BJP की प्रेस वार्ता में बड़ी संख्या में नही पंहुचे पत्रकार…ओपी चौधरी सहित स्थानीय पदाधिकारियों को माना जा रहा है नाराजगी के लिए जिम्मेदार
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BJP की प्रेस वार्ता में बड़ी संख्या में नही पंहुचे पत्रकार…ओपी चौधरी सहित स्थानीय पदाधिकारियों को माना जा रहा है नाराजगी के लिए जिम्मेदार

रायगढ़। प्रदेश सरकार को घेरने बुधवार को भाजपा ने प्रदेश के सभी जिलों में प्रेसवार्ता की थी। रायगढ़ जिले में प्रेसवार्ता लेने के लिए सांसद गोमती साय, भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णा राय व ओ पी चौधरी को जिम्मेदारी दी गई थी। स्थानीय पत्रकार ओ पी चौधरी और भाजपा के स्थानीय संगठन के रवैये से नाराज चल रहे है। इसके पीछे प्रमुख कारण स्थानीय पत्रकारों को समुचित सम्मान नही मिलना बताया जा रहा है। कमोबेश यही स्थिति कांग्रेस में भी है। यही वजह है कि पत्रकारों ने राजनीतिक पार्टियों के कवरेज का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। बुधवार को भाजपा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ी संख्या में पत्रकार नही पंहुचे। इससे पार्टी की भद्द पीटी है और आम जनता के बीच भी अच्छा संदेश नही गया है। चुनावी तैयारियों में जुटे दोनो राजनीतिक दलों के लिए पत्रकारों की अनदेखी भविष्य में नुकसानदेह न हो जाय। ऐसे में समय रहते पत्रकारों से सामंजस्य बनाने का काम दरबारियों से घिरे पार्टी पदाधिकारियों को करना चाहिए। विदित हो कि खरसिया विधानसभा चुनाव में ओ पी चौधरी के प्रथम खरसिया आगमन से लेकर उनके चुनाव परिणाम तक खरसिया के स्थानीय पत्रकारों ने भी ओ पी चौधरी को सर आंखों पर बिठाया था लेकिन कहते है जिन्होंने कलेक्टरी की ट्रेनिंग मसूरी से ली हो लगातार 13 वर्षों तक कलेक्टरी की हो तो उन्हें आज भी ऐसा लगता है कि वो कलेक्टर हैं एवँ पीआरओ के भरोसे उनका हर कार्य हो जाएगा। ओपी चौधरी खराब मीडिया मैनेजमेंट के कारण ही चुनाव में हारे थे चाहे धनागर में सैलून संचालको को किट का मामला हो,या फिर बुनगा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं के झड़प का मामला हो या फ़िर कहर ब्वाय के रूप में उनका वीडियो वायरल होना, विभिन्न स्थानों पर शराब एवं चुनाव प्रभावित करने सामग्री वितरण की खबरें हो रायगढ़ के एक व्यक्ति विशेष को मीडिया मैनेजमेंट का जिम्मा दिया गया था जिन्होंने अंधा बांटे रेबड़ी चिन्ह चिन्ह के दे कि तर्ज पर कार्य किया भाई-भतीजा वाद को बढ़ावा दिया नतीजा अंतिम दिनों में ओ पी चौधरी की जीत हार में बदल गई। आज भी सोसल मीडिया में कुछ चाटुकारों द्वारा उनकी कसीदे गढ़ने एवं महिमा मंडन करने वाली पोस्ट डालकर उन्हें चाटुकारों के द्वारा भविष्य का मुख्यमंत्री तक घोषित कर दिया गया है। जबकि रायगढ़ जिला संगठन एवं ओ पी चौधरी को यह समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री तो तब बनेंगे जब चुनाव जीतेंगे रायगढ़ जिला एवँ लोकसभा में सभी सीटों पर हार का स्वाद चख चुकी बीजेपी के नेताओ को लगता है कि वो फेसबुक एवं सोसल मीडिया पर कुछ चाटुकारों के पोस्ट के भरोसे जीत हासिल कर लेंगे जो कि इनकी बहुत बड़ी भूल है। दिल्ली एवं अन्य स्थानों पर पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार पर बेबाकी से राय रखने वाले ओ पी चौधरी को खरसिया उन्हें गृह क्षेत्र में पत्रकार दम्पत्ति एवं बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ हुए सत्ता के दमन की कार्यवाही नजर नही आई । आखिर क्या ऐसी मजबूरी थी कि ओ पी चौधरी को आईएएस होने के बावजूद इन सभी गम्भीर बातों का ध्यान नही है। खैर मीडिया के अनदेखी कर यदि चौधरी जी एवं उनकी टीम सत्ता में वापसी के सपने देख रही है तो यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। यदि बात खरसिया के लगातार दूसरी बार विधायक एवँ वर्तमान में उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल पर भी लागू होती है। मीडिया के सहयोग से खरसिया विधानसभा, नगरपालिका, किरोड़ीमल ,पुसौर नगर पंचायत, खरसिया, रायगढ़ जनपद, जिला पंचायत सहित उपचुनाव में मिली जीत के बाद मीडिया का आभार तो दूर बल्कि मीडिया की उपेक्षा एवं उनके चाटुकारों के गलत सलाह के कारण पत्रकारों पर झूठे मामले दर्ज कराने से न सिर्फ उनकी खुद की छबि बल्कि राज्य सरकार की छबि खराब हुई है। आज भले ही उनके समर्थन में कुछ चाटुकारों के द्वारा सोसल मीडिया में महिमा मंडन किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अब जबकि खरसिया विधानसभा सहित रायगढ़ जिले में मुख्यमंत्री महोदय का दौरा कार्यक्रम है। ऐसे में पत्रकारों के द्वारा कार्यक्रम एवँ कवरेज को बहिष्कार का निर्णय कांग्रेस पार्टी के लिए आने वाले चुनाव में नुकसान का सौदा न हो जाये। फिलहाल दोनों ही राजनीतिक दलों के द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून तो दूर की बात पत्रकारों की लगातार उपेक्षा एवं राजनीतिक दलों एवं पत्रकारों के बीच बढ़ती दूरी भविष्य के लिए सुखद नही कहा जा सकता है।
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