भारत को भारी पड़ेगी चीन की ये परियोजना, खतरे में लाखों लोगों का जीवन
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भारत को भारी पड़ेगी चीन की ये परियोजना, खतरे में लाखों लोगों का जीवन
नई दिल्ली: लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर नजर रखने वाले चीन अब अमेरिका के कैलिफोर्निया जैसा अपना शिनजियांग प्रांत विकसित करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रैगन के कदम से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।
चीन ने भारतीय उपमहाद्वीप से होकर बहने वाली दो प्रमुख नदियों ब्रह्मपुत्र और सिंधु का मार्ग बदलना शुरू कर दिया है, जो लाखों लोगों की जीवनरेखा हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का कदम पानी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को ड्रैगन की चाल को विफल करने के लिए एक ‘अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय ढांचा’ बनाना चाहिए।
सिंधु और ब्रह्मपुत्र तिब्बत में शुरू होती हैं। सिंधु नदी उत्तर पश्चिम से भारत में बहती है और पाकिस्तान में अरब सागर से मिलती है। दूसरी ओर, ब्रह्मपुत्र, पूर्वोत्तर में भारत से बांग्लादेश तक जाती है। ये दोनों नदियां दुनिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक हैं। चीन लंबे समय से इन नदियों की दिशा बदलने की कोशिश कर रहा है।
चीन ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग ज़ंगबो कहता है जोकि भूटान, अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र और सिंधु दोनों नदियां चीन के झिंजियांग क्षेत्र में उत्पन्न होती हैं। सिंधु नदी लद्दाख से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
एक अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने 1000 किमी लंबी सुरंग के माध्यम से ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को तिब्बत के पठार से टकलामकन तक मोड़ने की योजना बनाई है। यह एक सूखा क्षेत्र है।
बता दें कि चीन ने पहले ब्रह्मपुत्र की शिबाकु धारा को अवरुद्ध कर दिया था। चीन ने गलवान घाटी में हालिया संघर्ष के बाद गलवान नदी के प्रवाह को भी रोक दिया है। गलवान नदी सिंधु की एक सहायक नदी है।
चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने जुलाई 2017 में कहा था कि चीनी विशेषज्ञ शिनजियांग में नदियों को हटाने और संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया की तरह इसे विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए 1000 किलोमीटर लंबी एक विशाल सुरंग बनाने की योजना है। चीन अब अपने पश्चिमी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो पूर्व की तरह विकसित नहीं है।
तिब्बत में शिनजियांग में पानी ले जाने वाली सुरंग पर 147.3 मिलियन रुपये खर्च होंगे। सुरंग 10 से 15 बिलियन टन पानी भेज सकती थी। चीन का दावा है कि इस योजना से चीन में पानी की कमी खत्म हो जाएगी। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि सुरंग से जलीय जीवन को काफी नुकसान होगा और भूकंप का खतरा बढ़ जाएगा।
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में लाखों लोगों पर पानी का संकट
इस योजना से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लाखों लोगों के लिए जल संकट पैदा हो सकता है। ब्रह्मपुत्र के बिना भारत के उत्तर-पूर्व में जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। यही स्थिति लद्दाख और पाकिस्तान में सिंधु के पानी को लेकर है।
चीन अब पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर युद्ध छेड़ना चाहता है। इस तरह से पानी को रोककर चीन भारत की अर्थव्यवस्था को कड़ी टक्कर दे सकता है। जैसे ही यह परियोजना तिब्बत में आगे बढ़ेगी, भारत को सीमा पार सैनिकों को तैनात करना होगा। क्षेत्र में सड़कों और पुलों के निर्माण की योजना से भी चीन नाराज है।
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