वीर सावरकर के व्यक्तित्व को सही मायनों में रेखांकित करती है ये किताब: डॉ. मोहन भागवत….
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वीर सावरकर के व्यक्तित्व को सही मायनों में रेखांकित करती है ये किताब: डॉ. मोहन भागवत
स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जिंदगी के अनछुए पन्नों से रूबरू कराने के लिए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक उदय माहूरकर व चिरायु पंडित ने एक किताब लिखी
स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जिंदगी के अनछुए पन्नों से रूबरू कराने के लिए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राजनीतिक विश्लेषक उदय माहूरकर (Uday Mahurkar) व चिरायु पंडित ने एक किताब लिखी है। ‘वीर सावरकर- द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ शीर्षक से लिखी गई इस किताब की लॉन्चिंग 12 अक्टूबर की शाम करीब साढ़े चार बजे नई दिल्ली स्थित ‘डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर‘ में की गई।
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुए एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ‘ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने इस किताब को लॉन्च किया। बता दें कि यह किताब ‘रूपा पब्लिकेशंस इंडिया’ की ओर से प्रकाशित की गई है।
कार्यक्रम में किताब के लेखक उदय माहूरकर ने कहा, ‘यह किताब क्रांतिकारी सावरकर के बारे में कम, देशभक्त सावरकर के बारे में अधिक बातें कहती है। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना की, जिसमें उन्होंने साफ़ कहा था कि सभी धर्मों को स्वतंत्र रूप से रहने की इजाजत है, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई अल्पसंख्यक किसी परेशानी का सामना करता है तो सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।’
वहीं, किताब के सह लेखक चिरायु पंडित ने कहा, ‘वीर सावरकर का जीवन स्वतंत्रता संग्राम की जीती-जागती गाथा रहा है, वह देशभक्ति की एक जीवंत मिसाल हैं। इस किताब का सह-लेखक बनाने के लिए मैं माहूरकर जी का आजीवन ऋणी रहूंगा।’
इस दौरान केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘वीर सावरकर जैसे नायक के बारे में लिखना-पढ़ना कोई आसान काम नहीं है। सावरकर के जीवन के इतने आयाम हैं कि उन्हें एक किताब में समाहित करना चुनौती भरा काम है, जिसे इस पुस्तक के लेखकों ने बाखूबी निभाया है। मैं उदय माहूरकर व चिरायु पंडित को धन्यवाद देता हूं कि पुस्तक के बारे में सही जानकारी लोगों को मिल पाएगी। अटल जी ने भी सावरकर को तेज, त्याग और तप की प्रतिमूर्ति कहा था।’
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मोहन भागवत ने कहा, ‘आज वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है, ये हमें स्वीकार करना होगा। आज सावरकर के जिन सिद्धांतों को देश की सबसे अधिक आवश्यकता है, उससे हमें रूबरू करवाने का काम ये पुस्तक करती है। जब इस देश को आजादी मिली, उसके बाद सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली और बड़ी तेजी से चली। लेकिन यह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, अब अगला लक्ष्य विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद हैं। भारत की जो वास्तविक राष्ट्रीयता है, वो इन महापुरुषों में समाहित है। इन्हीं तीन लोगों के विचारों के कारण सावरकर इतने बड़े देशभक्त बने।’
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