जुआ,सट्टा,शराब,रेत माफियाओं को खबर लिख Expose करने पर पत्रकार पर FIR दर्ज कर हंथकड़ी लगाके घुमाया
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जुआ,सट्टा,शराब,रेत माफियाओं को खबर लिख Expose करने पर पत्रकार पर FIR दर्ज कर हंथकड़ी लगाके घुमाया
रायगढ़/छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया में लॉक डाउन बेख़ौफ़ चल रहे जुआ-शराब सट्टा, रेत-भूमाफियाओं के बारे में खबर लिखने पर पहले तो पत्रकार दम्पत्ति को ब्लैकमिंग के झूठे मामले में एफआईआर दर्ज कर फंसाया फिर भी ऊपर वालों को राहत नही मिली तो …ऊपर वालों को खुश करने के लिए विगत 20 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे अधिवक्ता भूपेन्द्र किशोर वैष्णव खरसिया को पहले तो जबरन उसकी पत्नी के साथ जूठा मामला दर्ज करके फंसाया गया। लेकिन रिपोर्ट कर्ता के द्वारा बताए गये घटना के दिन एवं समय मे पत्रकार भूपेन्द्र वैष्णव 21 मई 2020 को रात्रि 10;40 से 11:40 बजे तक पुलिस चौकी खरसिया में उपस्थित रहने एवं उनकी पत्नी पत्रकार सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमतीं आरती वैष्णव को अपने खुद के घर मे बच्चे का जन्मदिन की पूजा करने रहने का दीजिटिल साक्ष्य जारी कर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री,डीजीपी,आईजी,एसपी को उनके सरकारी एवं निजी wtsp नम्बरो में उपलब्ध कराके मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग करने पर खरसिया पुलिस के द्वारा खीझ में आकर ऊपर वालों को खुश करने के लिए कोरोना महामारी काल मे पहले तो 2 मई को शाम 6 बजे सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार आरती वैष्णव को सैकड़ो कि सँख्या में पुलिस बल लेकर जबरन घर से गिरफ्तार कर दो छोटे छोटे बच्चो क्रमशः 13 एवं 10 वर्ष को दहशत दिखाते हुए रात्रि में कोर्ट में पेश किया गया वहीं बच्चों को बिना किसी को सुपुर्द किये घर मे छोड़ दिया गया।
वहीं अग्रिम जमानत के लिए पट्टा लेने एवं कोरोना से बचने मास्क सेनेटाइजर पहुंचाने आदिवासी अंचल के गांव गोरपार खरसिया गए भूपेन्द्र वैष्णव को सैकड़ो की संख्या में पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार कर खरसिया थाना लाया गया।
जहां रात्रि लगभग 12 बजे तक स्वयं थाना प्रभारी सुमत राम साहू एवं ड्यूटी में उपस्थित सब इंसेक्टर हुलस राम जायसवाल के उपस्थित होने के बावजूद 5 मई को भूपेन्द्र वैष्णव के विरुद्ध पुलिस के साथ मारपीट एवं थाना से भागने का प्रयास सहित लॉक डाउन उल्लंघन का 2 झूठा प्रकरण बना दिया गया।
वैष्णव दमपत्ती को पत्रकारिता एवं वकालत का पेशा छोड़ कोयला का काम करने समझाइस एवं दबाव बनाया गया।
3 मई को सुबह 11 बजे पत्रकार भूपेंद्र वैष्णव को थाने से हंथकड़ी लगाके खरसिया सिविल अस्पताल लाने का बात बोलके खरसिया रेल्वे फाटक नया से पैदल उतारकर खरसिया सब्जी मंडी से हॉस्पिटल रोड, पुलिस चौकी,टॉउन हॉल घर,सहित बीजेपी कार्यालय खरसिया होते हुए जैन मेडिकल चौक खरसिया एवं स्टेशन रोड खरसिया तक हंथकड़ी लगाके घुमाया गया।
खरसिया पुलिस के साथ सैकड़ो की संख्या में खरसिया के लोगों का हुजूम भी उक्त जुलूस में शामिल था।
जगह जगह पुलिस के द्वारा अपने जयजयकार के नारे लगवाए गए ।
जगह जगह सोसल डिस्टेंस का उल्लंघन करते हुए पुलिस एवं स्थानीय लोगों की भीड़ के द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में लोकडॉन के नियमो एवं शर्तों का जमकर उल्लंघन किया गया।
आखिर क्या कारण था कि एक झूठे शिकायत को इतना तूल देकर पत्रकार दम्पत्ति को ब्लैकमेलर,डकैत,असामाजिक तत्व क्या क्या कहके प्रचारित नही किया गया ।
क्या संसद भवन एवं होटल ताज पर हमला करने वालों सहित झीरम घाटी में बर्बरता पूर्वक 2 दर्जन कांग्रेस नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को बेरहमी से मारने वालों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ पुलिस अथवा अन्य राज्यों की पुलिस ने इतनी बर्बरता किया है। यह सवाल खरसिया की जनता पूछ रही है।
आखिर भूपेन्द्र वैष्णव एवं आरती वैष्णव का क्या दोष था कि उन्हें खरसिया से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में बदनाम करने की साजिस किया गया था।
पीआरओ से फर्जी पत्रकार की अनुशंषा की झूठी बाते प्रचारित किया गया। जबरन पत्रकार दम्पत्ति के घर से उनके मोबाइलों,वीडियो कैमरा,सहित माइक आईडी को ले जा के जब्ती बनाया गया है।
जबकि वैष्णव दम्पत्ति स्वयं के 4 न्यूज पोर्टलों में बतौर एडिटर स्वतंत्र पत्रकारिता करते है।
रायगढ़ जिला सहित प्रदेश के अधिकतर अखबारों एवं न्यूज चैनलों में उनकी खबरे छापी एवं दिखाई जाती है।
छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा की बात के दावे खोखले नजर आते है।
पत्रकार संगठन भी व्यक्ति देख के अपने नफा नुकसान के हिसाब से चन्दन तिलक लगाते है।
खरसिया सहित रायगढ़ एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न पत्रकार संगठनों को लिखित आवेदन देकर मामले के निष्पक्ष जांच का मांग किया गया किन्तु कोई भी पत्रकार संगठन पत्रकार दम्पत्ति का पक्ष जानना तो दूर उनके 2 मासूम बच्चों का तक हाल कोरोना महामारी काल मे नही पुछा।
उल्टे मामले में मिर्च मसाला डाल के अपने अखबारों की टीआरपी बढ़ाने में लगे रहे।
लगभग 4 माह बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद
आज यह वीडियो आम जनता से उनकी राय जानने जारी किया जा रहा है कि क्या कोरोना काल मे एक पत्रकार एवं अधिवक्ता के साथ इतना जुल्म ठीक है।
झूठे मामले से अपमानित एवं झुब्ध पत्रकार परिवार ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल से न्याय दिलाने अथवा ईक्षा मृत्यु की अनुमती मांगी है।
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