“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”….नारी आज वास्तविक सम्मान,जीवन जीने का स्वतंत्र अधिकार चाहती है, अपने पुण्य कर्मो से पूजनीय तो वो सदा सदा से है

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के सम्मान और उनके समाज में योगदान को महसूस कराने के लिए तय किया गया है। यह दिन एक उत्सव की भावना के साथ दुनिया भर में मनाया जाता है।
महिलाओं ने समाज को विकसित बनाने में अहम भूमिका निभाई है। वे घरेलू कामों के अलावा समाज के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में भी अपने कौशल का प्रदर्शन करती हैं। उनका योगदान शिक्षा, सेवा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कई अन्य क्षेत्रों में बेहद खास है।
हर साल 8 मार्च को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का जश्न मनाने का एक अवसर है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लैंगिक समानता हासिल करने के संघर्ष को याद करने का भी अवसर होता है।
इस दिवस की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में हुई थी, जब महिलाएं बेहतर कामकाजी परिस्थितियों, मताधिकार और समान वेतन की मांग कर रही थीं। धीरे-धीरे यह आंदोलन दुनियाभर में बड़े स्तर पर बन गया और 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दी।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अलग-अलग मुद्दों पर प्रकाश डालता है, जिनमें शामिल हैं
लैंगिक समानता: महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर और अधिकार प्राप्त हों।
महिला शिक्षा: शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाती है और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
महिलाओं का स्वास्थ्य: महिलाओं को उचित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्राप्त हो।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा: महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के हिंसा का उन्मूलन।
महिला उद्यमिता: महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए प्रोत्साहित करना।
भारत जैसे देश में, जहां महिलाओं को सदियों से सामाजिक असमानता का सामना करना पड़ा है, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विशेष महत्व है। यह दिन महिलाओं को अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने और लैंगिक समानता हासिल करने के लिए मिलकर काम करने का अवसर प्रदान करता है।
हालांकि, यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक प्रतीकात्मक समारोह न बनकर, महिला सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयासों में बदल जाए। समाज को महिलाओं को शिक्षित करने, उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।
महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में सराहनीय उपलब्धियां हासिल कर रही हैं
हमारे धर्म ग्रंथो में नारी के लिए कहा गया है… यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता… जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं…,भारतीय महिलाओं ने विज्ञान, कला, साहित्य, खेल और राजनीति जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में सराहनीय उपलब्धियां हासिल कर रही हैं। इन महिलाओं की सफलता अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और दिखाती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं। इसके साथ ही साल 2024 में महिला दिवस की थीम ‘इंस्पायर इंक्लूजन’ है, जिसका मतलब एक ऐसी दुनिया, जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले।
महिलाओं को समाज में उनकी अहमियत को समझाने के लिए इस दिन पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में अलग-अलग विषयों पर चर्चाएं, कविता पाठ, नाटक, और समारोह आयोजित किए जाते हैं। इन सभी कार्यक्रमों का खास मकसद महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनकी स्थिति के महत्व को जागरूक करना है।

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