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जानिए किस तरह होता है अमेरिका में राष्‍ट्रपति का चुनाव, क्‍या है प्रक्रिया?

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जानिए किस तरह होता है अमेरिका में राष्‍ट्रपति का चुनाव, क्‍या है प्रक्रिया?

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नई दिल्‍ली: अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है। वहां भी लोकतंत्र है तो जाहिर सी बात है कि जनता के वोटों को ही आधार माना जाएगा। भले ही अमेरिका में वोटिंग के आधार पर राष्‍ट्रपति का चुनाव होता है, लेकिन भारत में जिस तरह से पीएम का चुनाव होता है, वैसा अमेरिका में बिल्कुल भी नहीं होता है।

दरअसल, अमेरिका में 50 प्रांत हैं तो अलग-अलग प्रांतो की जनता अपने यहां से निर्वाचकों का चुनाव करती है, जिसे इलेक्ट्रॉल बोला जाता है। इनकी संख्या प्रांतों के हिसाब से अलग-अलग होती है। इन राज्यों में जिसे भी आधे से ज्यादा वोट मिलते हैं, उसके पाले में उस राज्य की सभी इलेक्ट्रॉल चले जाते हैं। ऐसे में जो भी उम्मीदवार होता है, वो उन राज्यों पर ज्यादा फोकस रहता है, जहां इलेक्ट्रॉल की संख्या ज्यादा होता है।

मौजूदा चुनाव में आंकड़ों पर जाएं तो अमेरिका में 6 बड़े स्टेट हैं, जहां के इलेक्ट्रॉल राष्ट्रपति चुनने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इलेक्ट्रॉल के हिसाब से अगर देखें तो कैलिफोर्निया सबसे बड़ा प्रांत है, जहां 55 इलेक्ट्रॉल हैं। यहां पर सर्वे में जो बिडेन की लोकप्रियता ज्यादा दिखाई जा रही है। दूसरे नंबर की बात करें तो टेक्सास है, जहां 38 इलेक्ट्रोरल हैं। यहां भी ट्रंप पिछड़ते दिख रहे हैं। न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में 29-29 इलेक्ट्रॉल हैं, जो तीसरे बड़े स्टेट में आता है। यहां पर भी बिडेन बाजी मारते दिख रहे हैं। पेन्सिलवेनिया और इलिनॉय प्रोविंस में 20-20 इलेक्ट्रॉल हैं। यहां भी सर्वे के आंकड़ों पर नजर डालें को ट्रंप की लोकप्रियता कम दिख रही है। सिर्फ इन 6 स्टेट्स के आंकड़ों को ही जोड़ ले तो 191 इलेक्ट्रॉल हो जाते हैं जो जीत के लिए जरूरी 270 से सिर्फ 79 कम हैं। अगर जो बिडेन इन राज्यों में अपनी बढ़त आखिरी वक्त बनाने में कामयाब होते हैं तो वो अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन सकते हैं।

कौन बन सकता है अमेरिका का राष्ट्रपति?

अमेरिकी में जन्म लेन वाला हर नागरिक, जिसकी उम्र कम से कम 35 साल हो

अमेरिका का नैचुरल/बॉर्न सिटिजन हो और जो कम से कम 14 साल से अमेरिका में रह रहा हो

कैसे होता है नामाकंन…

दरअसल, अमेरिकी जनप्रतिनिधि प्रेसिडेंट की उम्मीदवारी का फैसला करते हैं। अमेरिकी जनप्रतिनिधयों का चुनाव प्राइमरीज में किया जाता है।

क्या है प्राइमरीज?

प्राइमरीज यूएसए की पॉलिटिकल पार्टी का आंतरिक चुनाव है। इसमें पार्टी के सदस्य अपने उम्मीदवार को चुनते हैं। प्राइमरीज का चुनाव जनवरी से जून तक होता है।

एक शब्द है कॉकस

कॉकसी की भी उतनी ही अहमियत है जितनी कि प्राइमरीज की। कुछ राज्यों में जनता ‘प्राइमरी’ दौर में मतदान का इस्तेमाल न करके ‘कॉकस’ के जरिए पार्टी प्रतिनिधि का चुनाव करती है। ‘कॉकस’ के तहत राज्यों में स्थानीय स्तर पर बैठक कर पार्टी प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।

प्राइमरीज और कॉकस के बाद शुरू होती है असली लड़ाई, जिसे कहा नेशनल कन्वेंशन जाता है।

क्या होता है नेशनल कन्वेंशन ?

नेशनल कन्वेंशन में हर पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार का नाम तय करती है। प्रेसिडेंट कैंडिडेट, उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चुनाव करता है। लेकिन सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति बनने के दौरान अभी कई अहम मोड़ बचे हैं। नेशनल कन्वेंशन के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चुनाव प्रचार का मोड़ आता है। चुनाव प्रचार के दौरान तब तक जीत पक्की नहीं मानी जाती है, जब तक कि स्विंग स्टेट्स का वोट नहीं जीत पाए।

क्या है स्विंग स्टेट्स?

‘स्विंग स्टेट्स’ वे राज्य होते हैं, जहां के मतदाता किसी भी पक्ष की ओर जा सकते हैं। यहां से चुने जाने वाले इलेक्टर की संख्या सबसे ज्यादा होती है। जैसे कैलिफोर्निया से 55 इलेक्टर आते हैं।

चुनाव प्रचार के बाद वोटिंग का दिन आता है। वोटिंग का दिन भी मुकर्रर होता है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हर 4 साल बाद नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद यानि मंगलवार को कराने की परंपरा है। इसी दिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोटिंग होती है। इसी दिन अमेरिकी जनता 538 इलेक्टोरेल का चुनाव करती है। इसमें जिस भी उम्मीदवार के पक्ष में 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरेल होते हैं, उसके नाम पर इलेक्टोरल कॉलेज अपनी मुहर लगा देती है।

इस तरह दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क को मिलता है, उसका सबसे ताकतवर मुखिय़ा।

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