🙏 जय जगन्नाथ – देखें puri live 🙏जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में आज शुरू हो रही है। यह भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
 
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आज, 27 जून 2025,
जगन्नाथ रथ यात्रा ओडिशा के पुरी में शुरू हो रही है। यह भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यह त्योहार भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
जगन्नाथ रथ यात्रा:
1. महत्व और इतिहास:
* पौराणिक महत्व: जगन्नाथ रथ यात्रा का संबंध कई पौराणिक कथाओं से है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ (जो भगवान कृष्ण का एक रूप हैं), बलभद्र और सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह यात्रा उनके भक्तों को दर्शन देने और उनके साथ समय बिताने का प्रतीक है।
* राजा इंद्रद्युम्न का संबंध: राजा इंद्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे और उन्हें ही भगवान की मूर्तियों की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। स्कंदपुराण में इस यात्रा का उल्लेख है।
* सामाजिक समरसता: यह यात्रा न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि सामाजिक एकता और समरसता का प्रतीक भी है। इसमें विभिन्न समुदायों के लोग भाग लेते हैं।
* विश्वव्यापी आकर्षण: यह यात्रा न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, जिसमें विदेशी भक्त इसे ‘पुरी कार फेस्टिवल’ के नाम से भी जानते हैं।

2. पुरी का जगन्नाथ मंदिर:
* निर्माण: पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा राजवंश के शासक राजा अनंतवर्मन चोडगंगा देव द्वारा बनवाया गया था। यह कलिंग शैली की वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है।
* संरचना: मंदिर लगभग 65 मीटर (214 फीट) ऊंचा है और एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जो चहारदीवारी से घिरा है। मुख्य मंदिर वक्ररेखीय आकार का है जिसके शिखर पर भगवान विष्णु का श्री सुदर्शन चक्र मंडित है।
* 22 सीढ़ियाँ: मंदिर में प्रवेश के लिए कुल 22 सीढ़ियाँ हैं। इनमें से तीसरी सीढ़ी को ‘यम शिला’ कहा जाता है, जिस पर मृत्यु के देवता यमराज का वास माना जाता है। मान्यता है कि इस सीढ़ी पर उतरते समय पैर नहीं रखना चाहिए।
* सबसे बड़ी रसोई: जगन्नाथ मंदिर की रसोई भारत की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है, जहां हर दिन हजारों भक्तों के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है।
* चार धाम में से एक: यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के चार धामों में से एक है, और माना जाता है कि यहां भगवान कृष्ण का हृदय धड़कता है।
3. रथ यात्रा के अनुष्ठान:
रथ यात्रा कई दिनों तक चलती है और इसमें कई अनोखे अनुष्ठान शामिल होते हैं:
* स्नान यात्रा: रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को 108 घड़ों के सुगंधित और पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद माना जाता है कि भगवान बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें ‘अनासर घर’ (आइसोलेशन) में रखा जाता है, जहाँ भक्त सीधे उनके दर्शन नहीं कर पाते हैं।
* नवयौवन श्रृंगार: रथ यात्रा से एक दिन पहले, स्वस्थ होने के बाद भगवान का ‘नवयौवन श्रृंगार’ किया जाता है और उनसे रथ यात्रा के लिए आज्ञा ली जाती है।

* छेरा पन्हारा: रथ यात्रा के पहले दिन, ओडिशा के मुख्यमंत्री (पहले राजाओं के वंशज) सोने की झाड़ू से रथ के रास्ते की सफाई करते हैं। इस अनुष्ठान को ‘छेरा पन्हारा’ कहा जाता है, जो राजा की भगवान के प्रति विनम्र सेवा का प्रतीक है।
* रथों को खींचना: लाखों भक्त रस्सियों से तीनों भव्य रथों को खींचते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’, बलभद्र का ‘तालध्वज’ और सुभद्रा का ‘देवदलन’ या ‘पद्म ध्वज’ कहलाता है। रथों को खींचना एक सम्मान और भक्ति का कार्य माना जाता है, जिससे पापों से मुक्ति मिलती है।
* गुंडिचा मंदिर में प्रवास: रथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं, जहाँ भगवान सात दिनों तक निवास करते हैं।
* हेरा पंचमी: इस रस्म में देवी लक्ष्मी, जो जगन्नाथ मंदिर में पीछे रह जाती हैं, गुंडिचा मंदिर जाती हैं क्योंकि भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर गए हैं।
* बाहुड़ा यात्रा: आठवें दिन, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा गुंडिचा मंदिर से वापस अपने मुख्य मंदिर लौटते हैं।
(27 जून 2025):
उड़ीसा में आज निकाली जा रही है जगन्नाथ रथयात्रा
आज जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुरी में इकट्ठा हुए हैं और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिसमें 10,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। यह यात्रा 8 जुलाई तक चलेगी। मुख्यमंत्री मोहन माझी ने सभी श्रद्धालुओं को इस अवसर पर बधाई दी है।
यह त्योहार भक्ति, संस्कृति और परंपरा का एक अनूठा संगम है, जो हर साल लाखों लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
 
                
            
            
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