नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 97541 60816 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , जस्टिस नरीमन ने कहा: ‘खत्म हो देशद्रोह कानून’, सरकारें आएंगी-जाएंगी, नागरिकों का खुलकर सांस लेना जरूरी.. – पर्दाफाश

पर्दाफाश

Latest Online Breaking News

जस्टिस नरीमन ने कहा: ‘खत्म हो देशद्रोह कानून’, सरकारें आएंगी-जाएंगी, नागरिकों का खुलकर सांस लेना जरूरी..

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

जस्टिस नरीमन ने कहा: ‘खत्म हो देशद्रोह कानून’, सरकारें आएंगी-जाएंगी, नागरिकों का खुलकर सांस लेना जरूरी

नई दिल्ली  रिटायर्ड जस्टिस नरीमन ने कहा- महत्वपूर्ण यह है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्ति का इस्तेमाल करे और धारा 124 ए और यूएपीए कानून के कुछ हिस्सों को खत्म कर दे। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभी भी धारा 124ए कैसे बची हुई है, इस पर विचार किया जाना चाहिए।

जस्टिस आरएफ नरीमन
जस्टिस आरएफ नरीमन – फोटो : सोशल मीडिया

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने कहा है कि नागरिकों का खुलकर सांस लेना जरूरी है। सरकारें तो आएंगी और जाएंगी। इसके लिए जरूरी है कि देशद्रोह कानून रद्द कर दिया जाए और गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर बने यूएपीए कानून के भी कुछ हिस्सों को खत्म कर दिया जाए।
विज्ञापन

 

विश्वनाथ परायत समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस नरीमन ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करूंगा कि वह लंबित देशद्रोह कानून के मामलों को वापस केंद्र के पास न भेजे।

 

अपनी शक्ति का इस्तेमाल करे सुप्रीम कोर्ट
रिटायर्ड जस्टिस ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी शक्ति का इस्तेमाल करे और धारा 124 ए और यूएपीए कानून के कुछ हिस्सों को खत्म कर दे, जिससे यहां के नागरिक खुलकर सांस ले सकें। उन्होंने कहा कि वैश्विक कानून सूचकांक में भारत की रैंक 142 है, इसकी वजह यह है कि यहां कठोर और औपनिवेशिक कानून अभी भी मौजूद है।

अंग्रेजों का कानून है यूएपीए
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि भारत के चीन और पाकिस्तान से युद्ध हुए थे। इसके बाद औपनिवेशिक कानून व गैरकानूनी गतिविधि निषेध अधिनियम बनाया गया था। यूएपीए अंग्रेजों का कानून है, क्योंकि इसमें कोई अग्रिम जमानत नहीं होती है। इसमें कम से कम पांच साल की कैद है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभी भी धारा 124ए कैसे बची हुई है, इस पर विचार किया जाना चाहिए।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031