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Elaction 2022 मैनपुरी में डिंपल की जीत नहीं आसान, ये वजह कर सकती है अखिलेश यादव को भी परेशान….

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Elaction 2022 मैनपुरी में डिंपल की जीत नहीं आसान, ये वजह कर सकती है अखिलेश यादव को भी परेशान


समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी में चुनावी शंखनाद हो गया है। सपा ने चुनाव मैदान में नेताजी मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव को उतारा है। सपा भले ही मैनपुरी सीट को सुरक्षित मान रही है, लेकिन धरतीपुत्र की जमीं पर बहू डिंपल यादव की चुनावी राह आसान नहीं है। पिछले चुनावों में इस लोकसभा सीट पर जीत का अंतर सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी परेशान कर रहा है। पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की मजबूती ने मुलायम सिंह यादव की जीत का अंतर लाखों से हजारों में समेट दिया। ऐसा तब हुआ जब आम चुनाव में सपा को बसपा का साथ मिला था। कुल मिलाकर यह चुनाव दिलचस्प होगा। दोनों ही दल जीत के लिए जोरआजमाइश करेंगे।

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हुई है। इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। पांच दिसंबर को मतदान होगा। समाजवादी पार्टी ने मुलायम की बहू व सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया है। सपा मुलायम की विरासत वाली सीट को हासिल करके लोकसभा में अपनी उपस्थिति बनाए रखना चाहती है। वहीं भाजपा भी पूरे दमखम से मैदान में है। भाजपा सपा का गढ़ ढहाने चाहती है। उपचुनाव में सीधे-सीधे मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही है।

भाजपा की मजबूती ने सपा की राह मुश्किल बना दी है। वर्ष 2004 में हुए आम चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने 3.37 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। वर्ष 2019 के आम चुनाव में नेताजी की जीत सिर्फ 94 हजार वोटों से ही हुई। सपा की जीत का अंतर ऐसे वक्त में घटा, जब सपा और बसपा गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था।

सपा को 2019 के लोकसभा चुनाव से सीख लेनी चाहिए, क्यों हो सकता है कि मतदाता का मन आज भी आम चुनाव जैसा ही हो। उपचुनाव में सपा के साथ बसपा नहीं है। ऐसे में बसपा वोट में सेंध लगाकर भाजपा बाजी पलट भी सकती है।

भाजपा ने 2019 में दी थी टक्कर
संगठन विस्तार के साथ ही भाजपा आज मजबूत स्थिति में है। संगठन की मजबूती के दम पर ही भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव पूरी दमदारी के साथ लड़ा। सपा की ओर से चुनाव मैदान में खुद मुलायम सिंह यादव थे, वहीं भाजपा ने स्थानीय प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया था। इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य 4,30,547 ने वोट हासिल किए थे। मुलायम सिंह जैसा बड़ा चेहरा सिर्फ 94389 वोटों से ही जीता।

सपा ने कब कितने वोटों से जीता चुनाव
वर्ष प्रत्याशी कुल मिले वोट जीत का अंतर
1996 मुलायम सिंह यादव 273303 51958
1998 बलराम सिंह यादव 264734 10366
1999 बलराम सिंह यादव 244113 28026
2004 मुलायम सिंह यादव 460470 337870
2004 धर्मेंद्र यादव उपचुनाव 348999 179713
2009 मुलायम सिंह यादव 392308 173069
2014 मुलायम सिंह यादव 595918 364666
2014 तेजप्रताप यादव उपचुनाव 653786 321249
2019 मुलायम सिंह यादव 524926 94389

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