*आखिर कब तक चलेगा छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद..? जिम्मेदार कौन?गैरजिम्मेदार गृह सचिव को तत्काल बर्खास्त करे सरकार- भूपेंद्र वैष्णव*
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*🎯अब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी- भूपेन्द्र किशोर वैष्णव*
*🎯बयान बाजी छोड़ ठोस रणनीति बनाये केंद्र-राज्य सरकार*
*🎯आखिर कब तक चलेगा लाल सलाम का आतंक -वीर जवानों के शहादत का सिलसिला*
*🎯प्रत्येक शहीद परिवार को सरकार दे 1-1 करोड़ का मुआवजा*
*🎯छत्तीसगढ़ के गृह सचिव को तत्काल बर्खास्त करे सरकार*
*🎯यदि नक्सलियो का खात्मा नही कर सकते तो कुर्सी छोड़े मुख्यमंत्री भूपेश एवं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू-*
*06/4/2021 बस्तर/छत्तीसगढ़/रायपुर*
एकबार फिर छत्तीसगढ़ बस्तर क्षेत्र की धरती जवानों के खून से लाल हो गई है। होली के कुछ दिन बाद ही नक्सलियों द्वारा जिस तरीके से जवानों के साथ खून की होली खेली गई है। आज 23 से अधिक जवानों ने अपने प्राण गंवा दिए हैं। लेकिन पकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक का झंडा गाड़ने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हो अथवा पूर्व में नक्सली हमले से अपने दर्जनों नेताओ को खोने वाले कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हो या फिर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू हो सबकी बोलती बंद है। आखिर वो सिर्फ सोसल मीडिया में श्रद्धांजलि की फोटो पोस्ट करके जवानों की मौत पर भी राजनीति करने के बजाय कोई ठोस कदम क्यों नही उठाते छत्तीसगढ़ में नक्सली खात्मे के लिए।
*इंटिलिजेंस सिस्टम फेल क्यों?*
तब भी इंटीलिजेंस सिस्टम फैल हुआ था आज भी फैल हुआ है। फर्क सिर्फ इतना है कि पूर्व में जब कांग्रेस के नेताओ के परिजन शहीद हुए थे तो कांग्रेस ने खूब हो हल्ला मचाया था लेकिन वर्तमान वारदात से जब 23 से ज्यादा जवानों के घर परिवार तबाह हुए है तो नक्सली खात्मे की बात करने के बजाय वही कांग्रेस के नेता मौन व्रत धारण करके सिर्फ सोसल मीडिया में श्रद्धाजंलि पोस्ट करके इस दुःखद घड़ी में भी सुर्खियां बटोरने में लगे हैं।
आज छत्तीसगढ़ सहित देश की जनता देश के प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री से पूछना चाहती है कि आखिर अरबो रु का राफेल किस काम का जब हम अपनी धरती पर खुद सुरक्षित नही हैं। आखिर देश के भीतर आतंक मचाने वाले नक्सलियों के खात्मे के लिए क्यों अजित डोभाल जैसे दिग्गज को जिम्मेदादारी नही दी जा रही है।
कब तक आखिर नक्सली आतंक के साये में जिएंगे छत्तीसगढ़ के लोग आखिर कब तक छत्तीसगढ़ महतारी की गोद अपने ही लालो के खून से लाल होती रहेगी । केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा करोड़ो अरबो का फंड आखिर कहाँ खर्च किया जा रहा है। आखिर विगत 23 वर्षों से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए कोई ठोस रणनीति क्यों नही बन सकी है।
*कोरोना की मार से पूरा देश प्रभावित और छत्तीसगढ़ में दोहरी मार कैसे झेले हम?*
जहाँ एकतरफ कोरोना के मार से पूरा देश एवं प्रदेश की आर्थिक स्थिति चरमरा चुकी है । वहीं आज छत्तीसगढ़ में नक्सली समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है। लेकिन इसके निराकरण के लिए कोई भी आईएएस या आईपीएस कोई ठोस रणनीति क्यों नही बनाते क्यों सिर्फ अपनी झोली भरने में जुटे रहतें है। आखिर बन्द ऐसी कमरों में कागज कलम लेकर कब तक फर्जी प्लानिंग बनाकर सरकारी बजट का बंदरबांट करेंगे ये आईएएस एवं आईपीएस आज हमे विदेशियों के आतंक से ज्यादा खतरा अपने देश के भीतर पल रहे इस लाल आतंक से है। क्योंकि आज हम दूसरों से लड़ सकते हैं पर अपनो से नही। नक्सली घटनाओं एवं टीम में शामिल लोग कोई विदेशी नही है वो भी यही के निवासी हैं। लेकिन आखिर क्यों आज वो लोग निर्दोष जवानों को एवं ग्रामीणों को अपना शिकार बनाते हैं। आखिर कब तक इस तरह बेगुनाह जवानों के परिवार में किसी का बेटा ,किसी का पति,किसी का भाई अपनी शहादत देता रहेगा। वो भी जब शहादत देने वाले परिवार को जब केंद्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा किसी प्रकार की ठोस आर्थिक सहायता भी नही दी जा सकती। सरकार को चाहिए कि तत्काल शहीद परिवार को कम से कम 1-1 करोड़ की तात्कालिक सहायता एवं उनके परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए।
*क्या वर्तमान कांग्रेस सरकार छ.ग.प्रदेश से नक्सलियों का खात्मा कर पायेगी*
कहतें है सरकारो के कहनी एवं कथनी में बहुत फर्क रहता है तभी तो छतीसगढ़ अपने ही पार्टी के दिग्गजों के शहादत पर उन्हें न्याय दिलाने के नाम पर सत्ता में काबिज कांग्रेस के द्वारा आजतक झीरम घाटी मामले में अपने ही पार्टी के नेताओ को न्याय नही दिला सकें है तो फिर यहां तो इस वक्त जवानों की शहादत की बात है भला सरकार उन जवानों के शहादत पर कोई भी कदम उठा पाएगी या नही यह एक चिंतनीय विषय है। आखिर कब तक आपस मे ही खून खराबे का यह सिलसिला चलता रहेगा।
*केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग क्यों नही करती छ.ग.प्रदेश बीजीपी की टीम* झीरम काण्ड के वक्त जब राज्य में बीजेपी की सरकार थी तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार अब जब बड़ा नक्सली वारदात घटित हुआ है तो राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो देश मे बीजेपी दोनो ही दलों के नेता सिर्फ आरोप प्रत्यारोप करने एवं विज्ञप्ति बाजी करने में ही व्यस्त हैं। लगातार 3 बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रह चुके वर्तमान बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह अथवा पूर्व में केंद्र सरकार के मंत्री रहे बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय आखिर आगे आकर अपने पार्टी के नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्यों नही प्रदेश में नक्सली खात्मे के लिए अजीत डोभाल जैसे कुशल रणनीति कार को बुलाकर कोई ठोस रणनीति तैयार करने कहते हैं। आखिर कब तक सोसल मीडिया में शहीदों के श्रद्धांजलि के पोस्ट डालकर घड़ियाली आंसू बहाते रहेंगे। बस्तर क्षेत्र में पूर्व कलेक्टर रहे ओ पी चौधरी क्यों नही नक्सलियों से बातचीत करके समाधान निकालने की कोशिश करते है। क्या इसीतरह बेगुनाह जवान शहीद होते रहेंगे एवं नेता अपनी रणनीति चमकाते रहेंगे।
*क्यों हो जाता है सरकार का सिस्टम फैल…❓* आज जब सैकड़ों जवानों का दल नक्सली सरगना के क्षेत्र में सर्चिंग एवं क्क़रीवाही के लिए गया जब नक्सलियों ने रॉकेट लांचर एवं एम्बुस लगाकर 23 से अधिक जवानों को मौत के घाट उतार दिया अनेकों जवान घायल हैं एवं लापता हैं तो आखिर किस अधिकारी ने यह रणनीति बनाई थी किसके मार्गदर्शन में यह अभियान चल रहा था कौन थे गृह विभाग के वो अधिकारी एव सचिव जिनके फैलियर प्लानिंग के वजह से आज 23 से अधिक जवान शहीद हो गए तो सैकड़ो लापता एवं घायल है। कौन आईपीएस उनको लीड कर रहा था सरकार ने उनकी क्या जवाबदारी तय की थी। आखिर गृह मंत्रालय क्या कर रहा था। यह सभी सवाल आम जनता के मन मे उठने लगा है। कि आखिर सेना अथवा पुलिस के छोटे अधिकारी जवानों पर कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा। आखिर सरकार के इंटिलिजेन्स सिस्टम को इतने बड़े प्लानिंग की जानकारी क्यों नही हुई। अगर थी तो ये जवानों को बिना पूर्ण तैयारी मौत के मुह में क्यों धकेला इतने बड़े नक्सली वारदात के बाद क्यों लापरवाह आईपीएस एवं गृह सचिव स्तर के लोगों पर कार्यवाही या जवाबदेही तय नही हुई है। क्यों आजतक गृहमंत्री छत्तीसगढ़ सरकार ने नैतिकता के नाते स्तीफा दिया है। क्या सिर्फ सोसल मीडिया में श्रद्धांजलि व्यक्त करने से ही उनकी जिमनेदारी खत्म हो जाती है आज आम जन मानस यह सवाल पूछ रहा है। कि आखिर अपने ही राज्य में जब जवान सुरक्षित नही है तब आम जनमानस की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा।
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*आखिर कब तक चलेगा छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद..❓*
* यूं तो सरकार प्रतिवर्ष बजट में प्रत्येक समस्याओं के समाधान के लिए करोड़ो अरबो के बजट का प्रावधान करती है लेकिन अरबो रु खर्च करने के बाद भी छत्तीसगढ़ में लगातार पनप रहे नक्सलवाद एवं उससे निपटने सरकार के सारे सिस्टम एवं दावे फैल हो जाने एवं अधूरी प्लानिंग एवं अकुशल रणनीति के कारण 23 से अधिक जवानों के शहादत एवं सैकड़ो जवानों के घायल अथवा लापता हो जाने के बाद अब आम जनता के द्वारा यह सवाल भी उठाया जाने लगा है कि ऐसी कमरों में बैठ के रणनीति बनाने वाले अधिकारियों के द्वारा कहीं नक्सली गतिविधियों को नियंत्रित करने मिलने वाले करोङो रुपयों की राशि भी तो कहीं भ्रस्टाचार की भेंट नही चढ़ गया है। आखिर जब गृह मंत्रालय के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा जब छोटे से पुलिस चौकी से लेकर थाना,एवं एसपी, आईजी स्तर तक कुर्शियों कि नीलामी प्रथा चला रखी हो एवं नक्सली क्षेत्र में होनहार एवं सुझबुझ वाले अधिकारियों को जिम्मा देने के बजाय उन्हें नक्सल क्षेत्र म न भेजने पैकेज के सिस्टम चलता हो वहाँ नक्सली गतिविधियों के खात्मे के बारे में सोंचना इतना आसान नही है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस भीषण नक्सल हमले के ये जिम्मेदार छत्तीसगढ़ सरकार के गृह सचिव सुब्रत साहू को तत्काल हटाते हुए किसी होनहार एवं जिम्मेदार अधिकारी को गृह सचिव की जिम्मेदादारी सौंपी जाये।
एडिटर भूपेन्द्र किशोर वैष्णव
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