बिलासपुर नगर निगम बगैर जांच के अस्थाई आवास आबंटन के दस्तावेज देने से कर रहा इंकार,मामला फर्जी आवास वितरण का।
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*बिलासपुर नगर निगम बगैर जांच के अस्थाई आवास आबंटन के दस्तावेज देने से कर रहा इंकार,मामला फर्जी आवास वितरण का*
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बिलासपुर।न्यायधानी का नगर पालिका निगम इन दिनों आवास आबंटन को लेकर चर्चे में है ज्ञात हो कि लंबे समय से नगर निगम में जमे कुछ भ्रष्ट्र लोगो की वजह से आवास देने के ऎवज में पैसो का लेनदेन किया जा रहा है जो शिकायतो के आधार पर स्पष्ट है क्योंकि आवास आबंटन को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री,संभागायुक्त, कलेक्टर एवं निगम आयुक्त सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों से की गई है जो जांच आज भी अधूरा है
मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने आवास आबंटित नाम की सूची में शामिल कुछ लोगो के दस्तावेज नगर निगम से मांगे जो नही दिया गया।नगर निगम का कहना है कि “चुकी वर्तमान में चाटापारा से विस्थापितों को इमलीभांठा आई.एच. एस. डी. पी आवास अस्थाई रूप से आबंटन किया गया है वर्तमान में आबंटन से संबंधित जांच की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है अतः आबंटन के प्रामाणित दस्तावेज जांच पूर्ण होने के पश्चात अंतिम रुप से आबंटित कर की गई कार्यवाही से आवेदक को सूचित किया जाएगा”
ज्ञात ही कि बीते दिनों चाटापारा को इमलीभांठा मे उचित मापदंड के तहत पुनर्वास कराया जाना था जिन मापदण्डो को नजरअंदाज करके पुनर्वास कराया गया है जैसा कि सरकारी नौकरी में पदस्थ कई परिवार के प्रत्येक सदस्यों के नाम आवास आबंटन किया गया एवं साथ ही पुनर्वास आवास आबंटन के वक्त जो चाटापारा के स्थाई निवासी नही है उनके नाम पर भी आवास आबंटन कर दिया गया जिसके खिलाफ लिखित में शिकायत होते ही अधिकारियो में हड़कंप मच गया और उच्चाधिकारियों द्वारा अस्थाई आवास आबंटन को दोबारा स्थाई आबंटन की कार्यवाही के नाम जग जाहिर हो चुके भ्रष्ट्राचार पर लीपापोती का कार्यवाही किया जा रहा है।
शिकायतकर्ता से मिली जानकारी में उक्त शिकायतकर्ता पर हमला भी हो चुका है जो शिकायतकर्ता आज भी डरा सहमा है आपको बता दे चाटापारा के नदी किनारे गरीबो के आशियाने उजाड़ने के बाद नगर निगम आवास आबंटन के नाम पर खेल-खेलता रहा किंतु शिकायत के बाद भी शासन -प्रशासन की कार्यवाही नगर-निगम के लिए बेअसर रहा
यदि उक्त मामले की निष्पक्ष जांच की जाती है तो बंदरबाट के फर्जीवाड़े से जल्द ही पर्दा उठ जाएगा।विकास एवं शौन्दर्यीकरण के नाम पर गरीबो के आशियाना उजाड़ने के बाद सिर्फ विज्ञप्ति बाजी करके गरीबो के हितों की बात करने वाले निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की इस गम्भीर मसले पर चुप्पी भी अनेको सवाल खड़े करता है। अंधा बांटे रबड़ी चिन्ह चिन्ह के दे कि तर्ज पर अपने चहेतों एवं मोटी रकम खर्च करने वालों को किये गए अवैधानिक आवास वितरण मामले में अब क्या कार्यवाही होता है यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल उक्त मामले ने मोटी रकम खर्च कर आवास हासिल करने बालो की नींद उड़ा दी है
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