‘जिस दिन पद जाता है सब कुछ खत्म हो जाता है’, बोले केंद्रीय नितिन गडकरी..
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‘जिस दिन पद जाता है सब कुछ खत्म हो जाता है’, बोले केंद्रीय नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जबलपुर में कार्य़कर्ताओं से कहा कि चुनाव लोकतंत्र का तकाजा है और हमें हमेशा एक विचार रखकर ही काम करना चाहिए. Nitin Gadkari: मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्वर्गीय भगवतीधर वाजपेयी के जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार (7 नवंबर) को संगठन से जुड़े दिनों को याद कर कार्यकर्ताओं और समर्थकों से कई बाते कहीं. उन्होंने कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि जब पद जाता है तो सब कुछ खत्म हो जाता है.
उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का एक बहुत छोटा कार्यकर्ता हूं. गडकरी ने अपने विद्यार्थी दिनों को याद करते हुए कहा, “मैं जब कार्यकर्ता था तो रात में बिजली विभाग के कर्मियों से दोस्ती करके रात में पोस्टर चिपकाया करता था और बाद में स्टूडेंट लीडर बना.”
‘देश में विचार शून्यता कि स्थिति’
नितिन गडकरी ने कहा कि आज हमारे देश में विचार शून्यता के हालत हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पीढ़ी ने ज्यादा संघर्ष नहीं किया लेकिन हमारे पूर्वजों ने हमसे ज्यादा संघर्ष किया. उन्होंने उस समय संघर्ष किया जब न कोई मान था, न कोई सम्मान था और वो डिपॉजिट जब्त होने के बाद भी काम करते थे.
‘कार्यकर्ता कभी पूर्व कार्यकर्ता नहीं बनता’
मैं अक्सर एक बात याद रखता हूं और सभी बडे़ और ऊंचे पद पर बैठे नेताओं को ये बात याद रखनी चाहिए. मुख्यमंत्री कभी पूर्व मुख्यमंत्री बन जाता है. सांसद कभी पूर्व सांसद बन जाता है. विधायक कभी पूर्व विधायक बन जाता है. नगरसेवक कभी पूर्व नगरसेवक बन जाता है पर कार्यकर्ता कभी पूर्व कार्यकर्ता नहीं बनता है.
‘व्यक्तिवादी पार्टी नहीं है बीजेपी’
नितिन गडकरी ने कहा कि हम कोई व्यक्तिवादी विचार नहीं है, हम व्यक्तिगत पार्टी नहीं है. हमें कभी भी अटल जी की विचारधारा को कभी नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें आज जो सत्ता मिली है वह लाखों कार्यकर्ताओं के बलिदान के कारण मिली है. नितिन गडकरी ने कहा कि लोकतंत्र के सभी स्तंभो को मजबूत होना चाहिए. आज मैं जेड प्लस कैटेगरी में हूं लेकिन जिस दिन पद जाता है उस दिन सबकुछ खत्म हो जाता है.
‘चारखंभो पर चलता है लोकतंत्र’
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का तकाजा है. एक विचार रख कर काम करना चाहिए. लोकतंत्र चार खंभो पर चलता है और हमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की विचारधारा को नहीं भूलना चाहिए.
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