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कभी तांगा चलाने वाला कैसे बन गया 5400 करोड़ का मालिक ?

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कभी तांगा चलाने वाला कैसे बन गया 5400 करोड़ का मालिक ?

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नई दिल्ली: असली मसाले सच-सच, एमडीएच, एमडीएच! इस विज्ञापन को टीवी पर देखते ही आपको एक जाने पहचाने शख्स की शक्ल दिखाई देती होगी। यह शख्स हैं 96 साल के धरमपाल गुलाटी। जी हां, वही धरमपाल गुलाटी, जो MDH मसाले के हर एड में दिखाई देते हैं। वही इस कंपनी के मालिक भी हैं। वह आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच 2020 की सूची में शामिल भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर शख्स हैं। कभी उनके पास कुल जमा पूंजी 1500 रुपये ही थी, लेकिन आज उनकी अपनी दौलत 5400 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। 96 वर्षीय गुलाटी का वेतन किसी अन्य एफएमसीजी कंपनी के सीईओ के मुकाबले सबसे अधिक हैं। खुद उन्हें सालाना 25 करोड़ रुपये का वेतन मिलता है। इसके अलावा उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

धर्मपाल गुलाटी (Dharmpal Gulati) की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। महाशियन दी हट्टी (एमडीएच) के मालिक धर्मपाल गुलाटी परिवार सहित 1947 में देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत चले आए और दिल्ली में आकर तांगा चलाना शुरू किया। भारत आने के समय उनके पास 1500 रुपये ही बचे थे, जिससे उन्होंने 650 रुपये में घोड़ा और तांगा खरीदकर रेलवे स्टेशन पर चलाना शुरू किया। कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपने भाई को तांगा देकर करोलबाग की अजमल खां रोड पर मसाले बेचना शुरू कर दिया।

धर्मपाल के मसाले की दुकान के बारे में जब लोगों को यह पता चला कि सियालकोट के देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में हैं, तो उनका कारोबार फैलता चला गया। गुलाटी परिवार ने मसालों की सबसे पहली फैक्ट्री 1959 में राजधानी दिल्ली के कीर्ति नगर में लगाई। इसके बाद उन्होंने करोल बाग में अजमल खां रोड पर ऐसी ही एक और फैक्ट्री शुरू की। 60 के दशक में एमडीएच करोल बाग में मसालों की मशहूर दुकान बन चुकी थी। करोल बाग में आज भी एमडीएच की पहचान है। कहा जाता है कि उनके पिताजी चुन्नीला सियालकोट (पाकिस्तान) में मसालों की दुकान चलाते थे, जिसका नाम महाशियां दी हट्टी था। इसी के नाम पर एमडीएच पड़ा। धर्मपाल गुलाटी महज पांचवी पास हैं।

इस तरह साल दर साल एमडीएच मसालों का कारोबार लगातार बढ़ता रहा और आज यह 100 से भी अधिक देशों में इस्तेमाल किया जाता है। एमडीएच के मालिक धर्मपाल गुलाटी यूरोमॉनिटर के मुताबिक एफएमसीजी सेक्टर में सबसे अधिक वेतन पाने वाले सीईओ बन चुके हैं। उनका वेतन करीब 25 करोड़ रुपये है। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह बहुत सक्रिय हैं और हर दिन एमडीएच के कारखाने, बाजार और डीलर के पास हर रोज जाते हैं।

एमडीएच मसालों के सबसे बड़े ब्रांड में से एक है और 50 विभिन्न प्रकार के मसालों का उत्पादन करता है। एमडीएच के कार्यालय न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई और लंदन में भी हैं। एमडीएच के 60 से अधिक उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन सबसे अधिक बिक्री देगी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला का होता है। एमडीएच ग्रुप महाशय चुन्नी लाल चैरिटेबल ट्रस्ट का संचालन करता है जो 250 बिस्तरों का एक अस्पताल चलाता है। इसके अलावा यह एक मोबाइल हॉस्पिटल का भी संचालन करता है जो झुग्गी बस्तियों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है।

जवां रहने का मंत्र

धर्मपाल बताते हैं कि वह रोज की तरह सुबह 4:45 बजे उठते हैं। दशकों पुराना नियम है कि सुबह उठते ही तांबे के गिलास का पानी पीते हैं। साथ में थोड़ा शहद लेते हैं। 5.25 बजे पार्क में पहुंचकर सैर, व्यायाम, आसन, प्राणायाम करते हैं। खाने में सभी कुछ ‘हल्का-फुल्का’ होता है। शाम को फिर एक बार पार्क, उसके बाद हल्का खाना और 10:30 बजे बिस्तर पर। जवान रहना है तो तीन बातों का ध्यान रखो। रोज शेव करो, एक बार दूध में मखाने जरूर डालकर पीओ और संभव हो तो बादाम के तेल की मालिश करो। बुढ़ापा पास नहीं आएगा।

बैंक का चैक चाहे पांच रुपये का हो या पांच करोड़ रुपये का, वह खुद ही साइन करते हैं। पूरी खरीदारी पर नजर रहती है। वह मानते हैं कि जिंदगी मे सफल और तनावमुक्त रहने के लिए सामाजिक और धार्मिक भागीदारी जरूरी है। आज भी उनकी भागीदारी चल रही है। सालों से हवन करने की प्रथा है और आज भी कर रहे हैं।

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