सावित्री व्रत आज, इन 4 अशुभ मुहूर्त में न करें पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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सावित्री व्रत आज, इन 4 अशुभ मुहूर्त में न करें पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Vat Savitri Vrat 2022 इस साल वट सावित्री व्रत पर शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाती है। आज के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करके रक्षा सूत्र बांधती है।
नई दिल्ली, Vat Savitri Vrat 2022: प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन काफी शुभ योग बन रहा है। इस साल इस व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सिद्धि योग बन रहा है जो काफी शुभ माना जाता है। जानिए वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
वट सावित्री व्रत का मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि प्रारंभ: 29 मई को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से शुरू
अमावस्या तिथि का समापन: 30 मई को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट से
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 31 मई सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक
इस मुहूर्तो में न करें वट सावित्री व्रत की पूजा- शास्त्रों राहुकाल, यमगण्ड, आडल योग, दुर्महूर्त और गुलिक काल में शुभ काम नही किए जाते है।
राहुकाल- 07:08 AM से 08:51 AM
यमगण्ड- 10:35 AM से 12:19 PM
दुर्मुहूर्त- 12:46 PM से 01:42 PM
गुलिक काल- 02:02 PM से 03:46 PM
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके सुहागिन महिलाएं साफ वस्त्र धारण करने के साथ सोलह श्रृंगार कर लें। आप चाहे को लाल रंग के वस्त्र धारण करें तो यह शुभ होगा। बरगद के पेड़ के नीचे जाकर गाय के गोबर से सावित्री और माता पार्वती की मूर्ति बना लें। अगर गोबर उपलब्ध नहीं है तो दो सुपारी में कलावा लपेटकर सावित्री और माता पार्वती की प्रतीक के रूप में रख लें। इसके बाद चावल, हल्दी और पानी से मिक्स पेस्ट को हथेलियों में लगाकर सात बार बरगद में छापा लगाएं। अब वट वृक्ष में जल अर्पित करें। फिर फूल, सिंदूर, अक्षत, मिठाई, खरबूज सहित अन्य फल अर्पित करें। फिर 14 आटा की पूड़ियों लें और हर एक पूड़ी में 2 भिगोए हुए चने और आटा-गुड़ के बने गुलगुले रख दें और इसे बरगद की जड़ में रख दें। फिर जल अर्पित कर दें। और दीपक और धूप जला दें। फिर सफेद सूत का धागा या फिर सफेद नार्मल धागा, कलावा आदि लेकर वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करते हुए बांध दें। 5 से 7 या फिर अपनी श्रद्धा के अनुसार परिक्रमा कर लें। इसके बाद बचा हुआ धागा वहीं पर छोड़ दें। इसके बाद हाथों में भिगोए हुए चना लेकर व्रत की कथा सुन लें। फिर इन चने को अर्पित कर दें। फिर सुहागिन महिलाएं माता पार्वती और सावित्री के को चढ़ाए गए सिंदूर को तीन बार लेकर अपनी मांग में लगा लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद महिलाएं अपना व्रत खोल सकती हैं। व्रत खोलने के लिए बरगद के वृक्ष की एक कोपल और 7 चना लेकर पानी के साथ निगल लें। इसके बाद आप प्रसाद के रूप में पूड़ियां, गुलगुले आदि खा सकती हैं।
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