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सिम्स से अवैध पदोन्नति प्राप्त 47 चिकित्सा शिक्षकों की सेवा पुस्तिका के सत्यापन पर रोक,,,,छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ पदोन्नति को निरस्त करते हुए भुगतान किए गए वेतन की वसूली करते हुए उन्हें पदच्युत करने कीया हैं मांग…..

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 सिम्स से अवैध पदोन्नति प्राप्त 47 चिकित्सा शिक्षकों की सेवा पुस्तिका के सत्यापन पर रोक,,,,छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ पदोन्नति को निरस्त करते हुए भुगतान किए गए वेतन की वसूली करते हुए उन्हें पदच्युत करने कीया हैं मांग ,,,,देखिये पूरी खबर।

बिलासपुर-:  अधिकारियों/कर्मचरियों की नियुक्ति एवं पदोन्नति के लिए शासन द्वारा आवश्यकतानुसार पदों का सृजन करते हुए उक्त पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन का प्रकाशन करते हुए नियुक्ति की सम्पूर्ण प्रक्रियाओं का पालन कर नियुक्ति प्रदान की जाती है ।एवं वरिष्ठता के आधर पर बनाय गए नियमानुसार विभाग द्वारा पदोन्नति का लाभ भी दिया जाता है ।


शासन के नियमानुसार किसी निजी संस्थान द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी कर्मचारी को विशेष परिस्थिति में शासन द्वारा नियम निर्धारण करते हुए विभाग प्रमुख द्वारा उक्त अधिकारी कर्मचारी का विभाग में मर्ज करने स्पष्ट आदेश जारी करने उपरांत शासन के विभाग में नियुक्ति प्रदान करते हुए उनके वरिष्ठता का नियुक्ति दिनाँक साधारण किया जाता है ।
सिम्स संस्थान जिसे 2008 के पहले गुरु Ghasidas युनिवर्सिटी बिलासपुर द्वारा सम्पूर्ण अधिकार के साथ कार्य परिषद के माध्यम से संचालित किया जा रहा था द्वारा वर्ष 2002 से 2007 के बीच सिम्स के विभिन्न विभागों के लिए 48 चिकित्सा शिक्षकों की 2 वर्ष की परिवीक्षा शर्तों पर पूर्ण अस्थाई रूप से GGU के अधीन पदस्थापना दी गई थी ।उक्त नियुक्त किए गए चिकित्सा शिक्षकों का वेतन सिम्स के स्थापना मद में विकल निय होगा ,उल्लिखित करने के साथ साथ यदि किसी जांच मे आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार के जाती के सबंध में कोई तथ्य छुपाया जाता है तो उनकी नियुक्ति समाप्त मानी जाएगी तथा य़ह भी उल्लिखित है कि GGU द्वारा समय समय पर निर्धारित अन्य शर्तें मान्य करनी होगी ।समस्त चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति GGU के कार्य परिषद के आदेशानुसार कुल सचिव द्वारा किया गया था ।
छ ग शासन द्वारा 2008 में GGU के पूर्ण नियंत्रण मे संचालित सिम्स को शासन के अधीन करते हुए GGU द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी कर्मचारी को उनके मूल संस्थान ggu के लिए वापस किया गया था एवं जिला चिकित्सालय तथा शासकीय चिकित्सा संस्थान से आए अधिकारी कर्मचरियों का विलय किया गया था।
शासन के नियमानुसार प्रदेश के समस्त शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के विभिन्न विभागों से चिकित्सा शिक्षकों के वरिष्ठता सूची के आधर पर प्रदेश स्तर पर वरिष्ठता क्रम का निर्धारण करते हुए पदोन्नत किए जाने अनुशंसा कर विभाग प्रमुख लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चिकित्सा शिक्षा को भेजा जाता है ।जिसके आधर पर विभाग प्रमुख द्वारा पदोन्नति सूची जारी की जाती है । किंतु *सिम्स प्रशासन द्वारा बिना अधिकार के उन चिकित्सा शिक्षकों का जिनका शासन के विभाग में विलय ही नहीं हुआ है जिन्हें तदर्थ पदोन्नति दी गई थी ।उन नियम विरुद्ध तदर्थ पदोन्नत चिकित्सा शिक्षकों का सिम्स प्रशासन ही 9/12/2009 को स्थायीकरण आदेश जारी किया गया जिसकी प्रति शासन को भेजना भी उचित नहीं समझा ।
*GGU से सिम्स संस्थान को राज्य शासन द्वारा दिसंबर 2007 मे अधिग्रहण किया गया।*
*GGU द्वारा नियुक्त किए गए 48 चिकित्सा शिक्षकों जिन्हें शासन के अधीन किए जाने किसी प्रकार की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और उनके चिकित्सा शिक्षा विभाग में विलय किए जाने हेतु कोई आदेश प्रसारित नहीं होने बावजूद शासन के नियमों को ताक में रख कर स्वशासी समिति सिम्स द्वारा 15/7/2009 को पदोन्नति दी गई*
*विभागाध्यक्ष कार्यालय द्वारा भी षड्यंत्र पूर्वक जिन48 चिकित्सकों का विभाग में विलय नहीं हुआ है उन्हें प्रदेश के अन्य shaskiy चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत चिकित्सकों के लिए प्रसारित वरिष्ठता सूची में जोड़ते हुए उन्हें पदोन्नति का लाभ दिया जाकर समान्य प्रशासन द्वारा जारी नियुक्ति एवं पदोन्नति के नियमों की अनदेखी कर पात्र चिकित्सकों को पदोन्नति के लाभ से वंचित कर उनके अधिकार का हनन किया गया ।*
*सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अवैध पदोन्नति प्राप्त 48 चिकित्सा शिक्षकों की सेवा पुस्तिका का सत्यापन कोष एवं लेखा विभाग इस लिए नहीं कर रहा है कि उनकी सेवा पुस्तिका में शासन द्वारा विभाग में किए गए विलय आदेश नहीं है ।*
सिम्स में नियम विरुद्ध सेवायें दे रहे चिकित्सा शिक्षक जिनका विलय विभाग में नहीं हुआ है जिन्हें समय समय पर नियम विरुद्ध पदोन्नति का लाभ देते हुए अधिष्ठाता एवं चिकित्सा अधीक्षक बना दिया गया वहीं दूसरी तरफ शासन के नियमानुसार विज्ञापन के आधर पर नियुक्ति प्रक्रिया का पालन करते हुए 320 कर्मचरियों की वर्ष 2013-14/14-15men नियुक्ति प्रदान की गई थी उन्हें सात वर्षों से वार्षिक वेतनवृद्धि के लाभ से वंचित रख आर्थिक प्रताड़ना दिया जा रहा है ।

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ पदोन्नति को निरस्त करते हुए भुगतान किए गए वेतन की वसूली करते हुए उन्हें पदच्युत करने किया है मांग करेगा ।

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