छत्तीसगढ़ में 4 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव पास, बढ़ेंगी MBBS की इतनी सीटें

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छत्तीसगढ़ में 4 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव पास, बढ़ेंगी MBBS की इतनी सीटें
4 नए मेडिकल कॉलेज खुलने से छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की सीटों की संख्या 1820 से बढ़कर 2320 हो जाएगी. इन कॉलेजों के निर्माण के लिए 60 फ़ीसदी फंड केंद्र सरकार देगी.
छत्तीसगढ़ में मेडिकल की तैयारी कर रहे मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है. इस साल राज्य में 4 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे. कवर्धा तथा जांजगीर-चांपा में कॉलेज के लिए जमीन मिल गई है. वहीं, मनेंद्रगढ़ व दंतेवाड़ा में जमीन की तलाश की जा रही है. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने चारों कॉलेजों के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया है. आने वाले दिनों में नेशनल मेडिकल कमीशन को भी इसकी जानकारी भेजी जाएगी.
इन कॉलेजों के निर्माण के लिए 60 फ़ीसदी फंड केंद्र सरकार देगी. 4 नए मेडिकल कॉलेज खुलने से प्रदेश में एमबीबीएस की सीटों की संख्या 1820 से बढ़कर 2320 हो जाएगी. छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की सीटों को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों में नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है.
राज्य में गिरा है नीट कट-ऑफ स्कोर
छत्तीसगढ़ में पिछले 2 साल में 5 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं. इसमें एमबीबीएस की 725 सीटें बढ़ी हैं. इसका फायदा यह हुआ है की कट-ऑफ गिर गया है. पहली बार रायपुर में नीट स्कोर 580 वाले कैंडिडेट का एडमिशन हुआ है. अन्य कालेजों में 510 अंक वालों का भी एडमिशन हुआ है.
छत्तीसगढ़ में 10 से बढ़कर 14 हो जाएंगे सरकारी कॉलेज
छत्तीसगढ़ में 2023 में 4 नए कालेज खुलने के बाद सरकारी कॉलेजों की संख्या 10 से बढ़कर 14 हो जाएगी. अभी रायपुर के अलावा बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद, कोरबा, व दुर्ग में मेडिकल कॉलेज चल रहा है. इसके अलावा रायपुर में 2 व भिलाई में 1 प्राइवेट कॉलेज है. इन कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की संख्या 1820 है.
सरकारी कॉलेज की फीस प्राइवेट कॉलेजों से 14 गुना कम
नए सरकारी कॉलेज खुलने से स्टूडेंट्स को कम फीस का फायदा मिलेगा. सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 1 साल की ट्यूशन फीस महज 40 हजार है जबकि 10 हजार हॉस्टल फीस. दूसरी ओर निजी कालेजों में 1 साल की ट्यूशन फीस 6 लाख से 6 लाख 40 हजार सालाना है इसमें हॉस्टल ट्रांसपोर्टिंग खर्च अलग से लिया जाता है यानी 12 लाख रुपए फीस ली जाती है. हालांकि, निजी कॉलेजों का कहना है कि खर्च के हिसाब से ये फीस भी पर्याप्त नहीं है.।

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