भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सन् 1757 से सन् 1947 तक देश की आज़ादी में बलिदान हुए देशभक्तों को शहीद का दर्जा दे – देश की सरकार !
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सन् 1757 से सन् 1947 तक देश की आज़ादी में बलिदान हुए देशभक्तों को शहीद का दर्जा दे – देश की सरकार !
भारत के अमर शहीदों में सरदार भगतसिंह का नाम बहुत ऊंचा है उन्होंने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया,वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है वे अपने देश के लिए ही जिए और उसी के लिए शहीद भी हो गए उनका जन्म 28 सितम्बर 1907 को लायलपुर (पंजाब) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था ,जिसका अनूकूल प्रभाव उन पर पड़ा वे 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगें थे । डी.ए.वी.स्कूल से उन्होंने नवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारी होने लगी तो वे लौहोर से भागकर कानपुर आ गए यहाँ उन्हें श्री गणेश शंकर विद्यार्थी का हार्दिक सहयोग भी प्राप्त हुआ ।
देश की स्वतंत्रता के लिए अखिल भारतीय स्तर पर क्रांतिकारी दल का पुनर्गठन करने का श्रेय सरदार भगतसिंह को जाता है, उन्होंने कानपुर के समाचार पत्र ‘प्रताप’ में बलवंत सिंह के नाम से तथा दिल्ली के समाचार पत्र ‘अर्जुन’ के संपादकीय विभाग में अर्जुन सिंह के नाम से कुछ समय काम किया और अपने को ‘नौजवान भारत सभा’ से भी सम्बद्ध रखा ,वे चंद्रशेखर ‘आज़ाद’ जैसे महान क्रांतिकारी के समपर्क में आये और बाद में उनके प्रगाढ़ मित्र बन गयें ।
भगतसिंह 1928 में ‘सांडर्स हत्याकांड’ के वे प्रमुख नायक थे,8 अप्रैल 1929 को ऐतिहासिक ‘असेम्बली बमकांड’ के भी वे प्रमुख अभियुक्त माने गए थे,जेल में उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी वास्तव में इतिहास भगतसिंह के साहस,शौर्य,दृढ़ संकल्प और बलिदान की कहानियों से भरा पड़ा है ‘लौहोर षडयंत्र’ के मुकदमे में भगतसिंह को फांसी की सज़ा मिली तथा केवल 24 वर्ष की आयु में 23 मार्च,1931 की रात में उन्होंने हंसते – हंसते संसार से विदा ले ली ।
भगतसिंह के बलिदान से न केवल देश के स्वतंत्रता संघर्ष को गति मिली वरन् नवयुवकों के लिए भी यह प्रेरणा स्रोत सिद्ध हुआ वे देश के समस्त शहीदों के सिरमौर थे ।
देश तो आज आजाद हो गया मगर बहुत ही दुःख की बात है की देश पर अपनी जान की बाजी लगाने वाले देशभक्तों को सरदार “भगतसिंह “को स्वतंत्रा के 73 साल बीत जाने के बाद भी उन्हे शहीद का दर्जा नहीं मिला ये देश व देशवासियों के लिए देशभक्तों के लिए एक बहुत बड़ा सोचनीय विषय है जिस पर देश की सरकार ध्यान देवें नहीं देश के शहीदों के लिए बहुत जल्द देशभर में अवरण अनशन की जायेगी उचित माॅगो को लेकर शंकर सुमन शहीद भगतसिंह ब्रिगेड प्रदेश उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ ।
आजादी की कभी शाम न होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी कभी बदनाम न होने देंगे ।
बची हो जो एक बुंद भी गर्म लहूँ की ,
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम न होने देंगे ।।
देश के सच्चे सपूत शहीद भगतसिंह को आज उनके जन्मदिन पर शहीद परिवार वतनवासी शत्-शत् नमन् करतें है
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