Loan Moratorium: आम लोगों को मिलेगी राहत? लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई
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Loan Moratorium: आम लोगों को मिलेगी राहत? लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरटोरियम मामले पर कल यानी 14 अक्टबर सुनावाई होगी। सुप्रीम कोर्ट आज की सुनवाई कल के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोन मोरटोरियम मामले से पहले आज उसे 24 मामलों की सुनवाई करनी है। हालांकि इन 24 मामलों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरटोरियम का मामला 14 अक्टूबर के लिए टाल दिया।
लोन मोरटोरियम मामले की सुनवाई जो बेंच कर रही है उसमें जस्टिस अशोक भूषण हैं लेकिन लंच ब्रेक के बाद उन्हें किसी दूसरे मामले में सुनवाई के लिए दूसरे जजों के साथ बैठना है। लिहाजा यह मामला कल के लिए टाल दिया गया है। मोरटोरियम पीरियड के दौरान ना चुकाए गए EMI पर ब्याज माफ करने की याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई में जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की एक बेंच सुनवाई कर रही है।
आपको बता दें कि लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है। जिसमें सरकार ने कहा है कि मौजूदा हालात में विभिन्न सेक्टर्स को और राहत देना संभव नहीं है। राजकोषीय नीति के मामले में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। ‘नीतियां बनाना सरकार का काम है और अदालत को सेक्टर विशेष को वित्तीय राहत देने के मामलों पर विचार नहीं करना चाहिए। दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज में दी गई राहत से ज्यादा कोई छूट देना अर्थव्यवस्था एवं बैंकिंग सेक्टर के लिए घातक होगा।’
इससे पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि दो करोड़ रुपये तक के एमएसएमई और पर्सनल लोन पर छह महीने की मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज नहीं वसूला जाएगा। इस छूट पर आने वाले खर्च को सरकार स्वयं वहन करेगी। पांच अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार के हलफनामे पर असंतोष जताया था। साथ ही केंद्र सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक को विस्तृत जानकारी के साथ हलफनामा देने को कहा था।
क्या है लोन मोरेटोरियम
दरअसल कोरोना संकट के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान लोगों पर आर्थिक बोझ कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था। यानी लोन पर किस्तें टाल दी गई थी। किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा। यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा। बाद में EMI चुकाने वालों को EMI पर भी ब्याज देना पड़ रहा है जिससे कुल मिलाकर उनपर बोझ कम होने के बजाय बढ़ा है। इसी ब्याज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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