आजादी के 50 वर्ष बाद भी आखिर खरसिया विधानसभा में क्यों नही खिल सका भाजपा का कमल..❓….
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आजादी के 50 वर्ष बाद भी आखिर खरसिया विधानसभा में क्यों नही खिल सका भाजपा का कमल..❓
क्या खरसिया बीजेपी संगठन नही चाहता चुनाव जीतना या फिर कोई और वजह..❓
क्या बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव कर पाएंगे कोई करिश्मा… खरसिया सीट को लेकर मंथन..❓❓
*रायगढ़/छत्तीसगढ़* कहने को तो कीचड़ में ही कमल खिलने एवं पूरे देश मे मोदी लहर की बाद कही जाती है। बीजेपी ने मोदी के नाम के सहारे उत्तरप्रदेश कांग्रेस के गढ़ अमेठी को भी कमल मय करके कांग्रेस का किला ढहा दिया है। लेकिन भारत देश के छत्तीसगढ़ राज्य में खरसिया विधान सभा सीट जो कि सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है में आज तक बीजेपी अपना परचम नही लहरा पाई है। चाहे वो अविभाजित मध्य प्रदेश में अटल बिहारी बाजपेयी का लहर हो या फिर मोदी लहर । हिदू नेता राजा दिलीप सिंह जुदेव हो या फिर छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितामह लखीराम अग्रवाल या फिर आईएएस ओ पी चौधरी सबको कांग्रेस के आगे मुह की खानी पड़ी है। एक बार जो नेता खरसिया चुनाव में पटखनी खाया दोबारा यहां से लड़ने की नही सोंचा। लेकिन वो बीजेपी में राष्ट्रीय एवँ प्रदेश स्तर का नेता जरूर बन गया। चाहे हम लखीराम, दिलीप सिंह जूदेव, गिरधर गुप्ता, ओ पी चौधरी किसी का भी नाम ले लें।
आखिर 15 साल रमन राज में भी खरसिया में विकास का जादू नही चल पाया क्या छत्तीसगढ़ बीजेपी कभी खरसिया सीट जीत पाएगी या फिर खरसिया को हर बार की तरह वाक ओव्हर ही देगी….प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के लिए खरसिया सीट से जीत दिला पाना किसी चुनौती से कम नही है।
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