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10 लाख की रिश्वत लेते कांस्टेबल गिरफ्तार, SHO फरार

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10 लाख की रिश्वत लेते कांस्टेबल गिरफ्तार, SHO फरार

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जयपुर: राजस्थान में रिश्वतखोरी का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें एक नहीं बल्कि दो-दो जिलों के अलग-अलग पुलिस थानों में तैनात पुलिस वालों ने मिलकर रिश्वत लेने का गन्दा खेल खेला। इसमें रंगे हाथों एक कांस्टेबल गिरफ्तार हुआ है, जबकि एक थानाधिकारी फरार है। साथ ही कई और पुलिस वालों के इसमें भी शामिल होने की बात सामने आ रही है। रिश्वत का यह प्रकरण उत्तर प्रदेश के एक दवा कारोबारी के भतीजे को NDPS एक्ट में दर्ज एक मुकदमे में आरोपी नहीं बनने को लेकर लाखों रूपये की रिश्वत लेने से जुड़ा है। राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस खेल का पर्दाफाश किया है।

Rajasthan Police Constable Arrested

बताया जा रहा है कि कड़क-कड़क 16 लाख रूपये नोटो की रिश्वत लेने का यह खेल जयपुर के एक नामी होटल में चल रहा था तभी अचानक वहां पर एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारी पहुंच गए। जब आरोपों की गिरफ्तार किया तो जानकार हैरान रह गए कि आरोपी और कोई नहीं बल्कि राजस्थान पुलिस का एक कांस्टेबल था। दरअसल जयपुर के टोंक रोड स्थित होटल रेडिसन ब्ल्यू में ACB की यह कारवाई हुई। जिसमें करौली के रहने वाले कांस्टेबल नरेश चंद मीना को गिरफ्तार किया गया। नरेश के साथ श्रीगंगानगर जिले के जवाहर नगर थाना प्रभारी राजेश कुमार सियाग के भी मौजूद होने की सूचना था लेकिन ACB की टीम के पहुंचने की ना जाने उन्हें कैसे भनक लग गई की और वे मौके से फरार हो गए। ख़ास बात यह है की इस पूरी कार्रवाई को एसीबी जोधपुर टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी नरेंद्र सिंह चौधरी व पुलिस इंस्पेक्टर मनीष वैष्णव की अगुवाई में अंजाम दी गई।

दरअसल उत्तर प्रदेश में कानपुर के गोविंद नगर में रहने वाले कारोबारी हरदीप सिंह की 26 अक्टूबर को एसीबी जोधपुर में दर्ज शिकायत के आधार पर यह कारवाही हुई। शिकायतकर्ता की मानें तो वह और उसका भतीजा पवन कुमार अरोड़ा की कानपुर में श्री गुरु तेगबहादुर फार्मा के नाम से दुकान चलाते हैं। जिसके खिलाफ नशीली दवाईयां जब्त होने के आरोप हैं। श्रीगंगानगर जिले के सदर थाने में दर्ज एनडीपीएस एक्ट के तहत एक मुकदमे की जांच जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग के पास थी।

Rajasthan Police Constable Arrested

हालांकि जांच में नशीली गोलियों के कारोबार में उनकी फर्म की कोई भूमिका सामने नहीं आई लेकिन थानाप्रभारी सियाग उनके भतीजे पवन कुमार अरोड़ा को नोटिस देकर रिश्वत के लिए दबाव बना रहे थे। यहां तक की जांच के नाम पर 18 सितंबर को कांस्टेबल नरेशचंद मीणा और एएसआई सोहनलाल कानपुर में उनकी दुकान पर पहुंचे। पवन कुमार को दवाइयों के संबंध में पूछताछ के लिए एक होटल में ले गए और वहां उसे मुकदमे में गिरफ्तारी का डर दिखाया। जाते-जाते पहली किस्त के रूप में 15 लाख रुपए भी वसूल लिए, लेकिन 25 सितंबर को दोबारा कांस्टेबल नरेशचंद यूपी में पवन अरोड़ा के घर पहुंच गया और थानाप्रभारी राजेश सियाग के उनके दवाओं की जानकारी से संतुष्ट नहीं होने की बात कहते हुए 25 लाख रुपए और रिश्वत के मांगे। जिसमें से उसी दिन एक लाख रुपए लेकर वापस आने की बात कहकर लौट गए आ गया।

Rajasthan Police Constable Arrested

22 अक्टूबर को कांस्टेबल नरेशचंद मीणा तीसरी बार वापस यूपी पहुंचा और व्हाट्सएप कॉल से पवन अरोड़ा से बातचीत करके ना केवल 25 लाख रुपयों मांगे, पवन के दिल्ली होने की बात सुनकर कांस्टेबल नरेश ने तत्काल पवन को धमकाकर उसका दिल्ली का फ्लाइट टिकट बुक करवाने का दबाव भी डाला और फ्लाईट से कांस्टेबल नरेशचंद रिश्वत की रकम लेने दिल्ली पहुंच गया। और पवन अरोड़ा से 10 लाख रुपए में सौदा तय करके कांस्टेबल नरेशचंद मीणा ने पवन के चाचा हरदीप सिंह को 26 अक्टूबर को रिश्वत की रकम लेकर जयपुर बुलाया।

Rajasthan Police Constable Arrested

हरदीप सिंह के जयपुर एयरपोर्ट पहुंचने पर कांस्टेबल नरेशचंद खुद एक पिकअप लेकर रिश्वत लेकर आए हरदीप सिंह को लेने जयपुर एयरपोर्ट पहुंच गया और होटल इसके बाद वे दोनों होटल रेडिसन ब्लू पहुंचे। वहां कांस्टेबल नरेशचंद को हरदीप सिंह ने 10 लाख रुपयों की रिश्वत सौंपी। तभी इशारा मिलते ही एसीबी टीम ने कांस्टेबल नरेशचंद को धरदबोचा। उसकी व्हाट्सएप चैट्स व अन्य तथ्यों के आधार पर एसीबी ने पुलिस इंस्पेक्टर राजेश सियाग को भी आरोपी माना है, लेकिन वह फरार हो गया। ACB अधिकरियों का मानना है की इस मामले में कुछ और पुलिस वालों की भी भूमिका हो सकती है जिसकी जांच की जा रही है।

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