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पर्दाफाश

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट-याचिकाकर्ता अजीत कुमार के विरुद्ध न्यायालय जांजगीर के पूर्व कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक की अग्रिम जमानत निरस्त करने याचिका लगाना पड़ा महंगा अवमानना की कार्यवाही हेतु उच्च न्यायालय ने दिया निर्देश।

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*जांजगीर के पूर्व कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक की अग्रिम जमानत निरस्त करने याचिका लगाना पड़ा महंगा*

*याचिकाकर्ता अजीत कुमार के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही हेतु उच्च न्यायालय ने दिया निर्देश*

*याचिकाकर्ता ने पूर्व कलेक्टर के अग्रिम जमानत आदेश को पक्षपात पूर्ण बताते हुए पुलिस महानिदेशक रायपुर एवं एडवोकेट जनरल हाई कोर्ट छग को किया था शिकायत*

बिलासपुर।मामले के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जांजगीर जिला के पूर्व कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक के विरुद्ध जांजगीर कोतवाली अपराध क्रमांक 256/2020 धारा 376,506,509बी और एसटीएससी एक्ट धारा 3(2)(v) के तहत मामला कायम किया गया था।जिसमे शिकायतकर्ता के द्वारा किए गए शिकायत में बताया गया कि पीड़िता के साथ पूर्व कलेक्टर के द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर यौनशोषण किये जाने तथा पीड़िता को ब्लैक मेल कर अपमानजनक अश्लील चैटिंग किया गया था तथा पीड़िता का धारा 164 दप्रस के तहत कथन लेने से इंकार किया गया था साथ ही पीड़िता के पति के साथ मारपीट की वारदात को अंजाम दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने अपने शिकायत में उक्त मामले को राजीनामा करने पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा मोटी रकम का पेशकश एवं धमकी भी पीड़िता को दिए जाने का उल्लेख किया गया था।

पीड़िता को न्याय दिलाने सहयोग करने वाले समाजिक कार्यकर्ताओं एवं सहयोगियों को भी दबाव डालने एवं पीड़िता के विरुद्ध चारित्रिक लांछन की बात लिखी गई है।

उक्त मामले में आरोपी पूर्व कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक को एमसीआरसीए 774/2020 दिनांक 14 अगस्त 2020 को अग्रिम जमानत जस्टिस श्री अरविंद सिंह चंदेल छग उच्चन्यायालय से प्रदान किया गया था।

उक्त अग्रिम जमानत मिलने के पश्चात पूर्व जांजगीर कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक एवं उनके सहयोगियों द्वारा पीड़िता एवं परिजनों को शिकायत वापस लेने अथवा झूठे मामलों में फसा देने का आरोप भी शिकायत पत्र में उल्लेखित किया गया था।

उक्त अग्रिम जमानत आदेश को चुनौती देकर जमानत निरस्त करने प्रकरण क्रमांक Cr.M.P NO 12 off 2021 दायर किया गया था जिसमे न्यायालय द्वारा जारी अग्रिम जमानत आदेश को निरस्त करने की मांग किया गया था जिसे न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता का पीड़िता से हितबध पक्षकार नही होना बताते हुए याचिका को निरस्त कर दिया गया वही न्यायालय के द्वारा याचिकाकर्ता अजीत कुमार घृतलहरे के द्वारा न्यायालय के विरुद्ध किए गए इस शिकायत को अनुचित बताते हुए याचिकाकर्ता के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना का कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है

याचिकाकर्ता अजीत कुमार का कहना है कि एसटीएससी एक्ट में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है इसके बावजूद पूर्व जांजगीर कलेक्टर को अग्रिम जमानत प्रदान करने के फैसले को चुनौती दिया था मैंने याचिका से पहले पुलिस महानिदेशक एवं एडवोकेट जनरल को उचित कार्यवाही हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था लेकिन मेरे आवेदन पर कोई सुनवाई नही हुआ जिसके बाद उक्त याचिका तैयार किया गया

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