उपचुनाव : अब शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक दो दिग्गज मंत्रियों की कुर्सी पर मंडराया खतरा 21 अक्टूबर को मंत्री बने पूरे हो जाएंगे 6 महीने
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उपचुनाव : अब शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थक दो दिग्गज मंत्रियों की कुर्सी पर मंडराया खतरा
21 अक्टूबर को मंत्री बने पूरे हो जाएंगे 6 महीने
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा की खाली हुई 28 सीटों पर उपचुनाव कब होगा इसका एलान अब चुनाव आयोग 29 सितंबर को करेगा। चुनाव आयोग के आज बिहार विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया लेकिन मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं करके सस्पेंस बनाए रखा।
मध्यप्रदेश में चुनाव की तारीखों का एलान आज नहीं होने से अब शिवराज सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की मंत्री की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है। बीते मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले दोनों ही नेताओं ने 21 अप्रैल को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी।
संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है और मंत्री पद की शपथ लेता है तो उसको शपथ लेने के छह महीने के अंदर सदन का सदस्य बनना जरूरी होता है। ऐसे में 21 अक्टूबर को दोनों ही नेताओं को मंत्री बने छह महीने का समय पूरा हो जाएगा।
ऐसे में आज जब चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए तारीखों का एलान नहीं किया हो तो अब 21 अक्टूबर से पहले उपचुनाव की चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाए इसकी संभावना बहुत कम है। ऐसे में अब तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
वहीं अगर दोनों ही मंत्री इस्तीफा देते हैं कि तो फिर उनके मंत्री पद की शपथ लेने पर भी संकट आएगा क्योंकि दोनों ही नेता उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे और उम्मीदवारों को मंत्री पद की शपथ दिलाना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।Author विकास सिंह| पुनः संशोधित शुक्रवार, 25 सितम्बर 2020 (15:35 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा की खाली हुई 28 सीटों पर उपचुनाव कब होगा इसका एलान अब चुनाव आयोग 29 सितंबर को करेगा। चुनाव आयोग के आज बिहार विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया लेकिन मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं करके सस्पेंस बनाए रखा।
मध्यप्रदेश में चुनाव की तारीखों का एलान आज नहीं होने से अब शिवराज सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की मंत्री की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है। बीते मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले दोनों ही नेताओं ने 21 अप्रैल को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी।
संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है और मंत्री पद की शपथ लेता है तो उसको शपथ लेने के छह महीने के अंदर सदन का सदस्य बनना जरूरी होता है। ऐसे में 21 अक्टूबर को दोनों ही नेताओं को मंत्री बने छह महीने का समय पूरा हो जाएगा।
ऐसे में आज जब चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए तारीखों का एलान नहीं किया हो तो अब 21 अक्टूबर से पहले उपचुनाव की चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो जाए इसकी संभावना बहुत कम है। ऐसे में अब तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
वहीं अगर दोनों ही मंत्री इस्तीफा देते हैं कि तो फिर उनके मंत्री पद की शपथ लेने पर भी संकट आएगा क्योंकि दोनों ही नेता उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे और उम्मीदवारों को मंत्री पद की शपथ दिलाना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
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