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पर्दाफाश

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छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में कोल परिवहन का ठेका अडानी को देने के लिए तस्तरी में पेश निविदा – टेंडर, IAS अंकित आनंद के फैसलों से फिर ब्लैकमनी का कारोबार जोरो पर, अब कोल माफियाओं की नई कम्पनी आई सामने

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छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में कोल परिवहन का ठेका अडानी को देने के लिए तस्तरी में पेश निविदा – टेंडर, IAS अंकित आनंद के फैसलों से फिर ब्लैकमनी का कारोबार जोरो पर, अब कोल माफियाओं की नई कम्पनी आई सामने

दिल्ली /रायपुर : छत्तीसगढ़ में उपभोक्ताओं को ऊंची दरों पर बिजली मुहैया कराइ जा रही है। हाल ही में CSPDCL ने प्रति यूनिट बिजली के दाम बढ़ाने के पीछे महंगी बिजली उत्त्पादन का कारण बताया था। यह भी बताया गया था कि कोयले की कमी के चलते उत्त्पादन लागत में बढ़ोत्तरी होने से बिजली के दाम बढ़ाए गए है। लेकिन बिजली उत्पादन लागत बढ़ने की असल वजह CSPDCL के अफसरों ने फाइलों में कैद रखी। नतीजतन जनता महंगी बिजली खरीदते रही और भ्रष्टाचार से कमाए गए करोड़ो रुपयों से चंद अफसरों की तिजोरी रोशन होती रही।

एक बार फिर बिजली विभाग के आलाधिकारी टेंडर मैनेज कर काले कारनामों को अंजाम देने में जुटे है। इन अफसरों ने कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी की कम्पनी को किनारा कर राजिम की एक नई कम्पनी को निविदा टेंडर दिलाने के लिए कुछ खास शर्ते तय की है। बताया जाता है कि बिजली कम्पनी के चेयरमैन अंकित आनंद की कार्यप्रणाली के चलते विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। कोल परिवहन के पिछले ठेको में सरकार को हुए नुकसान की भरपाई के बजाय अंकित आनंद ने फिर वही विवादित शर्तो को लागू कर अपने खास नुमाइंदे को उपकृत करने का सुनियोजित खांका खींचा है।

मौजूदा ठेको में नियमों का उल्लंघन करने वाली कम्पनी को ब्लैक लिस्टटेड़ करने की कोई कार्यवाई उनके द्वारा नहीं की गई है।  यही नहीं घटिया कोयले की सप्लाई के मामले में वैधानिक कार्यवाई को ठन्डे बसते में डाल दिया गया है। इस मामले में अडानी की कम्पनी से लगभग 100 करोड़ की वसूली और भुगतान को सरकारी तिजोरी में जमा कराने के लिए चेयरमेन का पल्ला झाड़ लेना चर्चा में बना हुआ है।

दरअसल बिजली कम्पनी ने कोयले की आपूर्ति के लिए अडानी की कम्पनी से करार कर रखा है। कोयला खदान से गुणवत्ता वाला कोयला CSEB के पवार प्लांट में पहुंचाने की जवाबदारी बतौर MDO अडानी की कपनी के हाथो में है। कोल परिवहन के लिए पूर्व वर्षो में गैर क़ानूनी ढंग से कोयला माफिया सूर्यकान्त तिवारी और उसकी सहभागी कम्पनियो को ठेका दिया गया था। जानकारी के मुताबिक कोल परिवहन का यह ठेका बाजार भाव से लगभग तीन गुनी अधिक लागत पर दिया गया था। इस ठेके को मैनेज करने के लिए अतार्किक तकनीकी मानदंड के साथ -साथ प्रतियोगिता के अवसर ख़त्म करने की शर्तो को टेंडर में शामिल किया गया था। नतीजतन CSPDCL को हर माह करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा।

वही जनता को महंगी बिजली मुहैया होती रही। इस बार उम्मीद की जा रही थी कि लोगों को महंगी बिजली से निजात मिलेगी। लेकिन ऐसा संभव होते नजर नहीं आ रहा है। अधिकारियों ने अपने खास व्यक्ति को उपकृत करने के लिए वही पुरानी शर्ते टेंडर में यथावत रखी है। सूत्रों के मुताबिक भारी भरकम नुकसान का हवाला दिए जाने और टेंडर मैनेज किये जाने के मामलो को संज्ञान में लाये जाने के बावजूद चेयरमेन अंकित आनंद अपने फैसले पर अडिग है। जबकि टेंडर में पुराने शर्तो को पुनः लागू किये जाने से राज्य सरकार को फिर से भारी भरकम नुकसान का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि गारे पाल्मा कोयला खान से कोयला परिवहन करने हेतु टेंडर / निविदा क्रमांक MDO/22-0 23-ET/1 में अत्यंत जटिल एवं अतार्किक तकनीकी मानदंड सिर्फ एक खास कम्पनी को उपकृत करने के लिए तय किये गए हैं।

बताया जाता है कि घटिया कोयले की सप्लाई के चलते विद्युत उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। गुणवत्ताविहीन कोयले की सप्लाई से कोयले की खपत ज्यादा हुई जबकि बिजली का उत्पादन कम हुआ। विभाग के अफसरों ने नियम अनुसार बिजली उत्पादन में कमी के कारणों का उल्लेख करते हुए अडानी की कम्पनी को नोटिस जारी किया था। अलग -अलग नोटिस में करीब 100 करोड़ के नुकसान की भरपाई के निर्देश दिए गए थे। जानकारी के मुताबिक इस भारी भरकम नुकसान का भुगतान अभी तक लंबित है। इस मामले में कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करने की कार्यवाई भी फाइलों में कैद कर दी गई है। यही नहीं मौजूदा कोल परिवहन में 300 रुपये प्रति टन की दर से बाजार भाव पर कोल परिवहन किया जा रहा है जबकि इसके एवज में विद्युत मंडल से 800 रुपये प्रति टन की दर से वसूली की जा रही है। और तो और गुणवत्ता वाला कोयला रास्ते में ठिकाने लगा कर मढ़वा प्लांट में घटिया कोयले की आपूर्ति हो रही है। सूत्र बताते है कि यहाँ भी अफसर आईएएस समीर विश्नोई की तर्ज पर ब्लैकमनी का पहाड़ तान रहे है।

हाल ही में CGPGCL द्वारा गारे पाल्मा कोयला खान, तमनार जिला रायगढ़ में कोयला परिवहन करने हेतु यह टेंडर / निविदा जारी किया गया था। इसकी शर्तो पर गौर कीजिए, उपरोक्त निविदा में न्यूनतम पात्रता मापदंड अर्थात एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्रमांक 4 भाग लेने हेतु आवश्यक शर्त यह रखी गई है कि निविदाकर्ता को छत्तीसगढ़ में विगत 5 वर्षों से कार्यरत होना चाहिए। एक अन्य शर्त यह भी रखी गई है कि निविदाकर्ता को 1 अप्रैल 2017 से 31 अगस्त 2022 तक किसी सरकारी या सार्वजनिक उपक्रम की  कोयला खदान से न्यूनतम 40 किलोमीटर तक कोयला परिवहन करने की योग्यता होनी चाहिए। उपरोक्त दोनों शर्तो के चलते छत्तीसगढ़ राज्य में केवल चुनिंदा सार्वजनि उपक्रम जिनमे साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स, NTPC ही मुख्य सार्वजनिक उपक्रम हैं।

छत्तीसगढ़ के वर्षों के इतिहास में लगभग सभी कोयला खदानों में 18-20 किलोमीटर तक के कोयला परिवहन सम्बन्धी कार्य दिग्गज महारत्न तथा मिनीरत्न शासकीय उपक्रमों जिनमे साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स कोल इंडिया लिमिटेड, NTPC आदि के द्वारा किया जाता रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि लगभग सभी कोयला खदानों के 18 -20 किलोमीटर कि परिधि में ही रेलवे साइडिंग कि उपलब्धता रही है, परन्तु वर्तमान परिदृश्य में यह प्रथम अवसर है कि जबकि एक सरकारी उपक्रम CSPGCL द्वारा शायद किसी संस्था या व्यक्ति विशेष को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए सुनियोजित तौर पर ऐसे जटिल एवं अतार्किक तकनीकी मानदंड निर्धारित किये गए हैं।

इन शर्तो के चलते स्वस्थ एवं खुली प्रतिस्पर्धा लगभग समाप्त हो जाएगी। ऐसे परिदृश्य में यह स्पष्ट इंगित होता है की किसी संस्था या व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचने कि मशा के चलते ऐसे जटिल एवं अतार्किक तकनीकी मापदंडो वर्तमान निविदा में समाहित किया गया है। ताकि गारे पाल्मा कोयला खान से कोयला परिवहन की शर्तों को केवल कोई खास व्यक्ति या संस्था विशेष ही पूर्ण कर पाए।  यह सर्वविदित तथ्य है कि CSPGCL जो की एक सार्वजनिक उपक्रम है के अंतर्गत 40 किलोमीटर तक कोयला परिवहन करने की योग्यता एवं निविदाकर्ता को छत्तीसगढ़ में विगत ५ वर्षों से कार्यरत होना चाहिए की शर्तों को केवल वर्तमान ठेकेदार के द्वारा ही पूर्ण कर पायेगा अन्य कोई भी नहीं।

साफ़ है कि सूर्यकान्त तिवारी से जुडी शैल और भागीदारी वाली कम्पनियो को नए सिरे से ठेका देने के लिए यह टेंडर जारी किया गया है। लोह अयस्क, बॉक्साइट, की भाँती कोयला भी खनिज संसाधन के अंतर्गत सुचिबद्ध है। इस पर केंद्र सरकार का अधिकार है। दिग्गज महारत्न तथा मिनीरत्न शासकीय उपक्रमों जिनमे मुख्यतः सेंट्रल को फ़ील्ड्स लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, NTPC आदि ने किसी भी राज्य में स्थित कोयला उत्खनन या परिवहन कभी भी किसी राज्य विशेष के संस्थान, निकाय या ठेकेदार को ही कोयला उत्खनन या परिवहन करने हेतु अधिकृत किये जाने की ऐसी बाध्यकारी शर्तों का उपबंध कभी नहीं किया गया है। लेकिन CGPGCL द्वारा गारे पाल्मा कोयला खान से कोयला परिवहन हेतु निविदा में छत्तीसगढ़ राज्य के ही संस्थान, निकाय या ठेकेदार को ही बोली लगा सकने हेतु बाध्यकारी शर्त का उपबंध किया जाना भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। इसके चलते निविदा में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा स्वमेव ही समाप्त हो गई है।

टेंडर मैनेज करने के लिए ऐसी शर्तो से मिल रहे बल से वर्तमान कार्यरत ठेकेदार को प्रस्तावित निविदा आवंटन करने की रणनीति तैयार की गई है। दावा किया जा रहा है कि अंकित आनंद और CSEB की चीफ इंजीनियर पहले से ही खास कम्पनियो के संपर्क में है। उनकी कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लग रहा है। इस तथ्य का प्रमाण दिया जा रहा है कि जब से कोयला परिवहन उक्त गरे पाल्मा खान से प्रारम्भ हुआ है तबसे से हर निविदा में केवल वर्तमान ठेकेदार को ही निविदा का आवंटन होता आ रहा है एवं अन्य योग्य संस्था एवं ठेकेदार को CSPGCL की निविदाओं से बाहर ही रहना पड़ा है। फ़िलहाल प्रदेश में ब्लैकमनी के स्रोतों पर रोक लगाने के लिए IT -ED प्रयासरत है, ऐसे समय CSEB का कोल घोटाला और उसकी पुनरावत्ति का मामला सुर्खियों में है।

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