामने आया है.
मुखबिर से मिली सूचना पर दी दबिश
पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि तीन लोग रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं. जिसके बाद पुलिस ने प्लान तैयार कर आरोपियों को पकड़ा. पुलिस को पता चला कि तीनों लोग नेमा हार्ट अस्पताल के पास इंजेक्शन बेचने वाले हैं. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो देखा तो तीनों भागने लगे. हालांकि पुलिस ने तीनों को पकड़ लिया. पकड़े आरोपियों का नाम विवेक असाठी, रामलखन पटेल और अतुल शर्मा है. इन तीनो में एक एमआर है और दो निजी हॉस्पिटल में काम करते हैं.
जब इस मामले में इंजेक्शन खरीदने आये राजेन्द्र सिंह से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसका भाई तरवर सिंह अस्पताल भोपाल में भर्ती हैं, जिसे कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता है. उसे कहीं से इन तीनों की जानकारी मिली थी कि ये लोग इंजेक्शन दिला सकते हैं. जिसके बाद उसने तीनों से संपर्क किया. पुलिस ने बताया कि राजेंद्र ने विवेक असाठी से संपर्क साधा, जिसके बाद विवेक ने अपने परिचित रामलखन पटेल को फोन करके चार नग इंजेक्शन की जरूरत बताई. रामलखन ने 77 हजार रुपये में इंजेक्शन उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था, उसने आश्वासन दिया था कि उसका दोस्त अतुल शर्मा नेमा हार्ट अस्पताल के पास इंजेक्शन उपलब्ध करा देगा.
लिहाजा तय हुई योजना पर आरोपी अतुल शर्मा ने विवेक असाठी और रामलखन पटेल को फोन करके नेमा अस्पताल के पास बुलाया, इंजेक्शन लेने आए राजेन्द्र सिंह से 77 हजार रुपये में चार इंजेक्शन का सौदा तय हुआ. आरोपी विवेक असाठी ने 77 हजार में से 52 हजार रुपये अतुल शर्मा को दिए. इस काले खेल में विवेक असाठी ने 25 हजार रुपये अपने पास रखे और रामलखन पटेल ने 8 हजार रुपये अपने पास रख लिए थे.
घटना के बाद पुलिस तीनों को पकड़कर पूछताछ में जुटी है. पुलिस का कहना है कि जल्द ही और भी कई मामलों का खुलासा हो सकता है. इसके अलावा इन तीनों ने इंजेक्शन और किस-किस को बचे है. इसका भी पता लगाया जा रहा है.
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