नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 97541 60816 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , सैकड़ों विरोधियों के मुर्दाबाद के नारों के बीच एक मुस्कान भरी सेल्फी जब पड़ गई थी भारी…. ऐतिहसिक जीत और अभूतपूर्व स्वागत ही है उस व्यक्तिगत विरोध का जवाब.. – पर्दाफाश

पर्दाफाश

Latest Online Breaking News

सैकड़ों विरोधियों के मुर्दाबाद के नारों के बीच एक मुस्कान भरी सेल्फी जब पड़ गई थी भारी…. ऐतिहसिक जीत और अभूतपूर्व स्वागत ही है उस व्यक्तिगत विरोध का जवाब..

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

सैकड़ों विरोधियों के मुर्दाबाद के नारों के बीच एक मुस्कान भरी सेल्फी जब पड़ गई थी भारी….

ऐतिहसिक जीत और अभूतपूर्व स्वागत ही है उस व्यक्तिगत विरोध का जवाब

बात हो रही है आज से ठीक 5 साल पहले की । एक बेदाग प्रशासनिक अधिकारी दंतेवाड़ा बस्तर जैसे पिछड़े इलाके को शिक्षा का गढ बनाने के बाद दायरों की सीमा को तोड़कर जनसेवा के लिए राजनीति का मार्ग चुनता है और चुनाव लड़ने के लिए ऐसी जगह को चुनता है जहां आज तक भाजपा नहीं जीती।

 

पूरे प्रदेश मे चल रही कॉंग्रेस की लहर के कारण ओपी जी चुनाव हार जाते हैं। हार जीत तो होता रहता है लेकिन उनकी हार पर विरोधियों की ऐसी हरकत जो किसी के भी मनोबल को चकनाचूर कर दे। जब हार तय होने के बाद ओपी काउंटीग हॉल से बाहर निकले तो गिनकर उनके साथ 3 से 4 लोग मौजूद थे और बाहर हूटिंग और ओपी के मुर्दाबाद के नारे लगाते 500 विरोधियों की फौज। जहां मनोबल टूटना चाहिए वहां बब्बर शेर की तरह आगे बढ़ रहे थे वो।विचारधारा की इस लड़ाई में व्यक्तिगत इतना विरोध देखकर हैरान था।सैकड़ों विरोधियों के बीच अचानक एक युवा उनसे सेल्फी की अनुरोध करता है जिस पर वह रुकते हैं और स्माइल करके सेल्फी लेने के बाद आगे बढ़ते हैं। अपने प्रतिद्वंदी को जीत की बधाई गले लगकर देते हैं।

जैसा कि मैं उनको जानता हूं जब जब विपरित परिस्थितियों का सामना उन्होंने जीवन मे किया है तब तब उन्होंने अपनी मेहनत और सफलता से इतिहास को बदलकर रख दिया है।इसके बाद भी कई बार उनके कैरियर गाइडेंस के कार्यक्रम को पोलिटिकल मोटिवेटेड होकर बंद कराने का प्रयास किया गया। लेकिन विरोधियों के ये नापाक इरादे कभी पूरे नहीं हो सके। इस बार जब ओपी ने चुनाव जीता तो जो पटाखे फूटे जो जश्न मनाया गया यहां की जनता के द्वारा और इतना भव्य स्वागत काउंटीग हाल से लेकर पूरे चौक चौराहे में किया गया। यह सब देखकर मुझे उस दिन की याद आ गई जब सैकड़ों विरोधियों ने उन्हें घेर रखा था और मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। यह जीत और प्यार उन सभी विरोधियों के मुँह पर एक तमाचा है जो जीत हार से परे ओपी जी पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर रहे थे। उन्हें यह लाइन नहीं भूलनी चाहिए थी-

*गिरते हैं शह सवार ही मैदान-ए-जंग में….*

*वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो चलते हैं घुटनों के बल….

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031