नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 97541 60816 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , शादी का झांसा देकर यौन शोषण….? आखिर कब तक यह शीर्षक चरितार्थ होता रहेगा? – पर्दाफाश

पर्दाफाश

Latest Online Breaking News

शादी का झांसा देकर यौन शोषण….? आखिर कब तक यह शीर्षक चरितार्थ होता रहेगा?

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

शादी का झांसा देकर यौन शोषण….?

ये शब्द आजकल बहुत सुनने मिलते हैं पुलिस की DSR रिपोर्ट में अक्सर यही शब्द लिखा होता है…!
आखिर कब तक???

झांसा देने वाला, और जिसको झांसा दिया गया अधिकतर केस में दोनों बालिग़ और समझदार होते हैं. जानबूझकर झांसे  में आने के जिम्मेदार आप स्वयं हैं इस व्यवहारिक गलती को तो स्वीकार करना ही पड़ेगा, बहुत पीड़ा हो रही है ये सत्य लिखते  हुए किन्तु मैं सदैव सत्य लिखने  के लिए  ततपर हूं बाध्य हूं
बलात्कार की घटनाओं में केस में बढ़ोत्तरी आखिर क्यों कब तक झांसे  में आते  रहेंगे एडल्ट, समझदार यहाँ तक की विवाहित भी, मासूमों के मामले तो अपवाद हैं वे वास्तव में वहशीपना के शिकार  होते हैं ?आज हम अधिकतर चौकी थाने में ऐसी fir थोक के भाव दर्ज हो रहें हैं, क़ानून तो है, जिससे fir दर्ज होंगे ही वो भी सिर्फ लडके/पुरुषों पर ही, क्योंकि महिला क़ानून मजबूत है होनी भी चाहिए, जरूरी है.

मर्यादित और व्यवहारिक तौर पर ऐसी घटनाओं में कमी कैसे होगी? यह हमारे लिए चिंतन का विषय है, आजकल ये घटनाएं राह चलते सुनने देखने मिल रहें हैं इसे बढ़ावा देने में कौन कौन जिम्मेदार है, अधिकतर मामलों में दो लोगों की गलती की सजा घर परिवार से लेकर पुलिस, पत्रकार, वकील, समाज न्यायलय तक चले जाते हैं, लड़ाई केवल एक पक्ष के जिद की होती है, क्या हमारे समाज में ऐसे संस्कार दिए जातें हैं जिससे कोई किसी के झांसे में अचानक आ जाए, लोग भगवान पर भी भरोसा करने से डरते हैं लोग अनजानो पर पल भर में भरोसा कर लेते हैं, अपनी मर्जी स्वतंत्र जीवन जीते हैं फिर अचानक आन पड़ती है जरूरत थाना चौकी, न्यायालय वकील की….?

ध्यान से सोचिये इन सबमे हमें हमारी मर्यादा माता पिता के संस्कार क्या सिखाते हैं, परिवार के संस्कार को भूलकर झांसे में आना और झांसा देना, सब स्वयं पर निर्भर है अंत में वहीं परिवार समाज और उसी क़ानून के सहारे से हम अपनी बुद्धिमत्ता दिखातें हैं ज़ब आपका सबकुछ खो जाता है क्योंकि व्यवहारिक तौर पर धन से भी मूल्यवान हमारा चरित्र हमारी इज्जत हमारी पवित्रता हमारा स्वाभिमान होता है फिर भी महिला पुरुष अपना अपना संस्कार, वर्षों माता पिता का साथ उनका विश्वास आगे पीछे की सोच सब भूलकर अपना कौमार्य भंग करते हैं. और एक दूसरे के झांसे में आ जाते हैं इन सबके मध्य हमारा सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान आखिर कहा गुम हो जाता है मै अक्सर सोचती हूं.

पुरे देश में सबसे ज्यादा मामले बलात्कार और हत्या के हैं इन सबके जिम्मेदार कौन हैं?? महिला क़ानून बना है तो वो पुरुष के खिलाफ ही होगा किन्तु क्या ऐसी घटनाओं सिर्फ लडके पुरुष ही जिम्मेदार हैं? ये बात जरूर है की कई घटनाओं में वास्तव में महिलाओ के साथ अनाचार होता है उनको शिकार बनाया जाता है, लेकिन उससे अधिक संख्या में इस क़ानून से खेला भी जा रहा हैं, जिसके जिम्मेदार संस्कार विहीन महिला पुरुष और उनके स्वतंत्र मानसिकता है जिसका खामियाजा आज पूरा समाज भुगत रहा है.न्यायालय में ऐसे मामलों की भरमार है,हर सेकंड में बलात्कार के मामले देश भर के चौकी थानो में दर्ज हो रहे, हैं कुछ लोग तो हैं ही जो समाज में वहशी बनकर बैठे हुए हैं,जिनकी वजह से देश में बड़ी बड़ी घटनाएं हुई भी बच्चीयां भी सुरक्षित नही हैं जानबूझकर अपना भविष्य बिगाड़ने वालों पर फोकस कर रही हूं,.

जैसे निर्भया कांड, ये बहुत ही दुःखद और मानवता को शर्मसार करने वाली घटना थी जिसके लिए पूरा देश एकजुट हुआ था, वहीं आप आज को देखिये न्यूज पेपर, वेब चैनल, इलेक्ट्रिॉनिक मीडिया सोशल मीडिया में हर मिनट में एक खबर बलात्कार की होती है. जिस तरह लोग क़ानून को जानते हैं उसी तरह अगर वे अपनी मर्यादाओं को और अपने संस्कारों को जान लेंगे तो ऐसे घटनायें बहुत कम हो जायेंगी जिसके जिम्मेदार झांसा देने और झांसे में आने वाले दोनों ही हैं जिस पर नियंत्रण मात्र व्यवहारिक रूप से पवित्र बनने पर ही सम्भव है मजाल है कोई किसी को झांसा दे दे ज़ब आप अपनी मर्यादाओं में रहो यह बात महिला पुरुष दोनों के लिए है क्योंकि इस समाज को हमें ही बेहतर बनाना है.

🙏🏼यह विषय वास्तव में चिंतन का विषय हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, हालांकि हर मसले को एक तराजू में नही तौला जा सकता किन्तु अधिकतर मामलों में चौकाने वाले खुलासे होते हैं ज़ब हम मामले के तह तक जायेंगे. जिसमे कमी आना बहुत जरूरी है.

क्रमशः

आरती  वैष्णव सम्पादक

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031