हाईकोर्ट की महिला जज पर गिरी गाज, कम किया गया कार्यकाल, इन विवादित फैसले के कारण आई थी सुर्खियों में।
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हाईकोर्ट की महिला जज पर गिरी गाज, कम किया गया कार्यकाल, इन विवादित फैसले के कारण आई थी सुर्खियों में।
बॉम्बे हाईकोट
2019 में अडिशनल जज बनीं थी पुष्पा गनेडीवाला. नई दिल्ली. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की जज जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला (Pushpa Ganediwala) का अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल कम कर दिया गया है. हाल ही में जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला ने पोक्सो (POCSO) एक्ट के तहत दो फैसले सुनाए थे, जिस पर जमकर विवाद हुआ था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम की सिफारिश के अनुसार जस्टिस पुष्पा गणेदीवाला के नए कार्यकाल को केवल एक साल बढ़ाने का फैसला केंद्र द्वारा लिया गया है. सरकार ने शुक्रवार को उनके नए कार्यकाल की अधिसूचना जारी कर दी है. न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला का नया कार्यकाल 13 फरवरी से शुरू हो गया है क्योंकि शुक्रवार को एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 जनवरी को जस्टिस पुष्पा को हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन उनके विवादित फैसलों के बाद नियुक्ति के प्रस्ताव के लिए अपनी मंजूरी वापस ले ली थी. विवाद बढ़ने के बाद कॉलेजियम ने उनका कार्यकाल दो साल बढ़ाने की सिफारिश की थी. हालांकि अब कानून और न्याय मंत्रालय ने उनका कार्यकाल केवल एक साल बढ़ाने का फैसला ले लिया है। पुलवामा हमले की बरसी पर सीएम भूपेश बघेल ने दागे सवाल इन फैसलों पर जमकर हुआ विवाद जस्टिस गनेडीवाला ने एक फैसले में कहा था कि POCSO Act के तहत जब तक आरोपी पीड़िता से स्किन टच नहीं करता उसको यौन शोषण नहीं माना जाएगा. कपड़े के ऊपर से छूना अपराध नहीं होगा. इस फैसले को अटॉर्नी जेनरल के के वेणुगोपाल ने निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनका कहना है कि ऐसे फैसले से गलत परंपरा बनेगी।दूसरे फैसले में जस्टिस गनेडीवाला ने कहा कि किसी बच्ची का हाथ पकड़ कर आरोपी अपने पैंट का ज़िप खोलता है तो इससे यौन शोषण नहीं होगा।मरने वालों की संख्या 43 पहुंची, जाने लेटेस्ट अपडेट 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में अडिशनल जज बनीं थी पुष्पा गनेडीवाला महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 1969 में जन्मीं पुष्पा गनेडीवाला ने बी. कॉम, एलएलबी और फिर एलएलएम की पढ़ाई की है. वो 2007 में डिस्ट्रिक्ट जज नियुक्त हुई थीं. इसके बाद मुंबई सिविल कोर्ट और नागपुर की डस्ट्रिक्ट और फैमिली कोर्ट में भी रहीं. फिर बाद में वह बॉम्बे हाईकोर्ट की रजिस्ट्रार जनरल बनाई गईं. इसके बाद 2019 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में अडिशनल जज का पदभार दिया गया था।
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