बिलासपुर में 40 करोड़ की लागत से बन रहा कामधेनु कालेज अधूरा, होने लगा खंडहर,,,,देखिये पूरी खबर…

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बिलासपुर में 40 करोड़ की लागत से बन रहा कामधेनु कालेज अधूरा, होने लगा खंडहर,,,,देखिये पूरी खबर।
बिलासपुर। कामधेनु अंजोरा दुर्ग विश्वविद्यालय की ओर से कोनी में 40 करोड़ की लागत से कालेज बिल्डिंग, आडिटोरियम, हास्पिटल, गर्ल्स हास्टल, डीन बंगला आदि का निर्माण कराया जा रहा है। चार साल पहले शुरू हुआ काम पिछले कई माह से अटका हुआ है। विभाग के पास पर्याप्त फंड भी है। इसके बाद भी अधूरे निर्माण को शुरू कराने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। इधर, ठेकेदारों को भी काम का भुगतान नहीं हुआ है। लिहाजा वे भी हाथ खींच रहे हैं।
कामधेनु विश्वविद्यालय की ओर से बिलासपुर में कालेज आफ वेटनरी साइंस एंड एनीमल हसबैंड्री की नींव 2017 में रखी गई थी। परिसर में आडिटोरियम, कालेज बिल्डिंग, डीन बंगला समेत अन्य कार्यों के लिए शासन की ओर से शुरुआत में 30 करोड़ जारी किए गए थे। अलग-अलग कार्यों के लिए विभाग ने निविदा जारी की।
तीन ठेकेदारों को निविदा मिली हुई है। चार साल बीतने के बाद भी अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। बीच में फंड कम होने के कारण फंड की स्वीकृति के लिए शासन से राशि मांगी गई थी। हाल ही में शासन ने 10 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दे दी है। इसके बाद भी अब तक काम अधूरा पड़ा हुआ है।
सब इंजीनियर के खिलाफ ढेरों शिकायतें
विश्वविद्यालय की अपनी अलग इंजीनियरिंग शाखा है। यहां कार्यपालन अभियंता के अलावा इंजीनियर की पदस्थापना की गई है। इनका काम निर्माण कार्यों की देखरेख है। सब इंजीनियर हिमालय थवानी पूरे प्रोजेक्ट की देखरेख करते हैं। यहां पूर्व में पदस्थ अधिकारियों और सब इंजीनियर के बीच आपसी खींचातान के चलते निर्माण कार्य अटका हुआ है। सब इंजीनियर के खिलाफ ढेरों शिकायतें भी हैं। एक महिला सहकर्मी ने भी महिला उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है।
साशन को हो रहा नुकसान-
निर्माणाधीन भवन में 30 करोड़ खर्च होने के बाद शासन की ओर से हाल ही में 10 करोड़ रुपये और स्वीकृत किए गए हैं। इससे बचत कार्यों को गति देनी है। फंड होने के बाद भी ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया गया है। इससे काम अटक गया है। इधर, दिन ब दिन काम में देरी होने और ठेकेदार बदलने से शासन को ही नुकसान उठाना पड़ेगा। बता दें कि इस काम का टेंडर चार साल पहले हुआ था। इस समय मटेरियल का रेट कम था। आज की तारीख में निर्माण सामग्री के दाम में बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में नई निविदा करने से शासन को ही नुकसान होगा।

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