कृषि उपज मंडी, किसानों का हैं मंदिर – अमित जोगी , भगवान राम का मंदिर बनाने वाले किसानों के मंदिर को न तोड़े
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*कृषि उपज मंडी, किसानों का हैं मंदिर – अमित*
*भगवान राम का मंदिर बनाने वाले किसानों के मंदिर को न तोड़े*
▶ *किसानों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं कांग्रेस – अमित जोगी*
◾ कृषि बिल पर कांग्रेस की दोगली नीति,
◾ किसानों के नाम पर कांग्रेस कर रही हैं राजनीति,
*01. वर्ष 2012 यूपीए सरकार ने राज्यों से एमएसपी में संशोधन करने का किया था आग्रह।*
*02. वर्ष 2018 लोकसभ चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र के खंड 11 में कहा गया हैं: कांग्रेस कृषि उपज बाजार समितियों के अधिनियम को निरस्त करेगी और कृषि उपज बाजार में व्यापार निर्यात और अतंर राज्यीय व्यापार सभी बाध्यताएं से मुक्त करेगी।*
▶ *भाजपा कांग्रेस किसान विरोधी, पूंजीपतियों के सहयोगी – अमित*
✍🏻 रायपुर, छ0ग0, दिनांक 28 सितंबर 2020। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने केन्द्र सरकार द्वारा पारित नई कृषि कानून को किसान विरोधी और किसानों के साथ अन्याय करार देते हुए कहा कृषि उपज मंडी किसानों के लिए सिर्फ धान खरीदी का एक केन्द्र और मंडी नहीं हैं बल्कि कृषि उपज मंडी किसानों का मंदिर हैं। अमित जोगी ने कहा भगवान राम के नाम पर राजनीति करने वाले और राम मंदिर बनाने वाले आज किसानों का ही मंदिर को तोड़ना चाहते हैं। धान खरीदी केन्द्र और एमएसपी जो किसानों का मूल आर्थिक आधार हैं इस व्यवस्था समाप्त करना चाहते है। अमित जोगी ने कहा केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि संबंधी तीन कानून किसानों के साथ वादा खिलाफी और धोखा हैं। इससे किसान पूंजीपतियों का कठपुतली बन जाएगा और खेत का मालिक किसान अब पूंजीपतियों के हाथों नाचेगा।
अमित जोगी ने कहा देश में सर्वप्रथम धान खरीदी की शुरूआत छत्तीसगढ़ के माटी के किसान पुत्र, राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री स्व0 जोगी ने धान का कटोरा कहे जाने वाले नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसे समय में किया था जब नए राज्य छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई थी और तत्त्कालीन प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी बाजपेयी जी ने भी धान खरीदी के लिए राज्य सरकार को एक रूपए भी देने से मना कर दिया था फिर भी स्व जोगी ने समर्थन मूल्य में किसानों की धान खरीदी की और छत्तीसगढ़ के किसानों का सशक्त और समृध्द बनाया था। स्व जोगी ऐसे कृषि नीति और निर्णय से छत्तीसगढ़ का किसान खुशहाल था।
अमित जोगी ने कहा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के द्वारा केन्द्र की नई कृषि कानून को छत्तीसगढ़ में लागू नहीं करने, इस संबंध में दिनांक 29 सिंतबर 2020 को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने तथा आगामी विधानसभा सत्र में संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों का विरोध प्रस्ताव लाए जाने के निर्णय को अन्नदाता किसानों के नाम पर राजनीति करने और घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया हैं। अमित जोगी ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी को याद दिलाया केन्द्र सरकार के द्वारा जो पारित तीन कृषि कानून में किसानों का मंदिर, कृषि उपज मंडी के स्वामित्व को समाप्त करने और निधारित सर्मथन मूल्य पर आज जो सवाल खड़ा हो रहा हैं उसकी परिकल्पना कभी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ही की थी:-
01. वर्ष 2012 में केन्द्र में जब यूपीए की सरकार थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने खुद राज्यों से एमएसपी में संशोधन करने को आग्रह किया था ।
02. वहीं अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी के द्वारा वर्ष 2018 लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र के खंड 11 में कहा गया हैं: कांग्रेस कृषि उपज बाजार समितियों के अधिनियम को निरस्त करेगी और कृषि उपज मंडी में निर्यात और अतंर राज्यीय व्यापार को सभी बाध्यताओं से मुक्त करेगी।
इस प्रकार कांग्रेस के इस सपने का केन्द्र की भाजपा सरकार ने कृषि कानून के बनाकर देश में लागू कर पूरा किया हैं। वास्तव में यदि कांग्रेस सरकार किसानों की इतनी ही हितैषी है तो अपने जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा क्यों नही करती हैं ? क्यों उनका संपूर्ण कर्जा माफ नहीं कर रही हैं ? क्यों किसानों का एक एक दाना धान नहीं खरीद रही हैं ? यदि कांग्रेस अपने जनघोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करती हैं तो वैसे ही केन्द्र की कृषि विरोधी कानून छत्तीसगढ़ में निष्प्रभावी हो जाएगी।
अमित जोगी ने कहा दूसरी तरफ केन्द्र सरकार इन बिलों के माध्यम से ओपन बाजार लागू करने की बात कर रही हैं। यह बिल अमेरिका जैसे विकासित देश में लागू हैं फिर भी वहां किसानों की हालत खराब हैं तब ऐसे कानून के लागू होने से विकासशील हमारे भारत देश में किसानों को क्या फायदा होगा ? अमित जोगी ने कहा इसी तरह का प्रयोग बिहार में भी वर्ष 2006 में किया गया और कृषि उपज मंडियों को समाप्त किया गया और इस व्यवस्था से बिहार के किसानों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय हो गई।
अमित जोगी ने कहा भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को किसान विरोधी और पूंजीपतियों के सहयोगी हैं।
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