विषय -’नवा छत्तीसगढ़, हमर विकास मोर कहानी’

एंकर

–   सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।

–   लोकवाणी की ग्यारहवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी के रायपुर स्टूडियो पधार चुके हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी, आपका हार्दिक स्वागत है।

–   इस बार का विषय है ‘‘नवा छत्तीसगढ़: हमर विकास- मोर कहानी’’। इस साल 1 नवम्बर, 2020 को छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को 20 वर्ष, पूरा होगा और आपकी सरकार को भी काम करते हुए 2 साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे समय में इस लोकवाणी कार्यक्रम का विशेष महत्व है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   आप मन ल धन्यवाद। अउ जम्मो सुनइया दाई-दीदी, सियान- जवान अउ लइका मन ला जय जोहार, नमस्कार।

–   ये दारी लोकवाणी के विषय तो अइसन हावय के आप मन ल सुनाना है अउ मोला बइठ के सुनना हे। फेर ये गोठ जरूर कहे बर चाहथंव के हमर राज्य के जनता, हमर श्रोता मन अब्बड़ समझदार हे। ओखर जुझारूपन, लगन अउ मेहनत के कारण छत्तीसगढ़ राज्य अपन जगह बनाए म सफल होय हे। मुख्यमंत्री के रूप मं मोर पौने दू बछर के अनुभव ह एही हावय, के आप मन के भागीदारी बिना कोनो सार्थक बुता नई हो सकय।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का आह्वान किया। ऐसी-ऐसी जनहितकारी योजनाएं बनाईं, और लागू कीं जिसके कारण प्रदेश के विकास की दिशा और उसमें जनता की भागीदारी से सफलता की अनेक कहानियां रची गई हैं। आइये शुरू करते हैं, ‘जनता की कहानी उनकी जुबानी’, और फिर आपके विचार इसमें शामिल होंगे तो सोने में सुहागा हो जाएगा।

–   मैं दक्षश्री साहू, रायपुर से। लोकवाणी कार्यक्रम म मोर प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल जी ल जोहार करत हंव। सिरतोन म मुखिया जी, अब छत्तीसगढ़ ल छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री मिले हवय। जेन ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़त हवय। हमर नंदावत तीज- तिहार, खान-पान अउ लोक-संस्कृति ल फेर नवा पहचान मिलत हवय। ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़े के संग म जुन्ना छत्तीसगढ़ के दिन मन ह फेर सुरता आवत हे। हां अब लगत हे के छत्तीसगढ़ ह छत्तीसगढ़िया मन बर बने हवय। ‘नवा छत्तीसगढ़’ के छत्तीसगढ़िया सरकार के जम्मो योजना मन नीक लगत हे, जेन ह वाकई म छत्तीसगढ़िया हितैषी योजना आय। ’नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ ले, लेके सरकार के जम्मो ’न्याय योजना‘ मन किसान, मजदूर अउ गरीब मन ल न्याय देवाय के योजना आय। मुख्यमंत्री जी ल मोर छोटे से आग्रह रिहिस के लोक-संस्कृति, खान-पान, तीज-तिहार के संगे संग हम छत्तीसगढ़िया मन के चिन्हारी ‘छत्तीसगढ़ी भाखा’ ल घलो उचित न्याय देवावव।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   बने कहेस दक्षश्री, नवा छत्तीसगढ़ गढ़े के मतलब हमर नंदावत संस्कृति ल, बोली-भाखा ल, खान-पान ल, मूल्य अउ संस्कार ल बचाना भी हे, अउ विकास के नवा रद्दा बनाना भी हे।

–   ‘नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ अउ ‘न्याय योजना’ मन ल मिला के देखबो त सफ्फा नज़र आही, के जहां ले एक बात खतम होथे उहीं ल दूसरइया बात सुरू हो जाथे। हमर प्रयास हावय, के सरलगहा योजना बनय, ते पाय के एक के फायदा दूसर बर मिलय। जइसे गरवा, गोठान अउ गोधन न्याय योजना। फेर वर्मीकम्पोस्ट ले धान-पान ल फायदा होही अउ बारी म घलोक लाभ मिलही।

–   नरवा के विकास होही त ओखर लाभ जम्मो कोती मिलही।

–   जहां तक छत्तीसगढ़ी के बात हरय, त हम मन जतका ऐखर सेवा करबो, जतका उपयोग करबो, जतका प्रचार करबो, वइसने संस्कृति अउ भाखा बाढ़त जाही। भाखा के विकास हमर हाथ मं हे। बाजारवाद के जमाना हे, जम्मो मन छत्तीसगढ़ी म गोठियाबो त पूरा बाजार अउ कम्पनी मन उही भाखा बोलही।

–   हां पाछू 15 बछर म बात आगू नइ बढ़ पाए, त ओ कमी ल हम मन पूरा करत हन। छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची मं शामिल कराए बर विधानसभा ले संकल्प पारित करा के, केन्द्र सरकार करा भेजे गे हे। हमर ताकत के उपयोग ले छत्तीसगढ़ी भाखा ल सिरमौर बना सकत हन। इही अपील आप सब मन ल करथंव।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी योजनाओं से किसान परिवारों में बहुत खुशी का माहौल है। सबसे ज्यादा कहानियां तो किसानों की हैं जो यह बताती हैं कि उन्होंने जितना सोचा भी नहीं था वो उन्हें पौने दो साल में मिल गया है। सुनते हैं कुछ कहानियां-

–   मैं पुरैन चन्द्राकर, चन्दखुरी, जिला-दुर्ग, निवासी। संयुक्त परिवार में 11 एकड़ खेती की जमीन है, जिसमें मेरा 1 लाख 5 हजार रूपए का कर्ज माफ हुआ। करीब 160 क्ंिवटल धान विक्रय किया हूँ, जिसमें साढ़े तीन लाख के आस-पास अपने धान का हुआ। उस पैसे से मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ, भूमि सुधार किया, खेतों की फिनिशिंग की और जमीन भी लिया हूं, दो गाय भी लिया हूं, एक माह में 30 हजार रुपए का गोबर भी बेचा हूं।

–   मेरा नाम जीवन प्रताप सिंह ग्राम लेपरा, दुर्ग का हूँ। वर्तमान में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत मुझे 15 हजार रुपए मिले हैं, जिससे मैं काफी खुश हूँ। कोरोना के चलते काम बंद था, पूरे पैसे खत्म हो गए थे। ऐसे में हम लोगों के पास बहुत समस्या आ गई थी पैसे-वैसे की। ऐसे समय में हमारे मुख्यमंत्री जी भूपेश बघेल जी ने जो पैसे दिए बहुत ही अच्छे समय में दिए हैं। मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। क्योंकि किसान के पास पैसा नहीं रहेगा तो खेती कैसे करेगा और किसान तो केवल अपने लिए नहीं कमाता है पूरे देश के लिए कमाता है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   हमने तय किया है, कि हमें किसानों को न्याय, स्वाभिमान और स्वावलंबन की जिंदगी देनी है। इसीलिये हमने धान का दाम 2500 रुपये क्विंटल, कृषि ऋण माफी, सिंचाई कर माफी, रियायती बिजली, अनुसूचित जाति-जनजाति किसानों को खेती के लिए निःशुल्क बिजली जैसी योजनाएं लागू की, ताकि किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आए। आप लोगों की बातें सुनकर मुझे काफी संतोष का अनुभव हो रहा है कि किसानों के लिए हम जो करना चाहते थे उसमें सफल हुये हैं। आपकी खुशी ही यह जाहिर करती है। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत 5 हजार 700 करोड़ रुपए देने का वायदा, आधा से ज्यादा पूरा हो चुका है। शेष राशि भी आपको जल्दी ही मिल जाएगी। हमने जो-जो कहा है, सब पूरा करेंगे। किसी को किसी भी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि पूरा मन लगाकर खूब फसल उपजाएं और खूब कमाएं।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, बस्तर के आदिवासी भाइयों और बहनों ने बताया है कि किस प्रकार अलग-अलग योजनाओं से उनके जीवन में बदलाव आया है। आइये सुनते हैं, उनके विचार-

–   मैं श्रवण जाडी, ग्राम पेद्दाकवाली, जिला बीजापुर से हूँ। हमारा गांव बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 90 कि.मी. की दूरी पर है, जो काफी अन्दरूनी एवं दूरस्थ क्षेत्र है। गांव में सरकार द्वारा सोलर होम लाइट लगाई गई है। जिससे गांव के लोग काफी खुश हैं। अब बच्चे रात में भी पढ़ाई कर सकते हैं। जंगल क्षेत्र होने के कारण रात को बाहर निकलना मुश्किल होता था। सांप, बिच्छू का डर रहता था। बिजली आने से अब रात में खाना बनाने, टी.वी. देखने एवं पंखे का उपयोग कर सकते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

–   मेरा नाम है अनिता ठाकुर और मैं ग्राम चीतालूर, जिला-दंतेवाड़ा की रहने वाली हूँ। मेरे समूह का नाम है माँ दन्तेश्वरी स्व-सहायता समूह और मैं दन्तेवाड़ा से हूँ। आपके द्वारा हमारे जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का शुभारंभ किया गया है और पहली बार स्वास्थ्य को महत्व दिया गया है। हमारे जिले में कुपोषण और एनीमिया को दूर करने के लिए सभी बच्चों एवं माताओं को पौष्टिक गरम भोजन दीदी लोगों के द्वारा बनाकर दिया जाता है, जिसमें उपयोग की जाने वाली सब्जी का उत्पादन भी दीदी लोगों के द्वारा बाड़ियों में किया जाता है। साथ ही सुपोषण योजना में जो अण्डे महिलाओं और बच्चों को दिए जाते हैं, वह भी जिले के ग्रामीणों द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।

–   मैं जिला दंतेवाड़ा ग्राम बालू से बोल रही हूं। मेरा नाम श्रीमती सविता ठाकुर है। मैं ‘सीता स्व सहायता सेवा समूह’ की सदस्य हूं। मुख्यमंत्री जी, आपकी सरकार ने जो वादा किया वह पूरा करके दिखाया है। पहले तेंदूपत्ता का मूल्य प्रति मानक बोरा 25 सौ रुपए मिलता था। आपकी सरकार के आने से अब प्रति मानक बोरा 4 हजार रू. मिल रहा है। ऐसे ही इमली इकट्ठा कर बाजार में बेचने पर प्रति किलो 20 से 22 रुपए मिलते थे। आज आपकी पहल के कारण 35 से 40 रू. प्रति किलो में बेच रहे हैं। इस वर्ष जिले में लगभग 3.50 करोड़ रुपए की इमली की खरीदी की गई है। सर, एक बात और बताएं कि उसी इमली का बीज निकालने से अब हमको दोबारा मुनाफा हो रहा है। बीज निकालने का 550 रू. प्रति क्विंटल लाभ मिल रहा है। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने इमली की रकम बढ़ाई और इमली बीज निकालने से हमें रोजगार भी मिला। सर, हमें किसी भी प्रकार की बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा था। आज आपके द्वारा ‘स्वर्गीय महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करके हमारे परिवार का ध्यान रखा गया। उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, जय जोहार।

–   मेरा नाम गणेश तिवारी है, जगदलपुर, बस्तर से। पेशे से शिक्षक हूँ। आमचो बस्तर के तहत आमचो रेडियो के माध्यम से कोरोना काल में स्कूली बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने का काम हम लोगों द्वारा किया गया। भूपेश सरकार और जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में आमचो बस्तर के तहत हम बच्चों की शिक्षा के लिए नए-नए प्रयोग कर पाए हैं। आमचो बस्तर के तहत बस्तर जिला में काजू, हल्दी, कॉफ़ी में रोजगार से लोगों को आर्थिक उन्नति का अवसर मिला है। साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को अच्छी सुविधाएं मिल रही हैं और आधारभूत विकास कार्यों में भी लोगों को काम मिल रहा है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   हमने वायदा किया था कि बस्तर में विकास की जो नई शुरुआत होगी, वह आपसी समझ, आपसी विश्वास की बुनियाद पर होगी।

–   बीजापुर से श्रवण भाई ने बताया कि उनके घर और गांव रौशन हो गये हैं, तो मन को बहुत संतोष हुआ।

–   जब हमने सुना कि बस्तर के दूरस्थ अंचल में 11 हजार 886 घरों में बिजली नहीं पहुंची है, तो हमने यह जिम्मेदारी क्रेडा को दी और आखिर काम पूरा हो गया, रौशनी पहुंच गई।

–   बिजली ही नहीं, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाओं की रौशनी भी पहुंचायी गई है।

–   सुकमा जिले के जगरगुंडा नक्सल प्रभावित गांव में 13 साल से स्कूल बंद थे, अब वे चालू हो गये।

–   बस्तर ने कुपोषण मुक्ति की अलख जगाई तो मुख्यमंत्री सुपोषण योजना बनाई गई और 1 साल में पूरे प्रदेश में कुपोषण की दर 13.79 प्रतिशत कम हुई।

–   तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया तो पूरे वनांचल में उत्साह की लहर उठी।

–   हमने लघु वनोपज खरीदने का दायरा 7 से बढ़ाकर 31 किया। और देखिए देश में सर्वाधिक वनोपज खरीदने वाला राज्य बन गए।

–   मनरेगा से सामान्य दिनों में जो राहत मिल रही थी वो तो ठीक है, कोरोना काल में तो यह लाइफ-लाइन बन गई और इसमें भी देश में सर्वाधिक काम देने का कीर्तिमान बना।

–   लोहाण्डीगुड़ा में आदिवासी किसानों की जमीन वापसी से उपजा उत्साह प्रदेश में 200 फूड पार्क स्थापित करने का माध्यम बन गया। 101 के लिए जमीन चिन्हांकित हो चुकी है।

–   हमने वायदा किया था कि बेवजह जेल में ठूंसे गए आदिवासियों को मुक्ति दिलाएंगे और आज मैं यह कह सकता हंू कि करीब 900 लोगांे की मुक्ति सुनिश्चित की गई है।

–   अब तो आमचो बस्तर की धमक भी सुनाई पड़ रही है।

–   इमली, हल्दी, काजू, कॉफी को आप लोगों ने बस्तर ब्रांड बना दिया है।

–   हम बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना बनाएंगे और इंद्रावती नदी को बचाएंगे।

–   भोपालपटनम में बांस आधारित कारखाना लगाएंगे।

–   कोंडागांव में मक्का प्रसंस्करण करेंगे।

–   दन्तेवाड़ा में मल्टीस्किल सेंटर स्थापित करेंगे।

–   बस्तर कुपोषण मुक्त होगा, मलेरिया मुक्त होगा और हर तरह के अन्यायों से भी मुक्त होगा, यह मेरा वायदा है।

–   नारायणपुर में उच्च क्षमता का ‘मोबाइल-टॉवर’ और जगदलपुर से हैदराबाद-रायपुर की हवाई कनेक्टिविटी से हालात और तेजी से बदलेंगे।

–   अब बदलता हुआ बस्तर सब के सामने है और आप लोगांे की आवाजों की चहक, इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। काफी कुछ आप लोगों ने ही कह दिया है। मैं तो खाली यह कहूंगा कि हम ऐसे रास्ते बनाएंगे जो बस्तर को तेजी से आगे बढ़ाएंगे।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने आदिवासी तथा परंपरागत वननिवासियों को न्याय दिलाने के लिए निरस्त दावों की समीक्षा का निर्णय लिया था। इस मामले में भी बड़ी उपलब्धियों का जिक्र हमारे श्रोताओं ने किया है। सुनते हैं कुछ विचार-

–   मैं शिव तुमरेटी, ग्राम पंचायत खेरखेड़ा, विकासखंड चारामा, जिला उत्तर बस्तर, कांकेर से। ग्राम पंचायत खेरखेड़ा को 24 अगस्त 2019 को माननीय मुख्यमंत्री के कर-कमलों से वन अधिकार पत्र मिला है। सामुदायिक निस्तार पत्र सामुदायिक पट्टा 4 हजार 596 एकड़ का। उसमें हमने गौठान को जोड़कर काम करना चालू किए हैं, जिसमें बकरी, मुर्गी पालन, बतख पालन, मछली पालन और साथ-साथ कम्प्यूटर और सिलाई मशीन का अभी काम चालू है, जिसमें अपने कई बेरोजगार साथियों के समूह को हमने काम दे रखा है, उनके आय के जरिए भी जोड़े हैं।

–   मेरा नाम संतराम भास्कर, ग्राम जमावड़ा, जिला दंतेवाड़ा निवासी हूं। आपके द्वारा हम आदिवासियों के लिए ‘पेसा एक्ट’ को प्रभावी बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। हम सब आदिवासी उन सबके लिए, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं। हम आदिवासियों के लिए वन अधिकार पत्र के नियम का सही रूप से पालन करवाया। सभी निरस्त केस की दोबारा सुनवाई करके हमारे भाई-बंधुओं को वन अधिकार पत्र उपलब्ध कराया। आपने हमारी आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए दंतेवाड़ा जिले के समस्त देवगुड़ियों को पर्यटन के रूप में विकसित किया। हमारी आदिवासी सांस्कृतिक धरोहर को पहली बार राज्य सरकार से प्राथमिकता मिली है। आपके सभी प्रयासों से जल- जंगल-जमीन का अधिकार हम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास जो हुआ, उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

–   नमस्कार, मैं मुलकूराम पैकरा, ग्राम पंचायत झरान, तहसील लैलूंगा, जिला रायगढ़ छŸाीसगढ़ से बोल रहा हूँ। सरकार के द्वारा 10 ग्रामवासियों को वन अधिकार पत्रक मिला है। सब खुश हैं, हम वहाँ खेती कर रहे हैं, फलदार वृक्ष लगाए हैं। गांव के उपयोग हेतु चारागाह, तालाब, गौठान, स्कूल, खेल मैदान, श्मशान घाट के लिए सामुदायिक वन अधिकार पत्रक मिल गया है। आपके सरकार से पहली बार हमने गांव के देव सीमा का जहाँ हम लोगों का पुरखा से निस्तार उपयोग करते आ रहे हैं। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार 2 अक्टूबर को मिल गया है। जिसका उपयोग ग्रामवासी करेंगे। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार क्षेत्र के विकास के लिए योजना बनाकर गांव के लोगों का विकास करेंगे, धन्यवाद।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   वन अधिकार पत्र के दावों को खारिज करके जो अन्याय किया गया था। हमने सरकार में आते ही उस पर कार्यवाही का निर्णय लिया और तय किया था कि समीक्षा के उपरांत बड़े पैमाने पर वन अधिकार पट्टे दिए जायेंगे।

–   इस प्रकार हमने निरस्त दावों में से 40 हजार से ज्यादा लोगों को व्यक्तिगत पट्टे दे दिये। 46 हजार, सामुदायिक पट्टे दे दिए। सामुदायिक पट्टे देने के मामले में तो यह एक नई क्रांति हुई है। इस प्रकार प्रदेश में 4 लाख 87 हजार भू-अधिकार पट्टों के माध्यम से 51 लाख एकड़ भूमि का पट्टा दिया जा चुका है, जो देश में सर्वाधिक है।

–   यह कार्य सिर्फ बस्तर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हुआ है।

–   इन वन अधिकार पट्टों से मिली जमीनों में, अब दर्जनों गांवों में खेती, पशुपालन, मछलीपालन तथा आजीविका के नये-नये काम हो रहे हैं।

–   मैं उन सभी परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं, जिन्हें ये पट्टे मिले हैं।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने को लेकर आपने बड़ा अभियान छेड़ा, लेकिन इसी बीच कोरोना संकट के कारण स्कूल, कॉलेज बंद करने पड़े, लेकिन ऐसे में भी बच्चों की पढ़ाई जारी रही, इसके लिए आपने जो नवाचार किये हैं, उसकी काफी चर्चा प्रदेश और देश में हो रही है। आपकी नवाचारी सोच और प्रयासों से जन्मी सफलता की कुछ कहानियां आइए सुनते हैं-

–   जी मैं अशोक सिंह लोधी, सहायक शिक्षक, शासकीय प्राथमिक शाला, पाठपानी, विकासखण्ड बैकुण्ठपुर, जिला कोरिया में पदस्थ हूँ। जैसे ही लॉकडाउन लगा। हमारे विद्यालय ही नहीं अन्य राज्य के विद्यालय भी बंद हो गए थे। उस दौरान हमारे माननीय मुख्यमंत्री, छŸाीसगढ़, श्री भूपेश बघेल जी के द्वारा अनोखी पहल ‘पढ़ई तंुहर दुआर’ के तहत ऑनलाइन क्लासेस प्रारंभ कराई गई। चंूकि हमारे विद्यालय दूर अंचल में होने के कारण वहाँ मोबाइल नेटवर्क नहीं है और वहां के अभिभावकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। हमारे विद्यालय में 70 प्रतिशत तक पण्डो जाति के बच्चे दर्ज हैं और गरीब हैं, जिससे बच्चे नहीं जुड़ पा रहे थे और जैसे ही ‘पढ़ई तंुहर दुआर’ प्रारंभ हुआ। हमने सोचा टी.वी. के माध्यम से मनोरंजन करते हुए बच्चे पढ़ेंगे और मुझे लगा कि बस्तामुक्त विद्यालय हो सकेगा। इसके पश्चात् हमने बाइक पर एल.ई.डी. टी.वी., ब्लू टूथ मोबाइल इन्वर्टर सेट बांधा और पूरे विद्यालय को ही लेकर बच्चों तक पहुंचाया और हमने बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना प्रारंभ किया।

–   मैं खोरबाहरा सोनवानी, शासकीय प्राथमिक शाला तेलीबांधा विकासखण्ड, जिला महासमुन्द से सबसे पहिली में हा अपन मुखिया माननीय श्री भूपेश बघेल जी ल बधाई देना चाहत हंव के अइसन कोरोना संकटकाल मा जेमा स्कूल बंद हे। तेमा हमर छŸाीसगढ़ शासन ह सुग्घर पढ़ाई घलो करवात हे। अइसन हमर मुखिया ल मैं बहुत-बहुत बधाई देवत हंव। लोगन मन के जो सोच राहय के सरकारी स्कूल के गुरुजी मन हर नई पढ़ाय। अइसन सोच ल गलत साबित करे बर हमर मुखिया हर सुग्घर ‘पढ़ाई तुंहर पारा, पढ़ाई तुंहर द्वार’ जइसे योजना ला संचालित करइस। अउ ऐमे हमर सब गुरुजी मन बढ़-चढ़ के भाग लिस। उही म हमुमन पढ़ावत हवन अपन स्कूल म स्पीकर के बोल। जेमे हमन सब पाठ ल अपन आवाज म लइका मन तक पहुंचाये के प्रयास करथन। आवाज ल चिप म रिकार्ड करथन ओखर बाद वो चिप ल छोटे से स्पीकर में डालके हमर गांव म लइका मन के पालक मन करा छोड़ देथन, लइका के पालक मन हर ओला चलाथे। ओ मोहल्ला के लइका मन आके ओखर घर म बैइठ के पढ़थे।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   लोधी जी, सोनवानी जी आप लोगांे के माध्यम से मैं समस्त शिक्षकों और शिक्षिकाओं को दिल से साधुवाद देता हूं।

–   हमने 14 हजार 850 स्थाई शिक्षकों की भर्ती, पहिली तथा दूसरी कक्षा के बच्चों को 20 बोली-भाषाओं में द्विभाषी पाठ्यपुस्तकों का वितरण, 51 सरकारी आदर्श अंग्रेजी मीडियम स्कूल, स्वामी आत्मानंद विद्यालयों की स्थापना जैसे बड़े निर्णय लिए।

–   शिक्षाकर्मियों का संविलियन 2 वर्षों में पूरा करने का वायदा भी निभाया है।

–   कोरोना संकट काल में बच्चों को स्कूल भेजना जितना खतरनाक था, उससे भी ज्यादा खतरनाक था बच्चों की पढ़ाई ठप होना। इसलिए हमने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहले ‘पढ़ाई तुंहर द्वार’ योजना शुरू की। जिसमें 22 लाख बच्चे और 2 लाख शिक्षक/शिक्षिकाएं जुड़े।

–   जहां इंटरनेट/कनेक्टीविटी को लेकर समस्याएं आईं तो ‘पढ़ाई तुंहर पारा’ योजना शुरू कर दी।

–   इस योजना को अद्भुत सफलता मिली है और इससे बहुत बड़ा संदेश निकला है कि बच्चे पढ़ना चाहते हैं और टीचर्स पढ़ाना चाहते हैं।

–   आंकड़ों की बानगी भी देख लीजिए-

–   22 हजार 916 शिक्षकों द्वारा 34 हजार 917 बसाहटों के पारे मोहल्लों में कक्षायें संचालित।

–   7 लाख 48 हजार 539 बच्चे पारा, मोहल्लों में भौतिक दूरी और सुरक्षा के साथ कर रहे हैं पढ़ाई।

–   2 हजार 278 शिक्षक, 4 हजार 298 दुर्गम स्थानों में 72 हजार से अधिक बच्चों को करा रहे हैं पढ़ाई।

–   इंटरनेट सुविधाविहीन स्थानों में ब्ल्यूटूथ के माध्यम से शिक्षण सामग्री प्रदाय।

–   बुल्टू के बोल के माध्यम से 26 हजार 522 लोगों को 55 हजार 748 आडियो सामग्री संप्रेषित।

–   पारांे-मोहल्लों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को मिस्डकॉल गुरुजी, मोटरसायकल पर सिनेमा वाले बाबू जैसे नामों से मिल रही लोकप्रियता।

एंकर

– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने उच्च शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार के लिए जो प्रयास किए हैं उसकी चर्चा होती रही है, लेकिन हाल में आपने महात्मा गांधी के नाम पर एक अद्भुत विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर दिया। इस पर भी विचार आए हैं। कृपया आइये सुनते हैं-

–   मैं अनंत पाण्डेय, तहसील लवन, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा  से। इस समय मैं बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर में एम.एस सी. (एग्रीकल्चर) का छात्र हूँ। मैं सभी युवाओं की ओर से मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई एवं धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने दो साल के भीतर ही महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय का शिलान्यास कर दिया है। आपकी योजनाओं से किसानों और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है लेकिन सवाल सिर्फ आज का नहीं है, भविष्य का है कि आगे क्या होगा। मेरा मानना है कि अनाज की खेती, धान की खेती से आगे बढ़े बिना बहुत मुश्किल होगी। जब फसल ज्यादा होगी तो अच्छा दाम मिलना मुश्किल होगा। इसलिए उद्यानिकी और वानिकी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। साग-सब्जी, फल के साथ वन और वनोपज को लेकर दूर की सोच जरूरी है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–   अनंत पाण्डेय जी, आपने स्वयं ही विस्तार से ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय’ के बारे में बता दिया है।

–   युवाओं को नए अवसर दिलाने के लिए प्रदेश में इंटरनेट ऑफ थिंग्स तथा रोबोटिक की प्रयोगशालाएं, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का पाठ्यक्रम सहित अनेक नये स्कूल/कॉलेज खोले गए हैं।

–   कॉलेजों में भी स्थायी शिक्षकों की भर्ती की जा रही है।

–   मेरा विश्वास है कि टीचर्स और बच्चे मिलकर प्रदेश में उपयोगी तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नई क्रांति लाएंगे।

एंकर

–   माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना शुरू की थी, उस योजना के हितग्राहियों ने भी अपनी कहानी सुनाई है-

–   मेरा नाम राजेन्द्र कुमार सोनी, तिफरा, जिला बिलासपुर का रहने वाला हूं। मेरे पुत्र कुणाल सोनी, 8 वर्ष, जिसको ब्लड कैंसर हो गया था, उसका इलाज विगत 2 वर्षों से एक निजी हॉस्पिटल में चल रहा था। इलाज सही नहीं होने के कारण बीमारी रिटर्न हो गई। डॉक्टर के द्वारा बताया गया कि इसका इलाज अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट है, लेकिन यहां संभव नहीं है और इसमें 20 से 30 लाख रुपए खर्चा होता है। चूंकि मैं एक मध्यमवर्ग परिवार का व्यक्ति हूं मेरे लिए इतना पैसा व्यवस्था करना असंभव था। लेकिन मुझे मालूम था कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री जी ने नई-नई योजना लागू की है। ‘मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना’, मैं इसी के माध्यम से सीएमसी हॉस्पिटल वेल्लोर चला गया, बच्चे का इलाज करवाने। वहां के डॉक्टर के द्वारा बताया गया कि इसमें लंबा खर्चा आएगा करके। कहां से पैसा लाओगे? तो मैंने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने नई योजना लागू की हैं, जिसमें 20 लाख रुपये तक की मदद मिलती है। तो डॉक्टर, मुख्यमंत्री के लिए खुश होकर बोले कि ऐसा है, तो हम इलाज शुरू करते हैं और मैंने 104 के माध्यम से जानकारी ली और जो डाक्यूमेंट्स बताएं। उसे खुद जमा किया जिसमें मेरे बच्चे के इलाज के लिए 20 लाख रुपए की सहायता मिली और मेरे बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ और इलाज हो गया। मैं जितना भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी को प्रणाम करूं और धन्यवाद करूं, वह बहुत कम है। ऐसा मुख्यमंत्री मैंने अपने जीवन में न कभी देखा था और न ही सुना था, जो आज की तारीख में ऐसा हमारे छत्तीसगढ़ को मुख्यमंत्री मिला है। उन्हें मैं अपने पूरे परिवार की तरफ से प्रणाम करता हूं। और हमेशा करता रहूंगा। मेरी बहुत इच्छा है कि मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलूं और उनके पैर पकड़कर प्रणाम करूं।

–   मेरा नाम अजीत कुमार जांगड़े है। मैं ग्राम बेथिया, तहसील जैजेपुर, जिला जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़ में रहता हूँ। मेरा पुत्र लक्की जांगड़े जिसका उम्र अभी 14 वर्ष का है। मेरे बच्चे को मेजर थैलेसिमिया नाम की बीमारी है। जिसका इलाज सिर्फ और सिर्फ बोनमेरो ट्रांसप्लांट है, लेकिन इसका जो खर्च है वो करीबन 20 से 25 लाख रूपए है। तो मैं अपने बच्चे का इलाज करा पाऊंगा ये उम्मीद छोड़ चुका था और डॉक्टर के कहे अनुसार मैं अपने बच्चे को हर 15 से 20 दिन में मतलब 14 साल से 15-15 दिन में ब्लड लगवा रहा था। माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने एक नई योजना ‘‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’’ शुरू किए। मैं तत्काल कुछ संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेकर के क्या-क्या इस अनुदान को पाने के लिए कागजात चाहिए। सारा कागजात में तत्काल संबंधित विभाग में जमा किया और कुछ दिन के बाद मुझे 14 लाख का एक डीडी मिला। फोन करके बताया कि आपका इलाज के लिए पेमेंट का स्वीकृत हो गया है। मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मैं अपने बच्चे का इलाज करवा पाऊंगा लेकिन आज हमारे जो मुख्यमंत्री है माननीय श्री भूपेश बघेल जी उनका मैं धन्यवाद देता हूँ। मैं प्रणाम करता हूँ कि उन्होंने एक ऐसा योजना लागू किया जो हमारे परिवार के लिए मेरे बच्चे के लिए संजीवनी बूटी का काम किया और मैं आज अपने बच्चे का इलाज सीएमसी क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में करा रहा हूँ और माननीय मुख्यमंत्री जी के आशीर्वाद से मेरे बच्चे का 16 अगस्त 2020 को बोनमेरो ट्रांसप्लांट कम्पलीट हो गया है। मैं गर्व से कहता हँू कि जो हमारे मुख्यमंत्री है भूपेश बघेल सरकार उन्होंने इस प्रकार का योजना को लागू किया और मेरे जैसे बहुत सारे परिवार हैं जो लोग पैसे के अभाव में इलाज नहीं करवा पाते हैं। उन सभी परिवारों के लिए यह योजना संजीवनी बूटी का काम करेगा। मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ। धन्यवाद देता हूँ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का जो इस प्रकार की योजना लाए हैं। अगर यही योजना 4-5 साल 7 साल पहले आ जाता। हमारे पिछले सरकार में आ जाता। मेरे बच्चे का जो 15-15 दिन में ब्लड लगता था जो तकलीफ होती थी। वो तकलीफ शायद मेरा बच्चा पहले ही ठीक हो सकता था और इतना तकलीफ जो हर 15 दिन में उसके साथ बीता है, शायद वो तकलीफ से बच जाता। मैं एक बार और पुनः मैं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी प्रणाम करता हूँ। धन्यवाद देता हूँ। हम जिन्दगीभर जो हमारा परिवार है। वो माननीय भूपेश बघेल जी का हम आभारी रहेंगे। धन्यवाद।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब

–  भाइयों, निश्चित तौर पर संवेदना के स्तर पर मैं ऐसे हर परिवार के साथ जुड़ा हूं जिन्हंे इलाज के लिए मदद की जरूरत है।

–   और कृपया कोई यह न समझे कि हमने किसी पर कोई उपकार किया है।

–   यह सुविधा मिलना आपका हक था जो हमने आपको आदर, विनम्रता और गरिमा के साथ दिया है।

–   बात निकली है तो मैं यह बताना चाहता हूं कि ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ के अंतर्गत 9 माह में 2 लाख 71 हजार लोगांे को 50 हजार रुपए तक इलाज की सुविधा निःशुल्क दी गई है।

–   वहीं मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत 9 माह में 315 लोगों को 20 लाख रुपए तक उपचार की सुविधा दी गई है।

–   सिर्फ इन दो योजनाओं में ही लगभग 350 करोड़ रूपए हमने खर्च किया है।

–   हमने स्वास्थ्य सुविधाओं को समुदाय और घरों तक पहुंचाया है।

–   हाट-बाजार क्लीनिक योजना, शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना की अपार सफलता और लाखों लोगों के उपचार से प्रेरित होकर अब ‘डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना’ की शुरुआत की जा रही है।

–   भाइयांे, बहनों और प्यारे बच्चों, इस माह से बड़े त्यौहारों का सीज़न शुरु हो गया है।

–   कोरोना को देखते हुए हमें बड़े और भीड़ वाले कार्यक्रमों से बचना है। इसलिए न खुद ऐसे आयोजन करना है और न भीड़ में शामिल होना है।

–   आप सबको नवरात्र, दशहरा, अग्रसेन जयंती, ईद-मिलादुन्नबी की शुभकामनाएं।

–   आप सबसे यही अनुरोध है कि मास्क के उपयोग सहित सुरक्षा उपायों का पालन करें और घर में रहकर, परिवार के साथ खुशियाँ मनाएं।

एंकर

–   अब लोकवाणी का आगामी प्रसारण 8 नवम्बर, 2020 को होगा।

जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी की बच्चों से बातचीत प्रसारित की जाएगी। अतः 16 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाएं, अपनी पढ़ाई, खेलकूद, भविष्य आदि विषयों पर अपने विचार 28, 29 एवं 30 अक्टूबर, 2020 के बीच रख सकेंगे। पहले की तरह ही आप फोन नम्बर 0771-2430501, 2430502, 2430503 पर अपरान्ह 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकार्ड करा सकते हैं।