IAS Success Story: पांच बार असफल होने के बाद भी अंतिम प्रयास में IAS नूपुर गोयल ने कैसे पाई सफलता
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IAS Success Story: पांच बार असफल होने के बाद भी अंतिम प्रयास में IAS नूपुर गोयल ने कैसे पाई सफलता
दिल्ली की नूपुर गोयल ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 11वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की है. बार-बार असफल होने वाली नूपुर ने कैसे पाई सफलता, आइये जानते हैं.
Success Story Of IAS Topper Nupur Goel: दिल्ली की नूपुर गोयल की यूपीएससी जर्नी काफी खास रही है. जैसी हिम्मत और धैर्य उन्होंने इस समय के दौरान दिखाया वह अचंभित कर देने वाला है. बड़े से बड़े कैंडिडेट भी इतनी बार असफल होने पर आशा का दामन छोड़ देते हैं. पर नूपुर ने एक दो नहीं पूरे पांच बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार अपने 6वें प्रयास में 11वीं रैंक के साथ न केवल सफल हुईं बल्कि टॉपर्स की सूची में जगह भी बनाई. ऐसा नहीं है कि नूपुर का यह सफर आसानी से कट गया या उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन उन्होंने इन परेशानियों, समाज के तानों और लोगों की अवहेलना भरी निगाहों के सामने कभी घुटने नहीं टेके. आज नूपुर बता रही हैं कि कैसे इस सफर में अपना मानसिक संतुलन बनाएं रखें और स्थिति चाहे जो हो कभी हार न मानें.
ऐसा रहा असफलताओं का दौर –
नूपुर गोयल दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में कहती हैं कि वे मुख्यतः दिल्ली की रहने वाली हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई यहीं से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की और इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स. वे वर्तमान में इंटेलीजेंस ब्यूरो में इंटेलीजेंस ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं.
नूपुर का यह सफर बहुत पहले आरंभ हुआ और हर साल वे असफल होती गईं. कई बार तो सफलता के बहुत करीब पहुंचकर भी वे सफल नहीं हो पाईं. अगर नूपुर के पूरे सफर के बारे में बताना हो तो पहले प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंची और दूसरे में प्री भी नहीं पास कर पाईं. तीसरे में फिर इंटरव्यू तक पहुंची और चौथे में फिर से प्री भी नहीं पास कर पाईं. पांचवे में फिर इंटरव्यू दिया लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया. अंततः अपने आखिरी प्रयास में उन्हें सफलता मिली और वे सीधे टॉप टेन की सूची में शामिल हुईं. नूपुर का यह सफर काफी कठिनाइयों से भरा था लेकिन वे यह सोचकर लगी रहीं कि आज नहीं तो कल वे जरूर सफल होंगी और एक बार सफल होने के बाद ये असफलताएं मायने नहीं रखेंगी.
अपनी टेबल पर लिखकर टागें कि क्यों जाना है इस क्षेत्र में –
साक्षात्कार में बात करते हुए नूपुर आगे कहती हैं कि सबसे पहले अपने इस क्षेत्र में आने का कारण खुद को बताएं और उसे लिखकर अपनी स्टडी टेबल के पास टांग दें. ऐसा इसलिए की जब-जब इस सफर में आपको परेशानियां आएं तो खुद को याद दिलाएं कि आप यहां क्यों आना चाहते हैं और आपकी मंजिल इन मुश्किलों से कहीं बड़ी है. इसे बार-बार पढ़ने से आप खुद को मोटिवेट रख पाएंगे और निराशा के दौर से भी आगे निकल पाएंगे.
सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए जानदार –
नूपुर कहती हैं कि यह सफर इतना लंबा होता है कि इसमें डिमोटिवेट फील करना नेचुरल है. ऐसे में आपका सपोर्ट सिस्टम तगड़ा होना चाहिए जो आपको लो टाइम से बाहर निकाले. जैसे आपके मां-बाप, परिवार, दोस्त और गुरु. वे कहती हैं कि सिविल सर्विस का सपना केवल इंडिविजुअल का न होकर जब सबका होता है तो वह आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. कठिन समय में जब आप हिम्मत हारने लगें तो खुद को याद दिलाएं कि आपसे इतने लोगों की आशाएं जुड़ी हैं, आप कदम पीछे नहीं ले सकते.
नूपुर साथ में यह जोड़ना नहीं भूलती कि जब आप सफल होते हैं और इन्हीं लोगों की आंखों में अपने लिए गर्व देखते हैं तो उस समय जीवन की उससे बड़ी पूंजी कोई महसूस नहीं होती.
यह जर्नी है अपने आप में खास –
नूपुर कहती हैं कि पहले तो इस परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पहले यह सोचकर इस क्षेत्र में मत आइये कि आप पहली ही बार में सफल हो जाएंगे. क्योंकि कई बार ऐसा नहीं होता, कई बार समय लगता है और कई बार बहुत समय लगता है. लेकिन यहां इस बात को ध्यान रखें कि यह जर्नी अपने आप में बहुत विशेष है जिसमें आप बहुत कुछ सीखते हैं. कहीं नहीं भी पहुंचे तो एक इंसान के तौर पर इतना निखर चुके होते हैं कि आपका कोई सानी नहीं रह जाता. वे एक बात और कहती हैं कि हार्डवर्क कभी बेकार नहीं जाता. आज नहीं तो कल आपको आपकी कड़ी मेहनत का फल मिलता जरूर है. जो वैल्यूज आप इस सफर में पाते हैं वे जीवन भर आपके काम आती हैं. इस जर्नी पर विश्वास करके सफर जारी रखें एक दिन मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे.
अपनी गलतियों को सुधारिए –
नूपुर कहती हैं कि कई बार सफलता मिलने में बहुत देर लगती है तो ऐसे में परेशान होकर न बैठ जाएं बल्कि देखें कि कमी कहा है. अपनी कमियों को स्वीकारिये और उन्हें सुधारिये फिर देखिए आपको सफलता जरूर मिलेगी. हालांकि जब पूरे साल की मेहनत के बाद रिजल्ट आता है और हम देखते हैं कि चयन नहीं हुआ तो इसे हजम करना आसान नहीं होता पर आपके पास आगे बढ़ने के सिवाय कोई विकल्प भी नहीं होता.
वे अंत में यही कहती हैं कि माली पेड़ों को पानी देता रहता है लेकिन फल तभी आते हैं जब रितु आती है, इसलिए आप भी बिना फल की चिंता किए बस करम करते रहिए. सही समय आने पर आपको फल जरूर मिलेगा और आपकी सालों की मेहनत बेकार नहीं जाएगी. बल्कि आपको पता चलेगा कि इस सफर में जो भी कुछ बुरा आपके साथ हुआ उसके पीछे कोई वजह थी.
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