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भूमि की करेंगे तलाश, बिक चुकी जमीन की रजिस्ट्री कोर्ट से कराएंगे निरस्त…आदेश के 2 वर्ष बाद भी धड़ल्ले से बिक्री जारी…

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भूमि की करेंगे तलाश, बिक चुकी जमीन की रजिस्ट्री कोर्ट से कराएंगे निरस्त…आदेश के 2 वर्ष बाद भी धड़ल्ले से बिक्री जारी…

सरकार से निर्देश मिलने के बाद कलेक्टर ने सभी एसडीएम से मांगी जानकारी
जिन लोगों ने कोटवारों को सरकार अथवा मालगुजारों द्वारा दी गई सेवा भूमि अथवा मालगुजारी भूमि को कोटवारों से खरीदी की है, उनके लिए खबर अच्छी नहीं है। अब सरकार ने ऐसी कोटवारी जमीन की खोज शुरू कर दी है, जिसे कोटवारोंं ने दूसरों को बेच दी थी। सरकार ने कलेक्टर को बिक चुकी कोटवारी जमीन की जानकारी इकट्‌ठा करने तथा ऐसी भूमि की रजिस्ट्री निरस्त करने के निर्देश दिए है।

कोटवारों को पूर्व में सरकार द्वारा उनकी सेवा के बदले जीवनयापन करने के लिए जमीन दी गई है, वहीं कुछ मालगुजारों ने भी जमीन दी थी। यह जमीन वास्तव में उन्हें उनके सेवा के बदले दी गई थी, इसीलिए उसे सेवा भूमि ही कहा जाता है। इस सेवा भूमि को बेचने का हक उन्हें नहीं दिया गया था, क्योंकि कोटवार के बदलने पर दूसरे कोटवार को वह जमीन हस्तांतरित होती।

लेकिन वर्ष 2001 में ऐसी जमीन जिसे 1950 के पूर्व कोटवारों को मालगुजार या सेवा भूमि के रूप में प्राप्त हुई थी उस पर हाईकोर्ट ने कोटवारों को भू स्वामी हक दे दिया। जिसे 2011 में निरस्त कर दिया गया। 2014 में हाईकोर्ट ने फिर से भूमि स्वामी हक दे दिया। इसके बाद कोटवारों ने सरकारी जमीन को बेचना शुरू कर दिया।

तब ये शर्तें भी लगाई थीं

यह भी स्पष्ट किया गया था कि संहिता 158 के अनुसार जिसका हक शासन ने दिया है, उसका हस्तांतरण दस वर्ष तक नहीं किया जा सकता है।
कोटवारी जमीन को बेचने के लिए कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य होगी।
कोटवारों को दी गई सेवा भूमि हक में अनिवार्य रूप से अहस्तांतरणीय दर्ज किया जाएगा।
अब नए आदेश में यह कहा गया है

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन छग शासन की सचिव रीता शांडिल्य ने सभी कलेक्टर को जारी पत्र में स्पष्ट किया है कि

कितने कोटवारों को कितनी जमीन का भूमि स्वामी हक दिया गया है।
कितने कोटवारों द्वारा कितनी जमीन बेच दी गई है।
कोटवारों द्वारा बेची गई जमीन के दस्तावेज रजिस्ट्रार कार्यालय से लेना होगा।
जिन कोटवारों के नाम पर जमीन भूमि स्वामी दर्ज किया गया है, उसे सेवा भूमि दर्ज करना होगा।
खरीदारों को अवैध खरीदी व अवैध नामांतरण के विरूद्ध नोटिस जारी करना होगा और उनके कब्जे से जमीन को वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी।
यदि क्रेता जमीन को वापस देने अथवा सरकार के निर्देश का पालन नहीं करता है तो सरकार सिविल वाद दायर करेगी।
कलेक्टर ने मांगी सभी एसडीएम से जानकारी

सचिव रीता शांडिल्य से मिले पत्र के बाद कलेक्टर यशवंत कुमार ने सभी एसडीएम को पत्र लिखकर उक्त कोटवारी सेवा भूमि के बारे में जानकारी मंगाई है। हालांकि अभी तक भू अभिलेख शाखा में यह रिकॉर्ड नहीं है कि कितने कोटवारों ने कितनी जमीन अनुमति लेकर बेची है या बिना अनुमति के बेची गई है। जानकारी आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।

आखिर नामांतरण कैसे हो गया

जिले में बड़ी संख्या में कोटवारों ने सेवा भूमि बेची है। पर आश्चर्य की बात है कि जिन कोटवारों ने जमीन बेची उन्होंने पटवारी कार्यालय से ही सेवा भूमि के कागजात निकलवाए। क्यों पटवारियों ने इसे नहीं देखा। उप पंजीयकों ने भी कोई आपत्ति नहीं की। इसके बाद यह भी सवाल है कि आखिरकार सरकारी भूमि का नामांतरण आखिर कैसे दूसरे व्यक्ति के नाम पर हो गया, जबकि धारा 109 के प्रावधानों के अनुसार विधि पूर्वक हस्तांतरण होने पर ही नामांतरण का प्रावधान है।

कलेक्टर ने मांगी सभी एसडीएम से जानकारी

सचिव रीता शांडिल्य से मिले पत्र के बाद कलेक्टर यशवंत कुमार ने सभी एसडीएम को पत्र लिखकर उक्त कोटवारी सेवा भूमि के बारे में जानकारी मंगाई है। हालांकि अभी तक भू अभिलेख शाखा में यह रिकॉर्ड नहीं है कि कितने कोटवारों ने कितनी जमीन अनुमति लेकर बेची है या बिना अनुमति के बेची गई है। जानकारी आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।

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